
लोकप्रिय निवेश विकल्पों में से एक, सार्वजनिक भविष्य निधि यानी Public Provident Fund (PPF) को लेकर निवेशकों के बीच सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि इसकी ब्याज दर कैसे तय होती है। सरकार हर तिमाही इसकी ब्याज दर में बदलाव कर सकती है, लेकिन यह फैसला कुछ तय मापदंडों और बाजार की स्थिति के आधार पर लिया जाता है। इस लेख में हम समझेंगे कि सरकार किस फॉर्मूले से PPF की ब्याज दर निर्धारित करती है और इसका आपके निवेश पर क्या असर होता है।
PPF की ब्याज दर कौन तय करता है?
PPF की ब्याज दर का निर्धारण भारत सरकार करती है। वित्त मंत्रालय हर तिमाही अंत में इस दर की समीक्षा करता है और यदि आवश्यक हो, तो उसमें बदलाव करता है। यह दर अगले तीन महीनों के लिए लागू होती है। इस प्रक्रिया में सरकार बेंचमार्क गवर्नमेंट सिक्योरिटीज यानी सरकारी बॉन्ड्स के यील्ड को आधार बनाती है।
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क्या है ब्याज दर तय करने का फॉर्मूला?
सरकार द्वारा PPF की ब्याज दर तय करने के लिए जो फॉर्मूला अपनाया जाता है, वह 10 साल की गवर्नमेंट बॉन्ड (Government Securities या G-Sec) की यील्ड से जुड़ा होता है। दरअसल, सरकार का मानक यह है कि PPF पर मिलने वाला रिटर्न, 10 साल की G-Sec की औसत यील्ड से करीब 25 बेसिस पॉइंट्स (0.25%) अधिक होना चाहिए।
उदाहरण के लिए, अगर किसी तिमाही में 10 साल की G-Sec की औसत यील्ड 7.10% है, तो PPF की ब्याज दर 7.35% के आसपास रखी जा सकती है। हालांकि यह जरूरी नहीं कि यह फॉर्मूला हर बार सटीक रूप से लागू किया जाए। कई बार सरकार अन्य आर्थिक परिस्थितियों को ध्यान में रखकर दर में कम या ज्यादा बदलाव करती है।
ब्याज दर में बदलाव का इतिहास
अतीत में देखें तो PPF की ब्याज दर में बदलाव समय-समय पर होता रहा है। मार्च 2020 के पहले PPF की ब्याज दर 7.9% थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण आर्थिक चुनौतियों को देखते हुए इसे घटाकर 7.1% कर दिया गया। उसके बाद कई तिमाहियों तक यह दर स्थिर रही, हालांकि इस दौरान G-Sec की यील्ड में उतार-चढ़ाव होते रहे।
वर्तमान में PPF पर ब्याज दर
अप्रैल-जून 2025 तिमाही के लिए PPF पर ब्याज दर 7.1% है। यह वही स्तर है जो 2020 से अब तक बना हुआ है। जबकि इस दौरान बैंक FD और अन्य बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कुछ बदलाव देखने को मिले हैं। इससे साफ है कि सरकार ने अब तक PPF की ब्याज दर में स्थिरता बनाए रखने का फैसला किया है।
निवेशकों पर इसका क्या असर होता है?
PPF में ब्याज दर स्थिर रहने से उन निवेशकों को लाभ होता है जो लंबी अवधि के लिए सुरक्षित और टैक्स-फ्री निवेश की योजना बनाते हैं। यह खासकर मिडिल क्लास और रिटायर्ड व्यक्तियों के लिए फायदेमंद होता है, क्योंकि PPF पर मिलने वाला ब्याज टैक्स फ्री होता है और इसमें सरकार की गारंटी भी होती है।
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हालांकि, यदि बाजार में ब्याज दरें बढ़ रही हों और PPF की दर स्थिर रहे, तो कुछ निवेशक बैंक FD या अन्य विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं। इसके विपरीत, जब बाजार में ब्याज दरें गिर रही हों, तब PPF एक आकर्षक विकल्प बन जाता है।
सरकार की रणनीति और उद्देश्य
सरकार PPF जैसी छोटी बचत योजनाओं को लेकर संतुलन बनाना चाहती है ताकि बचत को बढ़ावा मिले लेकिन इसके साथ-साथ बैंकों को भी पर्याप्त जमा मिल सके। यही कारण है कि ब्याज दर में परिवर्तन करते समय सरकार केवल फॉर्मूले पर नहीं चलती, बल्कि आर्थिक नीतियों, महंगाई दर, मौद्रिक नीति और बैंकों की स्थिति जैसे कई अन्य पहलुओं पर भी विचार करती है।
भविष्य की दिशा: क्या दरें बढ़ सकती हैं?
यह कहना मुश्किल है कि आने वाले समय में PPF की ब्याज दरें बढ़ेंगी या घटेंगी। यह पूरी तरह सरकार की नीतियों और बाजार की स्थिति पर निर्भर करता है। अगर महंगाई दर बढ़ती है और G-Sec की यील्ड ऊपर जाती है, तो सरकार ब्याज दर बढ़ाने का फैसला ले सकती है। वहीं, यदि आर्थिक स्थिति को प्रोत्साहन देना जरूरी हो, तो दरों को स्थिर या कम भी रखा जा सकता है।
PPF निवेश के फायदे
PPF एक लंबी अवधि की निवेश योजना है जिसमें निवेशक को न केवल सुरक्षित रिटर्न मिलता है, बल्कि टैक्स छूट भी मिलती है। इसमें जमा राशि, ब्याज और परिपक्वता राशि तीनों पर टैक्स नहीं लगता (EEE टैक्स बेनिफिट)। इसके अलावा, इसकी अवधि 15 साल की होती है जिसे आगे बढ़ाया भी जा सकता है।