आगामी बजट 2025 को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। अगर बैंकों द्वारा सरकार को दिए गए सुझावों पर अमल किया गया, तो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स से राहत मिल सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को बजट पेश करने वाली हैं, और टैक्सपेयर से लेकर नॉन-टैक्सपेयर तक हर वर्ग को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं।
बैंकों ने क्यों की FD पर टैक्स हटाने की मांग?
अभी तक FD पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है। हालांकि, हाल ही में बैंकों ने सरकार से मांग की है कि एफडी पर टैक्स को समाप्त किया जाए या इसमें रियायत दी जाए। बैंकों का कहना है कि इससे बचत (Savings) को प्रोत्साहन मिलेगा और बैंक जमा (Bank Deposits) में इजाफा होगा।
बैंकों के मुताबिक, हाल के दिनों में बचत में कमी देखी गई है, जिसके चलते लोन देने के लिए बैंकों को पर्याप्त कैश फ्लो नहीं मिल पा रहा है। अगर एफडी पर टैक्स कम होता है, तो आम लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा बैंकों में जमा करेंगे, जिससे बैंकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
FD पर टैक्स इंसेंटिव से आम आदमी को क्या फायदा?
यदि यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया तो इसका सीधा फायदा उन लोगों को होगा जो अपनी जरूरतें एफडी पर मिलने वाले ब्याज से पूरी करते हैं। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी व्यक्ति के पास 10 लाख रुपये की एफडी है और उस पर 8% सालाना ब्याज मिलता है, तो पांच साल में उसे 4 लाख रुपये का ब्याज मिलेगा।
वर्तमान नियमों के अनुसार, यदि वह व्यक्ति 30% इनकम टैक्स स्लैब में आता है, तो 3.60 लाख रुपये पर 30% टैक्स देना होगा, जो कि 1.08 लाख रुपये होगा। लेकिन यदि एफडी पर टैक्स हट जाता है या शेयर बाजार के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) टैक्स के बराबर कर दिया जाता है, तो टैक्स सिर्फ 12.5% होगा। इससे टैक्स का बोझ घटकर केवल 45,000 रुपये रह जाएगा और उसे 63,000 रुपये का सीधा लाभ होगा।
शेयर बाजार पर कम टैक्स, FD पर ज्यादा क्यों?
एडलवाइस म्यूचुअल फंड की एमडी और सीईओ राधिका गुप्ता ने बजट से पहले वित्त मंत्री के साथ हुई बैठक में सुझाव दिया कि कैपिटल मार्केट में लॉन्ग-टर्म सेविंग्स को प्रोत्साहन दिया जाए। शेयर बाजार में पैसा लगाने पर वर्तमान में कम टैक्स लगता है, जबकि एफडी पर अधिक।
उन्होंने कहा कि बॉन्ड और इक्विटी शेयरों में निवेश को बढ़ावा देने के लिए इस तरह के टैक्स सुधार जरूरी हैं। इसी संदर्भ में बैंकों ने यह भी कहा कि अगर शेयर बाजार के मुकाबले एफडी पर ज्यादा टैक्स लगता रहेगा, तो लोग बैंक में पैसा जमा करने के बजाय शेयर बाजार में पैसा लगाएंगे।
एफडी टैक्स छूट का आर्थिक असर
अगर वित्त मंत्री एफडी पर टैक्स में छूट देने का ऐलान करती हैं, तो इससे न सिर्फ व्यक्तिगत बचत में वृद्धि होगी, बल्कि बैंकों की वित्तीय स्थिति भी बेहतर होगी। टैक्स इंसेंटिव से लोग बैंक डिपॉजिट में अधिक निवेश करेंगे। बैंकों के पास पर्याप्त फंड होगा, जिससे लोन की उपलब्धता बढ़ेगी। बैंकिंग सेक्टर की मजबूती से पूरे वित्तीय तंत्र को फायदा होगा।
बजट 2025 से क्या हैं उम्मीदें?
बजट 2025 से न सिर्फ टैक्सपेयर बल्कि आम लोगों को भी बड़ी उम्मीदें हैं। एफडी टैक्स के अलावा, रिन्यूएबल एनर्जी, स्टार्टअप्स, और कृषि क्षेत्र के लिए भी नए प्रोत्साहन की उम्मीद की जा रही है। बैंकों के सुझावों पर अमल करते हुए यदि सरकार टैक्स रियायत देती है, तो यह कदम बचत और बैंकिंग सेक्टर दोनों के लिए क्रांतिकारी साबित हो सकता है।
FAQs
1. क्या बजट 2025 में एफडी पर टैक्स पूरी तरह खत्म होगा?
वित्त मंत्री की घोषणा का इंतजार है। बैंकों ने टैक्स खत्म करने का सुझाव दिया है, लेकिन अंतिम निर्णय बजट पेश होने पर ही पता चलेगा।
2. वर्तमान में एफडी पर कितना टैक्स लगता है?
एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर व्यक्ति की आय के अनुसार टैक्स स्लैब लागू होता है।
3. एफडी पर टैक्स खत्म होने से आम आदमी को क्या लाभ होगा?
इससे एफडी पर ब्याज का बड़ा हिस्सा बच सकेगा, जो अभी टैक्स में चला जाता है।
4. क्या शेयर बाजार पर टैक्स एफडी से कम है?
हां, शेयर बाजार में लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन टैक्स 12.5% है, जो एफडी टैक्स से कम है।
5. बैंकों ने यह मांग क्यों की है?
बचत में कमी और कैश फ्लो की समस्या के चलते बैंकों ने एफडी पर टैक्स इंसेंटिव की मांग की है।