
बिहार सरकार ने जमीन अधिग्रहण (Bihar Land Acquisition) प्रक्रिया में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए नया निर्देश जारी किया है। भू अर्जन निदेशालय के निदेशक कमलेश कुमार सिंह ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर स्पष्ट किया है कि सामाजिक प्रभाव आकलन (Social Impact Assessment) के लिए होने वाली जनसुनवाई में भू अर्जन पदाधिकारी की अनिवार्य उपस्थिति अब अनिवार्य होगी। इस कदम का उद्देश्य परियोजनाओं में देरी और जमीन मालिकों की शिकायतों को कम करना है।
Bihar Land News: 2013 के अधिनियम का पालन करने का आदेश
भू अर्जन अधिनियम, 2013 (Land Acquisition Act) के तहत, किसी भी परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण से पहले सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का आकलन करना जरूरी है। हालांकि, शिकायतें मिल रही थीं कि जनसुनवाई के दौरान जिला भू अर्जन पदाधिकारी (District Land Acquisition Officer) अक्सर अनुपस्थित रहते हैं, जिससे प्रक्रिया लटकती रहती है।
नए निर्देश में कहा गया है कि यदि मुख्य अधिकारी व्यस्त है, तो जिलाधिकारी किसी अन्य योग्य अधिकारी को नियुक्त कर सकते हैं। साथ ही, गैर-सरकारी एजेंसियों (NGOs) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट की समीक्षा भी सख्ती से की जाएगी।
रिन्यूएबल एनर्जी और आईपीओ जैसी परियोजनाओं पर असर
Bihar Land अधिग्रहण में देरी का सीधा असर बिजली, सड़क और रिन्यूएबल एनर्जी से जुड़ी योजनाओं पर पड़ता है। उदाहरण के लिए, सोलर प्लांट (Solar Plant) या विंड एनर्जी (Wind Energy) प्रोजेक्ट्स के लिए भूमि की उपलब्धता समय पर न होने से निवेशकों (Investors) का भरोसा डगमगाता है। इसी तरह, सार्वजनिक निर्माण परियोजनाओं के लिए आईपीओ (IPO) या फंड जुटाने में भी बाधाएं आती हैं। नए आदेश से इन चुनौतियों को कम करने की उम्मीद है।
FAQs
- जनसुनवाई में अधिकारी की अनुपस्थिति का क्या परिणाम होगा?
अब ऐसी सुनवाई तब तक अमान्य होगी, जब तक अधिकृत पदाधिकारी मौजूद नहीं है। - गैर-सरकारी एजेंसियों (NGOs) की भूमिका क्या है?
ये एजेंसियां सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट तैयार करती हैं, जिसे अब सरकारी अधिकारी गहनता से जाँचेंगे। - नए निर्देश से किसानों को क्या फायदा होगा?
प्रक्रिया तेज होने से मुआवजा समय पर मिलेगा, और जमीन मालिकों की आपत्तियों का त्वरित निवारण होगा।
बिहार सरकार का यह कदम जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। अधिकारियों की जवाबदेही तय करने से न केवल परियोजनाएं तेजी से पूरी होंगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के हितों की भी बेहतर सुरक्षा होगी।