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Banking New Working Days: कब से होगा बैंकों में 5 दिन वर्किंग? रोजाना 40 मिनट एक्ट्रा खुलेंगे बैंक, ये है अपडेट

क्या बैंकों की 6 दिन की परंपरा होगी खत्म? 5 दिन वर्किंग लागू होने से ग्राहक सेवा, कर्मचारियों की संतुष्टि और डिजिटल बैंकिंग पर पड़ सकता है बड़ा प्रभाव। जानें, कैसे यह प्रस्ताव बदल सकता है भारत का बैंकिंग भविष्य।

By Praveen Singh
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Banking New Working Days: कब से होगा बैंकों में 5 दिन वर्किंग? रोजाना 40 मिनट एक्ट्रा खुलेंगे बैंक, ये है अपडेट

भारत में बैंकों के लिए 5 दिन वर्किंग की बहस एक बार फिर जोर पकड़ रही है। वर्तमान में, भारतीय बैंक सप्ताह में छह दिन काम करते हैं, जिसमें दूसरे और चौथे शनिवार को छुट्टी होती है। लंबे समय से बैंक कर्मचारियों और यूनियनों द्वारा 5 दिन वर्किंग की मांग की जा रही है। हालांकि, दिसंबर 2024 में इसे लागू किए जाने की उम्मीदें जताई गई थीं, लेकिन यह प्रस्ताव अब भी वित्त मंत्रालय की स्वीकृति के इंतजार में है।

क्या है 5 दिन वर्किंग का प्रस्ताव?

भारतीय बैंक संघ (IBA) और यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) ने कई बार 5 दिन वर्किंग का प्रस्ताव रखा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य बैंकिंग कार्यप्रणाली को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाना, कर्मचारियों के वर्क-लाइफ बैलेंस में सुधार करना और उत्पादकता को बढ़ावा देना है।

दिसंबर 2023 में IBA और बैंक यूनियनों के बीच एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें इस प्रस्ताव को शामिल किया गया। इसके बाद 8 मार्च 2024 को IBA और ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (AIBOC) ने 9वें जॉइंट नोट पर हस्ताक्षर किए, जिसमें शनिवार और रविवार को अवकाश के साथ 5 दिन वर्किंग लागू करने की योजना प्रस्तुत की गई।

ग्राहकों पर क्या पड़ेगा असर?

5 दिन वर्किंग लागू होने से बैंकिंग उपभोक्ताओं पर निश्चित रूप से कुछ प्रभाव पड़ेगा। उन इलाकों में, जहां डिजिटल बैंकिंग का उपयोग सीमित है, ग्राहक शाखाओं में जाने के लिए अपनी योजनाओं को नए सिरे से व्यवस्थित करना पड़ सकता है। हालांकि, बैंक यूनियनों ने इस बात का आश्वासन दिया है कि ग्राहक सेवा के घंटे पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसके लिए बैंक शाखाओं के कामकाजी समय को लगभग 40 मिनट बढ़ाने और डिजिटल बैंकिंग सेवाओं को मजबूत करने की योजना है।

5 दिन वर्किंग लागू करने में चुनौतियां

इस प्रस्ताव को लागू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना आवश्यक है:

1. नियामक स्वीकृति

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और वित्त मंत्रालय की स्वीकृति इस बदलाव को लागू करने के लिए अनिवार्य है। यह सुनिश्चित करना होगा कि 5 दिन वर्किंग से बैंकिंग प्रणाली की स्थिरता प्रभावित न हो।

2. बैंकिंग सेवाओं की सततता

भारत जैसे बड़े और विविधतापूर्ण देश में बिना रुके बैंकिंग सेवाओं को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। ग्राहकों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए बैंकिंग सेवाओं को सुचारू रूप से संचालित करना होगा।

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3. यूनियनों और प्रबंधन के बीच सहमति

काम के घंटे, वेतन और संचालन से जुड़े अन्य बदलावों पर कर्मचारियों और प्रबंधन के बीच आम सहमति बनाना एक जटिल प्रक्रिया है। इसके लिए पारदर्शी संवाद और रणनीतिक योजना की आवश्यकता होगी।

अन्य देशों में बैंकिंग कार्य प्रणाली

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई देशों में बैंक पहले से ही 5 दिन वर्किंग पर काम कर रहे हैं। भारतीय बैंकों के लिए इस मॉडल को अपनाने की प्रेरणा इन देशों से मिलती है। हालांकि, भारत की सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियां अलग हैं, इसलिए इस योजना को यहां लागू करने में विशेष ध्यान देना होगा।

आगे की राह

IBA और UFBU के बीच इस मुद्दे पर चर्चा जारी है। यूनियनों ने जल्द ही आंदोलन की योजना बनाने की घोषणा की है, ताकि इस मांग को और अधिक प्रभावशाली तरीके से रखा जा सके। ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कंफेडरेशन (AIBOC) के महासचिव रूपम रॉय ने इस पर जोर देते हुए कहा कि अन्य यूनियनों और संघों को भी इस आंदोलन में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है।

सरकार की ओर से इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट संकेत नहीं मिला है, लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह प्रस्ताव कब तक और कैसे लागू किया जाता है।

क्या होगा 5 दिन वर्किंग का असर?

यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो भारतीय बैंकिंग प्रणाली को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने में सहायता मिलेगी। साथ ही, कर्मचारियों की कार्यक्षमता और संतुष्टि में सुधार होने की संभावना है। ग्राहकों के लिए डिजिटल बैंकिंग के माध्यम से सेवाओं का विस्तार भी इस बदलाव का एक सकारात्मक पहलू हो सकता है।

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