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सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, पति से बदला लेने के लिए हो रहा क्रूरता कानून का गलत इस्तेमाल, क्या है मामला जानें

क्या दहेज उत्पीड़न कानून का इस्तेमाल बदले की साजिश के लिए हो रहा है? सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा बयान, निर्दोषों को बचाने और कानूनी प्रक्रियाओं के दुरुपयोग पर रोशनी डाली। जानिए, इस मामले में नया क्या कहा गया।

By Praveen Singh
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सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, पति से बदला लेने के लिए हो रहा क्रूरता कानून का गलत इस्तेमाल, क्या है मामला जानें
पति से बदला लेने के लिए हो रहा क्रूरता कानून का गलत इस्तेमाल

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दहेज उत्पीड़न (धारा 498ए) के बढ़ते दुरुपयोग को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि वैवाहिक विवादों में कानून का गलत इस्तेमाल रोकने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब सॉफ्टवेयर इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी का मामला चर्चा में है।

न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा कि दहेज उत्पीड़न जैसे मामलों में बिना ठोस सबूत के पति और उनके परिवार के खिलाफ आरोपों को प्राथमिक स्तर पर ही रोक देना चाहिए। वैवाहिक विवादों में परिवार के सदस्यों को फंसाने की प्रवृत्ति पर अदालत ने चिंता व्यक्त की। पीठ ने स्पष्ट किया कि अस्पष्ट और सामान्य आरोपों को आपराधिक मुकदमे का आधार नहीं बनाया जा सकता।

पति से बदला लेने के लिए हो रहा क्रूरता कानून का गलत इस्तेमाल

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 498ए को दहेज उत्पीड़न और क्रूरता रोकने के उद्देश्य से लागू किया गया था। इसका उद्देश्य महिलाओं को त्वरित न्याय प्रदान करना और ससुराल में होने वाले अत्याचार को खत्म करना है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल के वर्षों में इस प्रावधान का दुरुपयोग बढ़ रहा है।

अदालत ने यह भी कहा कि वैवाहिक विवादों में आईपीसी की धारा 498ए का इस्तेमाल व्यक्तिगत प्रतिशोध लेने और पति एवं उनके परिवार को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। अदालत ने इस प्रवृत्ति को रोकने की जरूरत पर जोर दिया।

अतुल सुभाष की खुदकुशी: क्या कहता है मामला?

अतुल सुभाष, जो एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे, ने हाल ही में आत्महत्या कर ली। उनकी खुदकुशी के पीछे उनकी पत्नी द्वारा लगाए गए दहेज उत्पीड़न के आरोपों को बताया जा रहा है। अदालत ने इस मामले को उदाहरण के रूप में प्रस्तुत करते हुए कहा कि बिना ठोस सबूत के आरोप लगाना निर्दोष लोगों को मानसिक और सामाजिक रूप से प्रभावित करता है।

वैवाहिक विवादों में सावधानी की आवश्यकता

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कानून का इस्तेमाल किसी निर्दोष व्यक्ति को परेशान करने के लिए न हो। साथ ही, न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी महिला जो वास्तव में उत्पीड़न का शिकार है, उसे अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है।

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FAQs

1. धारा 498ए क्या है?
धारा 498ए भारतीय दंड संहिता का प्रावधान है, जो दहेज उत्पीड़न और वैवाहिक क्रूरता से महिलाओं की सुरक्षा के लिए लागू किया गया है।

2. दहेज उत्पीड़न मामलों में सबसे बड़ी समस्या क्या है?
इन मामलों में अक्सर बिना सबूत के पति और उनके परिजनों के खिलाफ शिकायतें दर्ज कराई जाती हैं, जिससे निर्दोष लोग परेशान होते हैं।

3. अदालतें दहेज उत्पीड़न मामलों में क्या कदम उठा रही हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में ठोस सबूत और विशिष्ट आरोपों के बिना कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी वैवाहिक विवादों में कानून का संतुलित उपयोग सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। अदालत ने दहेज उत्पीड़न कानून के दुरुपयोग को रोकने और निर्दोष व्यक्तियों की सुरक्षा पर जोर दिया है।

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0 thoughts on “सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी, पति से बदला लेने के लिए हो रहा क्रूरता कानून का गलत इस्तेमाल, क्या है मामला जानें”

  1. मेरा मुकदमा 498A 22 साल चला उसकेबाद mutul understanding par सेटल्ड हुआ।पूरा जीवन बर्बाद हो गया,घर वाले भी अदालतों का चक्कर लगाते लगाते परेशान हो गए,पिता श्री स्वर्ग सिधार गए, पारिवारिक जिम्मेदारी अभी भी बाकी हे।सबसे ज्यादा परेशान जजों ने किया,।

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