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NO Detention Policy: सरकार का बड़ा फैसला, 5वीं से 8वीं कक्षा में फेल छात्र नहीं होंगे प्रमोट

नो डिटेंशन पॉलिसी पर केंद्र का अहम फैसला, शिक्षा में सुधार के लिए उठाया बड़ा कदम। जानिए, कैसे वार्षिक परीक्षाओं में फेल छात्रों को दोबारा मौका मिलेगा और शिक्षा का स्तर सुधरेगा। क्या ये बदलाव बच्चों के लिए फायदेमंद होगा? पूरी जानकारी के लिए पढ़ें

By Praveen Singh
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NO Detention Policy: सरकार का बड़ा फैसला, 5वीं से 8वीं कक्षा में फेल छात्र नहीं होंगे प्रमोट
NO Detention Policy

केंद्र सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा निर्णय लेते हुए नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy) को समाप्त कर दिया है। यह बदलाव आरटीई (Right to Education) अधिनियम के तहत किया गया है। अब कक्षा 5वीं से 8वीं के छात्रों को वार्षिक परीक्षा में फेल होने पर अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

No Detention Policy क्या है?

इस बदलाव का उद्देश्य छात्रों की अकादमिक सफलता सुनिश्चित करना और शिक्षा के स्तर को सुधारना है। शिक्षा मंत्रालय के सचिव संजय कुमार (Sanjay Kumar) ने बताया कि यह निर्णय बच्चों की शिक्षा को अधिक प्रभावी बनाने और उनके प्रदर्शन में सुधार के लिए लिया गया है। फेल छात्रों को पुनः परीक्षा देने का अवसर मिलेगा, लेकिन दो बार असफल होने पर उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

कब और क्यों लागू हुई थी नो डिटेंशन पॉलिसी?

No Detention Policy 2010-2011 में लागू की गई थी। इस नीति के तहत कक्षा 5वीं से 8वीं के छात्रों को बोर्ड परीक्षा से छूट दी गई और उन्हें फेल होने पर भी अगली कक्षा में प्रमोट किया जाने लगा। इसका उद्देश्य बच्चों को मानसिक तनाव से बचाना था। हालांकि, इस नीति के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट देखी गई, जिसे ध्यान में रखते हुए अब इसे समाप्त कर दिया गया है।

नए नियम के अनुसार छात्रों के लिए क्या बदल जाएगा?

नए नियमों के तहत, कक्षा 5वीं से 8वीं के छात्रों को अब वार्षिक परीक्षा में सफल होना अनिवार्य होगा। अगर कोई छात्र वार्षिक परीक्षा में फेल होता है, तो उसे दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा में बैठने का अवसर मिलेगा। यदि छात्र पुनः परीक्षा में भी सफल नहीं हो पाता है, तो उसे अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा। कक्षा 8वीं तक के छात्रों को स्कूल से निष्कासित (Expel) करने की अनुमति नहीं होगी।

किन स्कूलों पर लागू होंगे ये नए नियम?

केंद्र सरकार द्वारा यह नीति केन्द्रीय विद्यालयों (Kendriya Vidyalayas), प्राइवेट स्कूलों (Private Schools), नवोदय विद्यालयों (Navodaya Schools) और सैनिक स्कूलों (Sainik Schools) सहित सभी सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों पर लागू होगी।

राज्यों में पहले ही खत्म हो चुकी है नो डिटेंशन पॉलिसी

इस नीति को समाप्त करने का निर्णय कुछ राज्यों द्वारा पहले ही लिया जा चुका है। 2019 में आरटीई अधिनियम में संशोधन के बाद, गुजरात, कर्नाटक, झारखंड, दिल्ली और मध्यप्रदेश सहित 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे समाप्त कर दिया था। अब केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद, यह बदलाव पूरे देश में लागू हो जाएगा।

शिक्षा के स्तर को सुधारने की पहल

इस बदलाव से उम्मीद की जा रही है कि छात्रों में पढ़ाई को लेकर गंभीरता बढ़ेगी। साथ ही, वार्षिक परीक्षाओं के परिणामों पर ध्यान केंद्रित होने से छात्र बेहतर प्रदर्शन करेंगे। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि कक्षा 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में सुधार के लिए भी कदम उठाए जाएंगे। नई नीति के तहत छात्रों की शिक्षा को मजबूती मिलेगी और भविष्य में उन्हें बेहतर अवसर मिलेंगे।

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(FAQs)

Q1: नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy) क्या है?
यह एक ऐसी नीति थी, जिसके तहत कक्षा 5वीं से 8वीं के छात्रों को वार्षिक परीक्षा में फेल होने के बावजूद अगली कक्षा में प्रमोट कर दिया जाता था।

Q2: नो डिटेंशन पॉलिसी को क्यों समाप्त किया गया?
इस नीति के कारण शिक्षा के स्तर में गिरावट देखी गई। छात्रों की पढ़ाई में गंभीरता कम हो गई थी, जिसे सुधारने के लिए इसे समाप्त किया गया है।

Q3: नए नियमों के तहत फेल छात्रों का क्या होगा?
फेल छात्रों को दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा का अवसर दिया जाएगा। यदि वे इस परीक्षा में भी फेल होते हैं, तो उन्हें अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा।

Q4: किन स्कूलों पर यह नीति लागू होगी?
यह नीति केन्द्रीय विद्यालयों, प्राइवेट स्कूलों, सरकारी स्कूलों, नवोदय और सैनिक स्कूलों पर लागू होगी।

Q5: क्या नए नियम छात्रों पर दबाव बढ़ाएंगे?
सरकार का उद्देश्य छात्रों को शिक्षा के प्रति गंभीर बनाना है, न कि उन पर अनावश्यक दबाव डालना। पुनः परीक्षा का प्रावधान छात्रों को बेहतर तैयारी का अवसर देता है।

नो डिटेंशन पॉलिसी (No Detention Policy) को समाप्त करने का निर्णय शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए एक बड़ा कदम है। यह नीति छात्रों को अधिक अवसर और प्रतिस्पर्धात्मक माहौल देने के साथ उनकी अकादमिक योग्यता को बढ़ावा देने का काम करेगी। हालांकि, इसे लागू करते समय स्कूलों और अभिभावकों को बच्चों पर अनावश्यक दबाव डालने से बचना होगा।

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