
निवेश के लिए बाजार में कई विकल्प उपलब्ध हैं, और हर निवेशक अपनी ज़रूरत, टाइमलाइन, जोखिम सहने की क्षमता और फाइनेंशियल गोल के अनुसार निवेश का चुनाव करता है। इन्हीं में से एक सुरक्षित और आकर्षक विकल्प फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) है। यह एक ऐसा निवेश साधन है, जो अधिक ब्याज दर ऑफर करता है। हालांकि, इससे मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है और टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (TDS) के दायरे में आता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) क्या है?
फिक्स्ड डिपॉजिट, जिसे आमतौर पर FD कहा जाता है, एक निवेश योजना है जिसमें व्यक्ति एक निश्चित राशि को तय अवधि के लिए बैंक में जमा करता है। इस दौरान जमा राशि पर एक पूर्व-निर्धारित ब्याज दर से रिटर्न मिलता है। FD निवेश को सुरक्षित और अधिक ब्याज वाला विकल्प माना जाता है। यह आमतौर पर सेविंग अकाउंट की तुलना में अधिक ब्याज दर प्रदान करता है।
निवेशक अपनी सुविधा के अनुसार ब्याज भुगतान की आवृत्ति चुन सकते हैं, जैसे कि मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना। कुछ FD योजनाएं मैच्योरिटी पर ही ब्याज भुगतान का विकल्प भी देती हैं, जिससे ब्याज पर कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है।
यह भी देखें: पोस्ट ऑफिस की इस स्कीम में एक बार करें निवेश, 5 साल बाद मिलेगा इतना रिटर्न
TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) क्या होता है?
TDS (Tax Deducted at Source) सरकार द्वारा इनकम टैक्स संग्रह का एक तरीका है, जिसमें टैक्स को कमाई के स्रोत पर ही काट लिया जाता है। टीडीएस विभिन्न प्रकार की आय पर लागू होता है, जैसे कि वेतन, किराया, कमीशन और ब्याज। सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए टीडीएस लागू करती है कि टैक्स पहले ही काट लिया जाए और व्यक्ति को बाद में इसकी भरपाई न करनी पड़े।
फिक्स्ड डिपॉजिट पर TDS कैसे लागू होता है?
फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है और यह व्यक्ति की टैक्स स्लैब के अनुसार जोड़ा जाता है। यदि FD से अर्जित ब्याज एक निश्चित सीमा से अधिक होता है, तो बैंक टीडीएस काट लेता है और इसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में जमा करता है। बाद में व्यक्ति इसे अपनी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में समायोजित कर सकता है।
टीडीएस की गणना कैसे होती है?
यदि किसी व्यक्ति को एक वित्तीय वर्ष में FD पर 40,000 रुपये से कम ब्याज प्राप्त होता है, तो उस पर कोई टीडीएस नहीं लगेगा। यदि ब्याज 40,000 रुपये से अधिक हो जाता है, तो बैंक 10% टीडीएस काटेगा। वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष या उससे अधिक) के लिए यह सीमा 50,000 रुपये होती है। यानी, 50,000 रुपये तक के ब्याज पर कोई टीडीएस नहीं लगेगा।
यदि निवेशक ने PAN कार्ड बैंक में अपडेट नहीं कराया है, तो टीडीएस की दर 10% के बजाय 20% हो जाएगी। यदि किसी व्यक्ति की कुल वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, तो वह फॉर्म 15G (नॉन-सीनियर सिटीजन) या फॉर्म 15H (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) भरकर बैंक से TDS नहीं काटने की अपील कर सकता है।
FD निवेशक के लिए TDS से बचने के उपाय
यदि किसी निवेशक के पास बड़ी राशि है, तो वह उसे विभिन्न बैंकों में विभाजित कर सकता है, जिससे प्रत्येक बैंक में मिलने वाला ब्याज टीडीएस सीमा से कम रहेगा। यदि आपकी कुल आय टैक्स छूट सीमा के भीतर आती है, तो यह फॉर्म भरकर आप TDS कटौती से बच सकते हैं।
5 साल या उससे अधिक की अवधि वाली टैक्स-सेविंग FD पर इनकम टैक्स छूट (धारा 80C के तहत) मिलती है, हालांकि इस पर TDS लागू हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति संयुक्त परिवार (HUF) के अंतर्गत निवेश कर रहा है या वरिष्ठ नागरिक FD चुनता है, तो उसे TDS से छूट मिल सकती है।
यह भी देखें: इस योजना में जमा करें 1000 रुपये और पाएं लाखों का फंड
FAQs
- क्या FD से मिलने वाले ब्याज पर इनकम टैक्स देना जरूरी है?
हां, FD से प्राप्त ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है और इसे आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है। - अगर मेरा ब्याज 40,000 रुपये से कम है, तो क्या मुझे TDS भरना होगा?
नहीं, यदि FD पर मिलने वाला ब्याज 40,000 रुपये से कम है, तो TDS नहीं काटा जाएगा। - क्या NRI निवेशकों पर भी TDS लागू होता है?
हां, NRI निवेशकों पर 30% TDS लागू होता है, भले ही ब्याज 40,000 रुपये से कम हो। - यदि बैंक ने TDS काट लिया है, तो क्या मुझे ITR फाइल करनी होगी?
हां, आपको ITR फाइल करना होगा ताकि यदि आपकी इनकम टैक्स छूट सीमा के अंदर है, तो आप रिफंड क्लेम कर सकें। - अगर मेरा PAN बैंक में अपडेट नहीं है, तो क्या होगा?
यदि बैंक में आपका PAN अपडेट नहीं है, तो TDS की दर 20% हो जाएगी, जो कि सामान्य 10% की तुलना में दोगुनी है।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक सुरक्षित और आकर्षक निवेश विकल्प है, जो बाजार जोखिमों से बचाने के साथ-साथ स्थिर रिटर्न देता है। लेकिन FD पर मिलने वाला ब्याज पूरी तरह टैक्सेबल होता है और यदि यह 40,000 रुपये (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रुपये) से अधिक होता है, तो बैंक TDS काटता है। हालांकि, निवेशक फॉर्म 15G/15H भरकर, निवेश को विभाजित करके या टैक्स-सेविंग FD का चुनाव करके TDS की कटौती से बच सकते हैं।