
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षा क्षेत्र में एक और बड़ा बदलाव होने जा रहा है, जो खासकर बीएड (शिक्षा स्नातक) कोर्स से संबंधित है। यह बदलाव शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने और इसे आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप ढालने के उद्देश्य से किया जा रहा है। बीएड पाठ्यक्रम में यह सुधार न केवल शिक्षकों की गुणवत्ता को बेहतर बनाएगा, बल्कि छात्रों के करियर के लिए भी नई संभावनाओं के द्वार खोलेगा।
2025 से लागू होगा एक वर्ष का नया प्रारूप
सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2025 तक बीएड कोर्स को नए प्रारूप में पेश किया जाएगा। 10 वर्षों में पहली बार, पाठ्यक्रम की अवधि को कम कर एक वर्ष का किया जाएगा। चार वर्षीय इंटीग्रेटेड डिग्री कोर्स को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए इस बदलाव को लागू किया जाएगा। यह बदलाव उन छात्रों के लिए भी फायदेमंद होगा, जिन्होंने स्नातक की चार वर्षीय डिग्री पूरी की है।
टीईटी नियमों में बदलाव की तैयारी
शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के नियमों में भी सुधार की प्रक्रिया जारी है। इसका उद्देश्य शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाना है। साथ ही, चार वर्षीय बीएड इंटीग्रेटेड कोर्स 2027 से पूरी तरह लागू कर दिया जाएगा, जिससे छात्रों को स्नातक और बीएड दोनों की पढ़ाई एक साथ करने का अवसर मिलेगा।
शिक्षा के चार स्तंभ
राष्ट्रीय शिक्षा परिषद ने यह सुनिश्चित किया है कि बीएड पाठ्यक्रम को फाउंडेशन, प्रिपेरटॉरी, मिडिल और सेकेंडरी स्तर के अनुरूप ढाला जाए। इस दृष्टिकोण के तहत शिक्षक को हर स्तर की शिक्षा के लिए विशेष रूप से तैयार किया जाएगा। यह न केवल शिक्षण प्रक्रिया को बेहतर बनाएगा, बल्कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता को भी सुधारने में मदद करेगा।
नए कोर्स और विशेषज्ञता के क्षेत्र
चार वर्षीय बीएड कोर्स में 2025 तक चार नए विशेषज्ञता क्षेत्रों को शामिल करने की योजना है। इनमें शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा, आयोग शिक्षा और संस्कार शिक्षा शामिल होंगे। इसके साथ ही, जो छात्र धार्मिक शिक्षक बनना चाहते हैं, उनके लिए भी यह कोर्स नए अवसर लाएगा।
फर्जी कॉलेजों पर सख्ती
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य फर्जी और बनावटी कॉलेजों पर सख्ती करना है। शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और छात्रों को सही मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। इससे शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता और अनुशासन कायम रहेगा।