
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक सुरक्षित और लोकप्रिय निवेश विकल्प है, लेकिन इससे मिलने वाले ब्याज पर टैक्स भी लगता है। अगर आप एफड़ी में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो यह जानना जरूरी है कि इस पर टैक्स कैसे लगता है और इसे बचाने के क्या उपाय हैं।
FD पर टैक्स क्यों लगता है?
फिक्स्ड डिपॉजिट से मिलने वाला ब्याज आयकर अधिनियम के तहत आय के रूप में गिना जाता है। इसे आपकी कुल वार्षिक आय में जोड़ा जाता है और आपकी आयकर श्रेणी के आधार पर टैक्स लगाया जाता है। यह टैक्स दो तरीकों से कट सकता है—बैंक द्वारा टीडीएस (TDS) काटकर या फिर सालाना आयकर रिटर्न भरते समय।
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एफड़ी पर ब्याज पर टैक्स कैसे लगता है?
एफड़ी पर ब्याज पर टैक्स लगाने की प्रक्रिया मुख्य रूप से दो भागों में बंटी होती है:
टीडीएस (TDS) की कटौती: अगर आपकी FD से सालाना ब्याज आय ₹40,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से अधिक होती है, तो बैंक TDS काटता है। TDS की दर 10% होती है, यानी यदि आपकी ब्याज आय ₹40,000 है, तो बैंक ₹4,000 टैक्स काटेगा और ₹36,000 आपके खाते में आएंगे। अगर आपने बैंक को पैन (PAN) नहीं दिया है, तो TDS की दर बढ़कर 20% हो सकती है।
बिना TDS के ब्याज पर टैक्स: यदि आपकी ब्याज आय TDS कटौती की सीमा से कम है, तो बैंक TDS नहीं काटेगा। हालांकि, आपको अपनी पूरी ब्याज आय को आयकर रिटर्न में दिखाना होगा और उसके अनुसार टैक्स भरना होगा। यदि आपकी कुल आय टैक्स की न्यूनतम सीमा से कम है, तो आप फॉर्म 15G (60 वर्ष से कम के लिए) या 15H (वरिष्ठ नागरिकों के लिए) भरकर TDS कटौती से बच सकते हैं।
FD पर टैक्स की दर
एफड़ी पर टैक्स आपकी कुल आयकर स्लैब पर निर्भर करता है, 2.50 लाख तक किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगता है। 2,50,001 से 5 लाख तक पर 5% का टैक्स लगता है। 5,00,001 से 10 लाख रुपये पर 20% टैक्स एवं 10 लाख रुपये से अधिक पर 30% टैक्स लगता है। यदि आपकी कुल आय ₹2,50,000 से अधिक है और आपकी एफड़ी की ब्याज आय इस सीमा में आती है, तो आपको टैक्स देना होगा।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष छूट
वरिष्ठ नागरिकों को ₹50,000 तक की ब्याज आय पर कोई TDS नहीं देना होता। हालांकि, यदि उनकी कुल आय ₹2,50,000 से अधिक है, तो उन्हें आयकर स्लैब के अनुसार टैक्स भरना होगा। धारा 80TTB के तहत, वरिष्ठ नागरिकों को एफड़ी, बचत खाते और पोस्ट ऑफिस जमा पर मिलने वाले ब्याज पर ₹50,000 तक की छूट मिलती है।
FD से हुई कमाई का आकलन कैसे करें?
ब्याज आय का सही आकलन करना जरूरी है ताकि टैक्स देयता को समझा जा सके। यदि आपने ₹5,00,000 का FD 7% वार्षिक ब्याज दर पर किया है, तो आपको सालाना ₹35,000 की ब्याज आय होगी। यदि आपकी कुल आय ₹2,50,000 से कम है, तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। यदि आपकी आय ₹5,00,000 से अधिक है, तो इस ब्याज पर 5% से 20% तक टैक्स लागू होगा।
TDS और आयकर रिटर्न (ITR)
यदि बैंक TDS काटता है, तो आपको अपनी आयकर रिटर्न फाइल करते समय इसका उल्लेख करना होगा। अगर आपकी कुल आय टैक्स की सीमा में नहीं आती है, लेकिन बैंक ने TDS काट लिया है, तो आप इसे रिफंड के रूप में प्राप्त कर सकते हैं। यदि आपकी आय अधिक है और TDS से कम टैक्स कटा है, तो आपको रिटर्न दाखिल करते समय अतिरिक्त टैक्स देना होगा।
FD पर टैक्स बचाने के उपाय
यदि आपकी कुल आय टैक्स योग्य सीमा से नीचे है, तो यह फॉर्म भरकर TDS से बच सकते हैं। 5 साल की लॉक-इन अवधि वाली FD पर धारा 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की छूट मिलती है। वरिष्ठ नागरिकों को ₹50,000 तक की ब्याज आय पर विशेष छूट मिलती है।परिवार के सदस्यों के नाम पर FD कर टैक्स की देयता को विभाजित किया जा सकता है। ELSS म्यूचुअल फंड, PPF और NPS जैसी कर-बचत योजनाओं का लाभ लें।
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FAQs
1. FD पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स क्यों लगता है?
FD पर ब्याज को आयकर अधिनियम के तहत आय माना जाता है, इसलिए इस पर टैक्स लगाया जाता है।
2. एफड़ी पर TDS कब कटेगा?
यदि आपकी ब्याज आय ₹40,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से अधिक है, तो बैंक TDS काटेगा।
3. यदि TDS काटा गया है, तो क्या अलग से टैक्स देना पड़ेगा?
यदि आपकी आय टैक्स योग्य है और TDS से कम टैक्स कटा है, तो आपको बाकी टैक्स का भुगतान करना होगा।
4. एफड़ी पर टैक्स कैसे बचाएं?
15G/15H फॉर्म भरें, टैक्स-सेविंग FD में निवेश करें, और अन्य कर-बचत योजनाओं का लाभ उठाएं।
FD पर टैक्स से बचने के लिए सही प्लानिंग जरूरी है। फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज आय टैक्स योग्य होती है, लेकिन सही रणनीति अपनाकर आप टैक्स देयता को कम कर सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष छूट, टैक्स-सेविंग FD, और अन्य निवेश विकल्पों का उपयोग कर आप अपनी टैक्स योजना को प्रभावी बना सकते हैं।