
क्या माता-पिता को अपने बच्चों की संपत्ति पर हक होता है? यह सवाल अक्सर लोगों के बीच चर्चा का विषय बनता है, खासकर जब परिवारों में संपत्ति के विवाद उठते हैं। बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता का अधिकार एक जटिल मुद्दा है, और भारतीय कानून इसमें विशेष परिस्थितियों के तहत अधिकारों का निर्धारण करता है। आज हम आपको भारतीय कानून के अनुसार इस मुद्दे पर पूरी जानकारी देने जा रहे हैं।
बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता का हक
भारतीय कानून, खासकर हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 2005 के तहत माता-पिता अपने बच्चों की संपत्ति पर सामान्य रूप से दावा नहीं कर सकते। हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में वे बच्चों की संपत्ति पर अधिकार जता सकते हैं। यह कानून इस बात का निर्धारण करता है कि किन परिस्थितियों में माता-पिता को अपने बच्चों की संपत्ति पर हक हो सकता है। इन परिस्थितियों में मुख्यत: बच्चों की मृत्यु के बाद संपत्ति का अधिकार होता है।
विशेष परिस्थितियों में माता-पिता का अधिकार
अगर किसी बच्चे की असामयिक मौत किसी दुर्घटना या बीमारी के कारण हो जाती है, तो माता-पिता को उसकी संपत्ति पर अधिकार मिलता है। इसके अतिरिक्त, अगर बच्चा बालिग (अर्थात 18 वर्ष से ऊपर) और अविवाहित हो, तो उसकी मृत्यु होने पर भी माता-पिता की संपत्ति पर कुछ अधिकार हो सकते हैं। हालांकि, इस दौरान भी माता-पिता को संपत्ति पर पूरी तरह से अधिकार नहीं मिलता है। बल्कि, दोनों माता-पिता के अधिकारों को अलग-अलग माना जाता है।
मां का अधिकार: पहली वारिस
भारतीय कानून के तहत बच्चों की संपत्ति पर पहला हक उनकी मां का होता है। मां को ही प्राथमिक वारिस माना जाता है। इसका मतलब है कि अगर बच्चे की मृत्यु हो जाती है, तो उसकी संपत्ति पर सबसे पहले मां का हक होगा। यदि मां जीवित नहीं हैं, तो पिता को उस संपत्ति पर अधिकार मिलता है। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है क्योंकि अक्सर उत्तराधिकारी के रूप में कई लोग संपत्ति पर दावा करते हैं, और ऐसे में हर किसी को न्यायसंगत अधिकार मिल सके, इसके लिए इस प्रकार का नियम रखा गया है।
बेटा और बेटी के लिए अलग-अलग कानून
अगर बच्चा लड़का है और शादीशुदा नहीं है, तो उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर पहला हक उसकी मां का होगा। इस स्थिति में, पिता को दूसरा अधिकार प्राप्त होगा। अगर मां भी नहीं हैं, तो पिता और अन्य वारिसों के बीच संपत्ति का बंटवारा किया जाएगा।
वहीं, अगर लड़का शादीशुदा है, तो उसकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति पर सबसे पहले उसकी पत्नी का हक होगा। यह स्थिति यह सुनिश्चित करती है कि पत्नी को अपने पति की संपत्ति में प्राथमिक अधिकार मिले।
इसी प्रकार, अगर बेटी शादीशुदा है और किसी कारणवश उसकी मृत्यु हो जाती है, तो उसकी संपत्ति पर पहले हक उसके बच्चों का होगा। अगर बच्चों का अस्तित्व नहीं है, तो पति को संपत्ति का हक मिलेगा। यदि पति भी नहीं है, तो फिर मां-बाप का हक संपत्ति पर आएगा।
माता-पिता का हक
इस प्रकार, भारतीय कानून में यह स्पष्ट किया गया है कि बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता का हक कई विशेष परिस्थितियों में ही मान्य होता है। सामान्य तौर पर माता-पिता अपने बच्चों की संपत्ति पर दावा नहीं कर सकते, लेकिन यदि बच्चा अविवाहित हो और बालिग हो, या अगर बच्चा असामयिक रूप से मृत्यु को प्राप्त कर जाए, तो माता-पिता को बच्चों की संपत्ति पर अपना अधिकार जताने का हक प्राप्त होता है। इसके अलावा, मां को प्राथमिक हक दिया जाता है, फिर पिता को और अंत में अन्य वारिसों के बीच बंटवारा किया जाता है।