60 सेकंड में अर्जेंट लोन लें

सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सरकार भी नहीं कर सकती अब किसी की निजी संपत्ति पर कब्जा

सुप्रीम कोर्ट ने 7:2 के ऐतिहासिक बहुमत से तय की निजी संपत्तियों पर सरकार के अधिकार की सीमा। जानें कैसे यह फैसला आपकी संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करता है और किन मामलों में सरकार संपत्ति ले सकती है। यह आपके अधिकारों और संविधान की नई व्याख्या से जुड़ा एक महत्वपूर्ण फैसला है।

By Praveen Singh
Published on
सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, सरकार भी नहीं कर सकती अब किसी की निजी संपत्ति पर कब्जा
सरकार भी नहीं कर सकती अब किसी की निजी संपत्ति पर कब्जा

सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में निजी संपत्तियों को समुदाय के भौतिक संसाधन मानने और उन्हें राज्य द्वारा सार्वजनिक भलाई के लिए अधिग्रहित करने के अधिकार पर महत्वपूर्ण रोक लगाई है। नौ न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 7:2 के बहुमत से कहा है कि हर निजी संपत्ति (Private Property) को सामुदायिक संसाधन नहीं माना जा सकता।

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि केवल कुछ खास परिस्थितियों में ही राज्य प्राइवेट प्रॉपर्टी को अपने अधिकार में ले सकता है। यह निर्णय संविधान के अनुच्छेद 39(बी) और 31सी की व्याख्या के लिए एक मील का पत्थर साबित हुआ है।

सरकार भी नहीं कर सकती अब किसी की निजी संपत्ति पर कब्जा

यह फैसला महाराष्ट्र के एक मामले से संबंधित है, जिसमें प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन एवं अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य का विषय शामिल था। अदालत ने कहा कि किसी निजी स्वामित्व वाली संपत्ति को समुदाय का संसाधन मानने के लिए उसे कुछ विशेष परीक्षणों को पार करना होगा।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि केवल इसलिए किसी संपत्ति को सार्वजनिक भलाई के लिए आवश्यक नहीं माना जा सकता क्योंकि वह भौतिक आवश्यकताओं को पूरा करती है। ऐसे मामलों में संसाधन की प्रकृति, उसके उपयोग की विशेषता और समुदाय पर उसके प्रभाव जैसे पहलुओं का मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

संविधान के अनुच्छेद 39(बी) की व्याख्या

संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत संसाधनों की परिभाषा पर अदालत ने महत्वपूर्ण टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि संसाधन की प्रकृति, उसकी कमी, और उसके निजी स्वामित्व में केंद्रित होने के प्रभाव पर विचार किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने ‘पब्लिक ट्रस्ट सिद्धांत’ का जिक्र करते हुए इसे संसाधनों की पहचान में मददगार बताया।

जस्टिस नागरत्ना और जस्टिस धूलिया के अलग विचार

जहां जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने बहुमत से आंशिक सहमति जताई, वहीं जस्टिस सुधांशु धूलिया ने इससे असहमति जताई। उन्होंने कहा कि संसाधनों को नियंत्रित और वितरित करना संसद का विशेषाधिकार है, और न्यायालय द्वारा इसे परिभाषित करना उचित नहीं है।

यह भी देखें सावधान! यहाँ बनाने जा रहे हैं घर, लागू हुआ यह नया नियम…जान लो पहले ही

सावधान! यहाँ बनाने जा रहे हैं घर, लागू हुआ यह नया नियम…जान लो पहले ही

FAQs

1. क्या इस फैसले का सभी निजी संपत्तियों पर प्रभाव होगा?
नहीं, केवल उन्हीं संपत्तियों पर यह लागू होगा जो संविधान के अनुच्छेद 39(बी) के तहत विशेष परीक्षणों को पूरा करती हैं।

2. सरकार किन परिस्थितियों में निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती है?
यह अधिग्रहण केवल सार्वजनिक भलाई और अनुच्छेद 39(बी) के तहत निर्धारित नियमों के तहत ही संभव होगा।

3. क्या यह फैसला संपत्ति विवादों पर लागू होगा?
यह फैसला मुख्य रूप से सार्वजनिक भलाई के लिए संसाधनों के अधिग्रहण से संबंधित मामलों पर लागू होता है।

यह फैसला निजी संपत्तियों के स्वामित्व पर व्यक्ति के अधिकार को मजबूत करता है और राज्य द्वारा अधिग्रहण की प्रक्रिया को सीमित करता है। यह फैसला संविधान की व्याख्या और व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है।

यह भी देखें Post Office Scheme: पोस्ट ऑफिस की ये गजब स्कीम, हर महीने इतने जमाकर बनें लखपति!

Post Office Scheme: पोस्ट ऑफिस की ये गजब स्कीम, हर महीने इतने जमाकर बनें लखपति!

Leave a Comment