विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। विपक्ष का आरोप है कि सभापति ने सदन की कार्यवाही के संचालन में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि यह निर्णय बेहद कठिन था, लेकिन संसदीय लोकतंत्र की रक्षा के लिए यह आवश्यक हो गया था।
क्या है इस विवाद का मूल कारण?
इस विवाद की जड़ राज्यसभा में गौतम अदानी और अन्य मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध है। कांग्रेस पार्टी अदानी समूह पर लगे धोखाधड़ी के आरोपों की जांच के लिए जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) की मांग कर रही है। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने खुले तौर पर कहा कि यदि अदानी का मुद्दा उठाया गया, तो सदन की कार्यवाही बाधित होगी।
इस संदर्भ में, विपक्ष का यह आरोप है कि सभापति धनखड़ ने अपने संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन निष्पक्षता से नहीं किया, जिससे लोकतांत्रिक मूल्यों को आघात पहुंचा है।
संवैधानिक प्रक्रिया और विशेषज्ञों की राय
उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेदों और संसदीय नियमों के तहत संचालित होती है। विशेषज्ञ पीडीटी आचारी के अनुसार, उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए 14 दिन पहले नोटिस देना अनिवार्य है। इस प्रक्रिया में विशेष आरोप लगाए जाने चाहिए और प्रस्ताव को राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत से पारित करना होता है।
संविधान विशेषज्ञ फैज़ान मुस्तफ़ा का मानना है कि यह प्रस्ताव संसद में पारित होने की संभावना कम है। उनका कहना है कि उपराष्ट्रपति को सदन का विश्वास खोने पर हटाया जा सकता है, लेकिन संविधान में इस प्रक्रिया का स्पष्ट आधार नहीं दिया गया है।
विपक्ष को इस कदम से क्या मिलेगा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रस्ताव के पारित होने की संभावना बेहद कम है। इसके बावजूद, विपक्ष इस मुद्दे को उठाकर सरकार और सभापति पर दबाव बनाना चाहता है। यह कदम विपक्ष की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वह संसदीय लोकतंत्र की गरिमा और निष्पक्षता बनाए रखने की अपील कर रहा है।
(FAQs)
1. क्या उपराष्ट्रपति को हटाना संभव है?
हां, लेकिन इसके लिए विशेष आरोप और दोनों सदनों में सामान्य बहुमत की आवश्यकता होती है।
2. विपक्षी दलों का मुख्य आरोप क्या है?
विपक्ष का आरोप है कि सभापति धनखड़ सदन की कार्यवाही में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं।
3. इस प्रस्ताव का संसद पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
यह प्रस्ताव संसद में गतिरोध को और बढ़ा सकता है और सरकार के लिए चुनौती पेश कर सकता है।