क्या बच्चों की संपत्ति पर है माता-पिता का हक? जानें बेटा-बेटी के लिए अलग कानून की सच्चाई

क्या आप जानते हैं कि भारतीय कानून के तहत माता-पिता को बच्चों की संपत्ति पर अधिकार कैसे मिल सकता है? इस लेख में जानिए, कब और कैसे माता-पिता अपनी संतान की संपत्ति पर दावा कर सकते हैं।

By Praveen Singh
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क्या बच्चों की संपत्ति पर है माता-पिता का हक? जानें बेटा-बेटी के लिए अलग कानून की सच्चाई

भारत में बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता के अधिकार को लेकर बहुत कम लोग जानते हैं कि कौन सी स्थितियों में वे अपनी संतान की संपत्ति पर दावा कर सकते हैं। सामान्यतः बच्चों की संपत्ति पर अधिकार का मामला हमेशा माता-पिता की संपत्ति से जुड़ा रहता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अगर बच्चों की असामयिक मृत्यु हो जाए तो क्या माता-पिता को उनकी संपत्ति पर दावा करने का अधिकार होता है?

भारतीय हिंदू उत्‍तराधिकार कानून, 2005 में किए गए संशोधन के बाद इस मुद्दे पर स्पष्टता प्रदान की गई है। इस संशोधन के तहत ही माता-पिता को कुछ विशिष्ट स्थितियों में बच्चों की संपत्ति पर अधिकार प्राप्त हो सकता है। यह अधिकार विशेष रूप से बच्चों की दुर्घटना या किसी गंभीर बीमारी से असामयिक मृत्यु के बाद या यदि वे बिना वसीयत के मृत होते हैं, तो लागू होता है।

हिंदू उत्तराधिकार कानून में माता-पिता के अधिकार

भारतीय कानून के अनुसार, सामान्य परिस्थितियों में माता-पिता को अपने बच्चों की संपत्ति पर कोई दावा करने का अधिकार नहीं होता है। हालांकि, अगर बच्चे की असामयिक मृत्यु होती है, या वह अविवाहित होता है और बिना वसीयत के मरता है, तो ऐसी स्थिति में माता-पिता को उसकी संपत्ति पर दावा करने का अधिकार मिलता है। इस स्थिति में भी, यह जरूरी है कि माता-पिता के बीच इस संपत्ति पर अधिकार की बारीकियां स्पष्ट रूप से समझी जाएं।

किसे मिलता है संपत्ति पर पहले अधिकार?

हिंदू उत्तराधिकार कानून के तहत, बच्चों की संपत्ति पर माता को वरीयता दी जाती है। अर्थात, अगर बच्चा मर जाता है और उसने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है, तो सबसे पहले संपत्ति का अधिकार माता को मिलेगा। अगर माता का निधन हो चुका हो या वह वारिस नहीं बन सकतीं, तो पिता को संपत्ति पर अधिकार मिलेगा।

इस तरह से, अगर दोनों माता-पिता जीवित नहीं हैं, तो बच्चों की संपत्ति पर दावा करने के लिए अन्य रिश्तेदारों को भी अधिकार मिल सकता है, लेकिन इन मामलों में माता-पिता का अधिकार प्राथमिक होता है।

बेटे और बेटी की संपत्ति पर अलग-अलग प्रावधान

हिंदू उत्तराधिकार कानून यह भी कहता है कि बच्चों की संपत्ति पर माता-पिता का अधिकार बच्चे के लिंग पर निर्भर करता है। अगर बच्चा लड़का है, तो उसकी संपत्ति पर मां को पहला और पिता को दूसरा अधिकार मिलेगा। वहीं, अगर बच्चा लड़की है, तो उसकी संपत्ति पहले उसके बच्चों को, फिर उसके पति को और अंत में माता-पिता को दी जाएगी।

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यदि लड़के की मृत्यु हो जाती है और उसने वसीयत नहीं की है, तो उसकी पत्नी को संपत्ति पर अधिकार मिलेगा। वहीं, अगर लड़की की मृत्यु के बाद उसके बच्चे नहीं होते, तो संपत्ति पर उसके पति और फिर माता-पिता का दावा होगा।

क्या माता-पिता का अधिकार हमेशा मिलेगा?

ध्यान देने योग्य बात यह है कि माता-पिता को बच्चों की संपत्ति पर हमेशा अधिकार नहीं मिलेगा। यदि बच्चे ने वसीयत बनाई है या अगर किसी अन्य कारण से उसके संपत्ति के वितरण का नियम अलग है, तो माता-पिता का अधिकार समाप्त हो सकता है। इसके अलावा, कुछ अन्य नियम और शर्तें भी हो सकती हैं जिनके आधार पर संपत्ति का वितरण किया जाएगा।

हिंदू उत्तराधिकार कानून में संशोधन

हिंदू उत्तराधिकार कानून में 2005 में किए गए संशोधन ने इस मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बदलाव किया है। यह संशोधन यह स्पष्ट करता है कि अगर किसी बच्चे की असामयिक मृत्यु होती है, तो उसके माता-पिता को उसकी संपत्ति पर दावा करने का अधिकार होगा। इस संशोधन से पहले यह स्थिति अस्पष्ट थी, लेकिन अब इसे कानूनी रूप से स्थापित किया गया है।

भारत में माता-पिता को बच्चों की संपत्ति पर दावा करने का अधिकार इसलिए मिलता है ताकि वे अपने बच्चों के द्वारा छोड़ी गई संपत्ति का सही तरीके से उपयोग कर सकें और यदि परिवार में कोई अन्य आर्थिक स्थिति हो तो उसका संतुलन बना रहे।

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