राशन वितरण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने और अपात्र लाभार्थियों को हटाने के लिए खाद्य विभाग ने “GIVE-UP अभियान” शुरू किया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत, सीकर जिला रसद अधिकारी नरेश शर्मा ने जानकारी दी कि सक्षम परिवार 31 जनवरी 2025 तक स्वेच्छा से अपना नाम हटवा सकते हैं। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं, तो विभाग बाजार दर से राशन वसूली के साथ दंडात्मक कार्रवाई करेगा।
राशन कार्ड वाले सावधान
खाद्य सुरक्षा योजना के तहत अपात्र परिवारों की पहचान में विशेष मापदंड तय किए गए हैं। इसमें ऐसे परिवार शामिल हैं जिनमें कोई आयकरदाता हो, किसी सदस्य के पास चार पहिया वाहन हो (ट्रेक्टर, जो जीविकोपार्जन के लिए उपयोग होता है, उसे छोड़कर), वार्षिक आय एक लाख से अधिक हो, या सरकारी और अर्द्ध सरकारी कर्मचारी हों।
ऐसे परिवारों को अपने क्षेत्र की उचित मूल्य दुकान पर जाकर आवेदन पत्र जमा करना होगा। अभियान के दौरान अब तक, 3 दिसंबर 2024 से 7 जनवरी 2025 तक, 401 राशन कार्डों पर 1,852 सदस्यों को खाद्य सुरक्षा योजना से हटाया गया है।
अपात्र परिवारों पर होगी सख्ती
जो सरकारी कर्मचारी इस योजना के तहत राशन कार्ड का लाभ ले रहे हैं, उनसे वसूली सीधे उनके वेतन से की जाएगी। अगर नोटिस के बावजूद राशि जमा नहीं की जाती है, तो विभाग कानूनी कदम उठाने के साथ-साथ वेतन से सीधे कटौती करेगा। यह कदम उन गरीब परिवारों के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया जा रहा है, जिन्हें वास्तव में इन सुविधाओं की जरूरत है।
FAQs
प्रश्न 1: GIVE-UP अभियान के तहत आवेदन कैसे करें?
अपात्र परिवार अपनी नजदीकी उचित मूल्य दुकान पर जाकर आवेदन पत्र जमा कर सकते हैं।
प्रश्न 2: क्या ट्रेक्टर रखने वाले किसान इस योजना के तहत अपात्र माने जाएंगे?
नहीं, यदि ट्रेक्टर जीविकोपार्जन के लिए उपयोग किया जा रहा है, तो वह अपात्रता के दायरे में नहीं आएगा।
प्रश्न 3: अगर नाम नहीं हटाया तो क्या कार्रवाई होगी?
अपात्र परिवारों से राशन की बाजार दर पर वसूली की जाएगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है।
खाद्य सुरक्षा योजना में अपात्र लाभार्थियों को हटाने का यह अभियान न केवल पारदर्शिता लाने का प्रयास है, बल्कि उन परिवारों की मदद करने का एक कदम है, जिन्हें इस योजना की सबसे अधिक जरूरत है। अभियान में सक्रिय भागीदारी से समाज में समानता और न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है।