दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट परेशान, कहा निर्दोष पति और परिवार ना फंसे

क्या दहेज कानून बन रहा है निर्दोष परिवारों के लिए सजा? सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश को खारिज करते हुए जताई गहरी चिंता। जानें, क्यों अदालत ने कहा कि ठोस सबूतों के बिना पूरे परिवार को फंसाना गलत है!

By Praveen Singh
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दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट परेशान, कहा निर्दोष पति और परिवार ना फंसे
दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट परेशान

दहेज उत्पीड़न के मामलों में बढ़ते दुरुपयोग पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। न्यायालय ने कहा है कि निर्दोष पति और उनके परिवार के सदस्यों को कानून के गलत इस्तेमाल के कारण अनावश्यक परेशानियों का सामना नहीं करना चाहिए। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने यह महत्वपूर्ण बयान दिया, खासतौर पर तेलंगाना हाई कोर्ट के एक मामले को लेकर।

दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट परेशान

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वैवाहिक विवादों में अक्सर पति के पूरे परिवार को गलत तरीके से आरोपों में घसीटने की प्रवृत्ति बढ़ रही है। अदालत ने कहा कि बिना ठोस सबूतों के सामान्य आरोप आपराधिक अभियोजन का आधार नहीं बन सकते। यह चिंता उस समय और बढ़ जाती है जब परिवार के निर्दोष सदस्यों को भी कानूनी प्रक्रिया का सामना करना पड़ता है।

तेलंगाना हाई कोर्ट के आदेश को खारिज किया गया

सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना हाई कोर्ट के एक आदेश को खारिज करते हुए कहा कि पति और उनके परिवार के सदस्यों पर लगाए गए आरोपों में सक्रिय भागीदारी के ठोस प्रमाण नहीं थे। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि आईपीसी की धारा 498ए के तहत किसी भी महिला को क्रूरता का सामना करना पड़े तो वह अपनी आवाज जरूर उठाए, लेकिन यह सुनिश्चित होना चाहिए कि कानून का दुरुपयोग न हो।

आईपीसी की धारा 498ए का उद्देश्य

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए को महिलाओं के खिलाफ क्रूरता रोकने के उद्देश्य से शामिल किया गया था। यह प्रावधान महिलाओं को उनके पति और परिवार के अन्य सदस्यों द्वारा उत्पीड़न से बचाने के लिए है। हालांकि, अदालत ने देखा है कि इस धारा का दुरुपयोग व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए किया जा रहा है।

कोर्ट की सख्त हिदायत

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को ऐसे मामलों में सतर्क रहना चाहिए और ठोस सबूतों के बिना अभियोजन नहीं चलाना चाहिए। अदालत ने कहा कि निर्दोष परिवार के सदस्यों को अनावश्यक कानूनी परेशानियों से बचाना न्यायिक प्रक्रिया की प्राथमिकता होनी चाहिए।

FAQs

1. दहेज कानून का उद्देश्य क्या है?
आईपीसी की धारा 498ए का उद्देश्य महिलाओं को उनके पति और परिवार के सदस्यों द्वारा किए जाने वाले उत्पीड़न से बचाना है।

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2. दहेज कानून का दुरुपयोग कैसे होता है?
इस कानून का उपयोग कभी-कभी वैवाहिक विवादों में व्यक्तिगत प्रतिशोध के लिए किया जाता है, जिससे निर्दोष पति और उनके परिवार के सदस्यों को परेशान किया जाता है।

3. सुप्रीम कोर्ट ने दहेज कानून पर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ऐसे मामलों में अदालतों को सतर्क रहना चाहिए और बिना ठोस सबूतों के अभियोजन से बचना चाहिए।

4. निर्दोष पति और परिवार के अधिकार कैसे सुरक्षित किए जा सकते हैं?
न्यायालय ने सुझाव दिया है कि प्रारंभिक जांच और ठोस सबूतों के अभाव में परिवार के सदस्यों का नाम अभियोजन में शामिल नहीं होना चाहिए।

दहेज कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान है, लेकिन इसका दुरुपयोग न केवल निर्दोष परिवारों के लिए कष्टकारी है, बल्कि कानून की प्रभावशीलता को भी कमजोर करता है। न्यायालयों की सतर्कता और संतुलित दृष्टिकोण इस मुद्दे का समाधान हो सकता है।

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