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Electricity Rule: बिजली चोरी करते हुए पकड़े जाने पर मिलती है ये सजा, देखें कितना लगता है जुर्माना

बिजली चोरी करने पर हो सकती है जेल और हजारों का जुर्माना! इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, 2003 के तहत आपके लिए क्या हैं सजा और जुर्माने के नियम? यह जानकारी आपको चौंका देगी—अभी पढ़ें

By Praveen Singh
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Electricity Rule: बिजली चोरी करते हुए पकड़े जाने पर मिलती है ये सजा, देखें कितना लगता है जुर्माना
बिजली चोरी करते हुए पकड़े जाने पर मिलती है ये सजा

बिजली (Electricity) आज के समय में हर घर और उद्योग के लिए आवश्यक है, लेकिन इसके उपयोग से जुड़े नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करना उतना ही महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति बिजली चोरी करते हुए पकड़ा जाता है, तो उसे इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट (Indian Electricity Act), 2003 के तहत सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ता है। यह एक्ट बिजली के उत्पादन, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन को नियंत्रित करने के लिए बनाया गया है, जिसमें कुल 180 से अधिक सेक्शन शामिल हैं।

बिजली चोरी के क्या मायने हैं?

इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, 2003 के सेक्शन 135 के अनुसार, बिजली की चोरी तब मानी जाती है जब कोई व्यक्ति बिना अनुमति के किसी सप्लायर की लाइन से कनेक्शन लगाता है, बिजली के मीटर या अन्य उपकरणों के साथ छेड़छाड़ करता है ताकि खपत का सही रिकॉर्ड बदला जा सके, बिजली के उपकरणों को नुकसान पहुंचाता है जिससे सही खपत का हिसाब रखना मुश्किल हो जाए एवं बिजली का उपयोग उन उद्देश्यों के लिए करता है जो मूल रूप से निर्धारित नहीं थे।

ऐसे में बिजली चोरी या अन्य संबंधित अपराध इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के विभिन्न सेक्शनों के तहत आते हैं। इन अपराधों के लिए सजा की प्रकृति इस प्रकार है:

  • 10 किलोवाट से कम बिजली की चोरी
    • पहला अपराध: चोरी की गई बिजली की राशि का तीन गुना जुर्माना।
    • दूसरा या बाद का अपराध: चोरी की गई बिजली की राशि का छह गुना जुर्माना।
  • 10 किलोवाट से अधिक बिजली की चोरी
    • पहला अपराध: चोरी की गई राशि का तीन गुना जुर्माना।
    • दूसरा या बाद का अपराध: कम से कम छह महीने (अधिकतम पांच साल) की जेल और चोरी की राशि का छह गुना जुर्माना।

साथ ही, अपराधी की बिजली सप्लाई कम से कम तीन महीने के लिए बंद की जा सकती है, जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है।

धोखाधड़ी और अन्य अपराधों पर दंड

इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, 2003 के तहत, यदि कोई व्यक्ति बिजली के उपकरणों को नुकसान पहुंचाता है, और फर्जी दस्तावेज तैयार करता है, बिजली के डिस्ट्रीब्यूशन या डेटा रिपोर्टिंग में धोखाधड़ी करता है, तो यह गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है।

बिजली चोरी रोकने की जरूरत क्यों है?

बिजली चोरी न केवल एक अपराध है, बल्कि यह देश के पावर सेक्टर की स्थिरता और विकास को भी प्रभावित करता है। यह वैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित करती है कि सभी उपभोक्ता पारदर्शिता और न्यायपूर्ण तरीके से बिजली प्राप्त करें।

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(FAQs)

1. क्या मीटर खराब होने पर भी बिजली चोरी माना जा सकता है?
नहीं, यदि मीटर तकनीकी कारणों से खराब हो जाए तो इसे चोरी नहीं माना जाएगा। लेकिन जानबूझकर मीटर से छेड़छाड़ करना चोरी की श्रेणी में आता है।

2. बिजली चोरी के मामलों में क्या उपभोक्ता को सुनवाई का अधिकार है?
जी हां, आरोपी उपभोक्ता को न्यायालय में अपना पक्ष रखने का पूरा अधिकार है।

3. क्या बिजली चोरी के जुर्माने में छूट दी जा सकती है?
जुर्माना माफी का अधिकार बिजली बोर्ड या संबंधित प्राधिकरण के पास होता है।

इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट, 2003 ने बिजली चोरी को एक गंभीर अपराध घोषित किया है। यह न केवल देश की आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है, बल्कि उपभोक्ताओं के अधिकारों और कर्तव्यों को स्पष्ट करने का भी माध्यम है। बिजली चोरी से बचने और जिम्मेदार उपभोक्ता बनने की दिशा में कदम उठाना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।

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