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पत्नी के नाम खरीदी है प्रॉपर्टी तो कौन होगा मालिक? हाईकोर्ट ने दिया जवाब

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में बताया कि पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति का असली मालिक कौन होता है। जानें, क्या यह संपत्ति पत्नी के व्यक्तिगत अधिकार में आती है या पूरे परिवार की होती है। यह फैसला संपत्ति विवादों और अधिकारों में बड़ा बदलाव ला सकता है

By Praveen Singh
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पत्नी के नाम खरीदी है प्रॉपर्टी तो कौन होगा मालिक? हाईकोर्ट ने दिया जवाब
पत्नी के नाम खरीदी है प्रॉपर्टी तो कौन होगा मालिक?

भारतीय परंपरा में अक्सर लोग अपनी पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदते हैं। इस प्रक्रिया में स्टांप ड्यूटी की छूट जैसे आर्थिक फायदे भी होते हैं। हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले पर निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति किसकी मानी जाएगी। यह फैसला संपत्ति विवादों को समझने और सुलझाने में सहायक हो सकता है।

पत्नी के नाम खरीदी है प्रॉपर्टी तो कौन होगा मालिक?

इलाहाबाद हाई कोर्ट के अनुसार, पत्नी के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी सामान्यतः पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। खासकर जब पत्नी के पास स्वतंत्र आय का स्रोत नहीं होता, तो यह संपत्ति पति की आय से खरीदी मानी जाती है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसी संपत्ति पर केवल पत्नी का नहीं, बल्कि पूरे परिवार का अधिकार होगा।

हिंदू धर्म और पारिवारिक प्रथाओं के संदर्भ में, यह निर्णय एक ऐतिहासिक कदम है। अक्सर देखा गया है कि पति अपनी आय से पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं। इसका उद्देश्य परिवार के हितों की रक्षा करना होता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के अंतर्गत पारिवारिक संपत्ति घोषित किया है।

संपत्ति पर सह स्वामित्व का दावा

एक मामले में, याचिकाकर्ता सौरभ गुप्ता ने अपनी मां के नाम पर खरीदी गई संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा किया। उसने अदालत में कहा कि उसके पिता ने यह संपत्ति खरीदी थी और वह सह स्वामी के रूप में अपना अधिकार चाहता है। हाई कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट किया कि पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी, जब तक यह प्रमाणित न हो कि संपत्ति पत्नी की आय से खरीदी गई है।

पत्नी के अधिकारों की सीमाएं

हाई कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि पत्नी को पति की स्वयं अर्जित संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं है जब तक पति जीवित है। यह अधिकार केवल पति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के माध्यम से प्राप्त होता है। 1956 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत पत्नी को पति की पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिलता है। अगर पत्नी के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदी गई है, तो यह पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। हालांकि, पत्नी की स्वतंत्र आय से खरीदी गई संपत्ति केवल उसकी व्यक्तिगत संपत्ति होगी।

पति की संपत्ति पर पत्नी का अधिकार

भारतीय कानून के अनुसार, पत्नी का अधिकार पति की प्रॉपर्टी पर पति की मृत्यु के बाद ही लागू होता है। अगर पति की वसीयत में पत्नी का नाम नहीं है, तो पत्नी को संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा।

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(FAQs)

प्रश्न 1: पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति पर किसका अधिकार होगा?
पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति सामान्यतः पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी, जब तक यह साबित न हो कि यह पत्नी की स्वतंत्र आय से खरीदी गई है।

प्रश्न 2: क्या पत्नी को पति की संपत्ति पर अधिकार होता है?
पत्नी को पति की स्वयं अर्जित संपत्ति पर अधिकार नहीं होता, लेकिन पति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के माध्यम से अधिकार मिल सकता है।

प्रश्न 3: क्या पति की वसीयत में पत्नी का नाम न होने पर उसे संपत्ति मिल सकती है?
नहीं, अगर वसीयत में पत्नी का नाम नहीं है, तो उसे संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं मिलेगा।

इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह निर्णय संपत्ति विवादों में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन प्रदान करता है। यह स्पष्ट करता है कि पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति केवल उसकी नहीं, बल्कि पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी। यह फैसला न केवल संपत्ति विवादों में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि पारिवारिक अधिकारों को भी मजबूत करेगा।

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