
सरकार के नए टैक्स सुधारों के तहत टैक्सपेयर्स (Taxpayers) को बड़ी राहत मिलने जा रही है। न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) में किए गए बदलावों के कारण अनुमानित रूप से एक लाख करोड़ रुपए की टैक्स सेविंग होगी। यह फैसला देश के मध्यम वर्ग को राहत देने और डिस्पोजेबल इनकम (Disposable Income) बढ़ाने के मकसद से लिया गया है, जिससे आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
मार्जिनल रिलीफ से टैक्सपेयर को सीधा फायदा
मार्जिनल रिलीफ (Marginal Relief) उन रेजिडेंट इंडिविजुअल्स के लिए लागू होगी, जिनकी सालाना आय 12 लाख से 12.75 लाख रुपए के बीच है। यह प्रावधान उन करदाताओं के लिए है, जिनकी इनकम 12 लाख रुपए से थोड़ी अधिक है लेकिन वे टैक्स स्लैब (Tax Slab) की ऊंची दरों के कारण अधिक कर भरने को मजबूर होते थे।
सरकार ने नए बजट में इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 12 लाख रुपए कर दी है। यानी इस आय तक अब कोई टैक्स नहीं देना होगा। साथ ही, सैलरीड कर्मचारियों (Salaried Employees) को मिलने वाले 75,000 रुपए के स्टैंडर्ड डिडक्शन (Standard Deduction) को जोड़ने पर यह सीमा 12.75 लाख रुपए हो जाती है। इस सीमा के भीतर रहने वाले करदाताओं को मार्जिनल रिलीफ का सीधा फायदा मिलेगा।
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मार्जिनल रिलीफ का असर
यदि कोई नॉन-सैलरीड इंडिविजुअल (Non-Salaried Individual) सालाना 12.1 लाख रुपए कमाता है, तो उसे सामान्य टैक्स स्लैब के हिसाब से 61,500 रुपए इनकम टैक्स भरना पड़ता। लेकिन मार्जिनल रिलीफ लागू होने के बाद उसकी टैक्स लायबिलिटी (Tax Liability) घटकर 10,000 रुपए रह जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया गया है कि आय 12 लाख रुपए से थोड़ी अधिक होने पर कर का अनुपातिक भार न बढ़े।
रिबेट (Rebate) और मार्जिनल रिलीफ में क्या अंतर?
रिबेट (Rebate) उन लोगों को दी जाती है, जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपए या उससे कम है। ऐसे टैक्सपेयर्स को फुल टैक्स एग्जेम्पशन (Full Tax Exemption) मिलता है। मार्जिनल रिलीफ उन व्यक्तियों के लिए है जिनकी आय 12 लाख से 12.75 लाख रुपए के बीच है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वे अनुपातहीन रूप से अधिक कर का बोझ न झेलें।
नए टैक्स नियम से क्या बदलेगा?
सरकार के अनुसार, टैक्स सेविंग से आम लोगों के हाथ में अधिक पैसे बचेंगे जिससे उनकी फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी (Financial Flexibility) बढ़ेगी। इससे मध्यम वर्गीय परिवारों को राहत मिलेगी और उनकी खर्च करने की क्षमता में वृद्धि होगी। अर्थव्यवस्था में कंजम्पशन (Consumption) और इन्वेस्टमेंट (Investment) को बढ़ावा मिलेगा जिससे बाजार में नकदी प्रवाह बेहतर होगा।
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FAQs
1. मार्जिनल रिलीफ किन टैक्सपेयर्स को मिलेगा?
मार्जिनल रिलीफ केवल उन रेजिडेंट इंडिविजुअल्स को मिलेगा जिनकी सालाना इनकम 12 लाख से 12.75 लाख रुपए के बीच है।
2. मार्जिनल रिलीफ और टैक्स रिबेट में क्या अंतर है?
टैक्स रिबेट उन लोगों को मिलती है जिनकी आय 12 लाख या उससे कम है, जबकि मार्जिनल रिलीफ 12 से 12.75 लाख के बीच आय वाले टैक्सपेयर्स को दी जाती है।
3. मार्जिनल रिलीफ से कितनी टैक्स बचत होगी?
यह आय पर निर्भर करता है, लेकिन एक औसत टैक्सपेयर की 50,000 रुपए या उससे अधिक की टैक्स सेविंग हो सकती है।
4. क्या 12.75 लाख से अधिक कमाने वालों को भी यह छूट मिलेगी?
नहीं, 12.75 लाख से अधिक कमाने वालों को मार्जिनल रिलीफ नहीं मिलेगी और उन्हें निर्धारित टैक्स दरों के हिसाब से ही टैक्स भरना होगा।
5. क्या यह नया टैक्स नियम पुरानी टैक्स व्यवस्था पर भी लागू होगा?
नहीं, यह सिर्फ न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) पर लागू होगा।
न्यू टैक्स रिजीम में किए गए इस महत्वपूर्ण बदलाव से करदाताओं को बड़ी राहत मिलेगी और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। मार्जिनल रिलीफ से यह सुनिश्चित किया गया है कि इनकम टैक्स का भार तर्कसंगत तरीके से लागू हो और मध्यम वर्गीय परिवारों को अधिक वित्तीय स्वतंत्रता (Financial Freedom) मिले।