इस SIP से बनेंगे 1 करोड़            

हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, किराए की प्रॉपर्टी के इस्तेमाल पर किराएदार का कितना हक?

क्या मकानमालिक को है अपनी प्रॉपर्टी पर पूरा अधिकार? हाईकोर्ट ने इस विवाद पर सुनाया ऐसा फैसला, जो सैकड़ों मामलों के लिए बनेगा नजीर। जानिए, कोर्ट ने किरायेदार को दिया कितना समय और क्या है इस फैसले की अहमियत।

By Praveen Singh
Published on
हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, किराए की प्रॉपर्टी के इस्तेमाल पर किराएदार का कितना हक?

मकानमालिक और किरायेदारों के बीच विवादों की फेहरिस्त में एक महत्वपूर्ण मामला बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में आया, जिसने इस प्रकार के विवादों को लेकर कई पहलुओं पर स्पष्टता प्रदान की। यह मामला एक ऐसे किरायेदार से संबंधित था, जो लगभग तीन दशकों से एक घर में रह रहा था और मकानमालिक के आग्रह के बावजूद उसे खाली करने को तैयार नहीं था। कोर्ट के इस फैसले ने यह स्थापित किया कि मकानमालिक को अपनी प्रॉपर्टी के उपयोग को लेकर पूरी स्वतंत्रता है।

मामला क्या है?

इस मामले में याचिकाकर्ता एक 80 वर्षीय पूर्व सैनिक और उनकी पत्नी हैं। उन्होंने अपने घर में एक किरायेदार को साल 1989 में रहने दिया था। यह किरायेदारी साल 2003 में खत्म हो चुकी थी, लेकिन किरायेदार ने घर खाली नहीं किया। बुजुर्ग दंपत्ति की बिगड़ती सेहत के चलते उन्होंने अपनी प्रॉपर्टी को खाली करने का अनुरोध किया ताकि एक नर्स को वहां रहने की जगह दी जा सके, जो उनकी देखभाल कर सके।

किरायेदार ने यह कहकर घर खाली करने से मना कर दिया कि घर में पर्याप्त जगह है और वे सभी वहां आराम से रह सकते हैं। मकानमालिक को मजबूरन कोर्ट का रुख करना पड़ा।

लोअर कोर्ट का फैसला

शुरुआत में मामला लोअर कोर्ट में गया, जिसने किरायेदार के पक्ष में फैसला सुनाया। लोअर कोर्ट ने कहा कि दंपत्ति अपनी बीमारी और देखभाल की जरूरतों के लिए ठोस सबूत पेश नहीं कर सके। इससे यह मामला और जटिल हो गया।

दिल्ली हाईकोर्ट ने बदला फैसला

हालांकि, बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने लोअर कोर्ट के फैसले को पलटते हुए मकानमालिक के हक में आदेश दिया। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि मकानमालिक को अपनी प्रॉपर्टी पर यह अधिकार है कि वह उसे अपनी सुविधा और जरूरतों के अनुसार इस्तेमाल कर सके।

यह भी देखें Online Paise Kaise Kamaye: इन 5 तरीकों से कमाओं घर बैठे 50 हजार महीना

Online Paise Kaise Kamaye: इन 5 तरीकों से कमाओं घर बैठे 50 हजार महीना

कोर्ट ने कहा, “एक किरायेदार मकानमालिक को यह नहीं बता सकता कि उसकी प्रॉपर्टी का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए। मकानमालिक अपनी आवश्यकताओं को सबसे अच्छे तरीके से समझ सकता है, और यह तय करना मकानमालिक का अधिकार है। कोर्ट का काम यह नहीं है कि वह मकानमालिक को बताए कि उन्हें अपने घर में कैसे रहना चाहिए।”

किरायेदार को दिया गया 6 महीने का समय

कोर्ट ने आदेश दिया कि किरायेदार को घर खाली करने के लिए छह महीने का समय दिया जाए। यह समय इस बात को ध्यान में रखकर दिया गया है कि किरायेदार को अपनी वैकल्पिक व्यवस्था करने का अवसर मिल सके।

फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?

यह फैसला कई ऐसे विवादों में अहम नजीर पेश करेगा जहां मकानमालिक और किरायेदार के अधिकारों को लेकर सवाल खड़े होते हैं। हाईकोर्ट ने यह स्थापित किया कि एक मकानमालिक को अपनी संपत्ति को अपनी प्राथमिकताओं के अनुसार इस्तेमाल करने का पूरा अधिकार है।

क्या कहता है कानून?

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला उन मकानमालिकों के लिए राहत लेकर आया है जो अपनी संपत्ति का सही तरीके से उपयोग करने में कानूनी बाधाओं का सामना करते हैं। मकानमालिक को अब यह स्पष्ट अधिकार है कि वह अपने घर का उपयोग कैसे और किसके लिए करेगा।

यह भी देखें 7th Pay Commission: हो गई महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी, सरकार ने दी खुशखबरी

7th Pay Commission: हो गई महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी, सरकार ने दी खुशखबरी

Leave a Comment