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बैंक डूबने पर कितने मिलेंगे पैसे? छोटे बैंक-बड़े बैंक सबके लिए ये नियम

क्या आपका पैसा सुरक्षित रहेगा? पढ़ें इस आर्टिकल में बैंक डूबने के बाद डिपॉजिट इंश्योरेंस, रूल्स और आपके पैसे की गारंटी के बारे में सब कुछ। जानिए क्या मिलेगा और कैसे।

By Praveen Singh
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बैंक डूबने पर कितने मिलेंगे पैसे? छोटे बैंक-बड़े बैंक सबके लिए ये नियम

भारत में बैंकिंग क्षेत्र का आकार बहुत बड़ा है। देश में लगभग 97619 बैंक हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 96000 ग्रामीण सहकारी बैंक हैं। इसके अलावा, 1485 शहरी सरकारी बैंक, 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, 22 निजी क्षेत्र के बैंक, 44 विदेशी बैंक और 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक भी शामिल हैं। हालांकि, अधिकतर लोग बड़े बैंकों में अपना खाता खोलना और फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करना ही पसंद करते हैं। बड़े बैंकों की बात करें तो HDFC Bank, ICICI बैंक और SBI जैसे बैंक शीर्ष स्थानों पर आते हैं।

देश के अधिकांश लोग बड़े बैंकों पर विश्वास करते हैं, लेकिन सवाल यह है कि छोटे बैंकों के मुकाबले क्या बड़े बैंक सुरक्षित होते हैं? क्या छोटे बैंक अपनी आर्थिक स्थिति के कारण खाता धारकों के लिए जोखिम पैदा करते हैं? और सबसे महत्वपूर्ण सवाल है, अगर कोई बैंक डूब जाए तो क्या होगा? क्या आपके पैसे सुरक्षित रहेंगे?

बैंक डूबने का कारण और प्रक्रिया

बैंक दिवालिया तब होता है जब उसकी देनदारी उसके पास मौजूद संपत्ति से अधिक हो जाती है। इस स्थिति में बैंक अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने में असमर्थ हो जाता है और आर्थिक संकट में घिर जाता है। सरल शब्दों में, जब बैंक की कमाई उसके खर्चों से कम हो जाती है और वह लगातार घाटे में चल रहा होता है, तो उसे दिवालिया घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद, अगर बैंक कर्ज नहीं चुका पाता या बैंक रन की स्थिति उत्पन्न होती है, तो बैंक को बंद कर दिया जाता है।

बैंक के डूबने पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि ग्राहकों को कितनी राशि मिलती है। यदि आपका बैंक डूब जाता है, तो आपको डिपॉजिट इंश्योरेंस की सुविधा के तहत कुछ राशि मिलती है।

बैंक डूबने पर इंश्योरेंस कवर

भारत में, जब किसी बैंक के डूबने का खतरा उत्पन्न होता है, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) ग्राहकों के लिए इंश्योरेंस कवर प्रदान करता है। शुरू में, यह कवर केवल 1 लाख रुपये था, लेकिन 2020 में इसे बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया। इसका मतलब है कि अगर आपके बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है, तो आपको अधिकतम 5 लाख रुपये की राशि मिल सकती है, चाहे आपके खाते में जमा राशि इससे अधिक हो।

यह डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर केवल बचत खातों, चालू खातों, और अन्य प्रकार के खातों पर लागू होता है। इसका लाभ आपको 90 दिनों के भीतर मिलता है, जब संकटग्रस्त बैंक को DICGC के पास सौंपा जाता है और फिर ग्राहकों के खातों पर बचे पैसे का भुगतान किया जाता है।

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क्या सभी बैंकों पर यह नियम लागू है?

यह नियम सभी बैंकों पर लागू होता है, चाहे वह सरकारी बैंक हो, निजी बैंक हो या विदेशी बैंक। लेकिन सहकारी समितियों को इस कवर से बाहर रखा गया है। उदाहरण के लिए, अगर आपने एक ही बैंक के अलग-अलग शाखाओं में खाता खोल रखा है, तो आपको 5 लाख रुपये की लिमिट के भीतर ही पैसे मिलेंगे, चाहे आपके खाते में उससे अधिक रकम जमा हो।

FD और अन्य जमा योजनाओं पर इंश्योरेंस

अगर आपने फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) या अन्य प्रकार की जमा योजनाओं में पैसे लगाए हैं, तो इन सभी राशियों को जोड़कर अधिकतम 5 लाख रुपये की सीमा के भीतर ही पैसा मिलेगा। यदि आपकी कुल जमा राशि 5 लाख से अधिक है, तो आपको केवल 5 लाख रुपये ही मिलेंगे।

दो अलग-अलग बैंकों में खाता रखने पर क्या होगा?

यदि आपने दो अलग-अलग बैंकों में खाता खोला है और दोनों बैंकों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाता है या वे डूब जाते हैं, तो आपको दोनों बैंकों से 5 लाख रुपये तक की राशि मिल सकती है। हर बैंक के लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस की अधिकतम सीमा 5 लाख रुपये है।

क्या सरकार बैंकों को बचाती है?

हालांकि बैंकों के डूबने की स्थिति में सरकार और रिजर्व बैंक की निगरानी होती है, लेकिन कई बार सरकार बैंकों को बचाने के लिए कठोर कदम उठाती है। हाल ही में, यस बैंक, लक्ष्मी निवास बैंक और पीएमसी बैंक जैसे बैंकों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई थी, लेकिन सरकार ने इन बैंकों को बचा लिया। इसलिए ग्राहकों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सरकार और RBI बैंकों की निगरानी करती हैं और उन्हें संकट की स्थिति में बचा लेती है।

बैंक डूबने से पहले क्या होता है?

बैंक के डूबने से पहले रिजर्व बैंक अपनी पैनी निगरानी के तहत बैंकों के कर्ज और लेन-देन पर ध्यान रखता है। अगर किसी बैंक को डूबने का खतरा होता है, तो RBI या DICGC पहले से ही बैंकों के खातों पर एक्शन लेकर खाताधारकों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

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