Income Tax Act 2025: अब फैमिली इनकम पर नया टैक्स नियम, जानें क्या हुआ बदलाव

Income Tax Act 2025 के तहत क्लबिंग ऑफ इनकम के नियमों में संशोधन किया गया है। अब जीवनसाथी की आय को टैक्सपेयर्स की आय से अलग रखा जा सकता है, यदि वह तकनीकी या पेशेवर ज्ञान, अनुभव और योग्यता के आधार पर अर्जित की गई हो। हालाँकि, इस बिल में कुछ बातें स्पष्ट नहीं की गई हैं, जिससे करदाताओं के लिए अनिश्चितता बनी हुई है।

By Praveen Singh
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Income Tax Act 2025: अब फैमिली इनकम पर नया टैक्स नियम, जानें क्या हुआ बदलाव
Income Tax Act 2025

नए Income Tax Act 2025 के तहत क्लबिंग ऑफ इनकम (Clubbing of Income) के नियमों में संशोधन किया गया है। यह बदलाव टैक्स बचाने के लिए फैमिली इनकम ट्रांसफर को रोकने के उद्देश्य से किया गया है। इस नए नियम के तहत, जीवनसाथी की तकनीकी या पेशेवर ज्ञान (Technical or Professional Knowledge) से अर्जित आय को टैक्सपेयर्स की आय से अलग रखा गया है, बशर्ते वह योग्यता के अनुरूप हो। हालाँकि, इस बिल में कुछ बिंदुओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है, जैसे कि जीवनसाथी के लिए आवश्यक डिग्री कौन-सी होनी चाहिए।

क्लबिंग ऑफ इनकम (Clubbing of Income) क्या होती है?

सामान्यत: व्यक्ति पर उसी द्वारा अर्जित आय पर टैक्स लगाया जाता है। लेकिन कुछ विशेष मामलों में, दूसरे व्यक्ति की आय को भी टैक्सपेयर्स की आय में जोड़ा (क्लब) जाता है और उस पर भी टैक्स लगाया जाता है। इस प्रक्रिया को ‘क्लबिंग ऑफ इनकम’ कहा जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लोग कर बचाने के लिए अपने परिवार के सदस्यों को नाममात्र की संपत्ति ट्रांसफर करके टैक्स से बच न सकें।

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किन मामलों में इनकम क्लब की जाती है?

  • नाबालिग बच्चे की इनकम: यदि किसी नाबालिग बच्चे की कोई आय होती है, तो इसे माता-पिता की आय में जोड़ दिया जाता है।
  • पति या पत्नी के नाम पर निवेश: यदि किसी टैक्सपेयर्स ने अपने पति या पत्नी के नाम पर कोई निवेश किया है और उससे कोई आय हो रही है, तो इसे टैक्सपेयर्स की आय में जोड़ा जाता है।
  • निवेश इनकम: संपत्ति, फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit), शेयर (Shares), म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) और डाकघर बचत (Post Office Savings) जैसी सभी निवेशों से अर्जित आय को भी क्लब किया जा सकता है।

नए Income Tax Bill 2025 में क्लबिंग नियमों में बदलाव

नए Income Tax Act 2025 के अनुसार, धारा 64 में महत्वपूर्ण संशोधन किए गए हैं। यदि किसी व्यक्ति का किसी फर्म या कंपनी में महत्वपूर्ण हिस्सा (Substantial Interest) है, तो उस फर्म से उसके जीवनसाथी को मिलने वाली सैलरी, कमीशन, फीस आदि को उसी व्यक्ति की आय में जोड़ा जाएगा।

पहले के नियमों में यह आवश्यक था कि यदि जीवनसाथी के पास तकनीकी या पेशेवर योग्यता है और उसकी कमाई केवल उसी ज्ञान और अनुभव पर आधारित होती है, तो भी यह आय टैक्सपेयर्स की आय में जोड़ी जाती थी। लेकिन नए विधेयक (New Bill) में इस नियम को संशोधित किया गया है। अब यदि जीवनसाथी की आय तकनीकी या प्रोफेशनल ज्ञान, अनुभव और योग्यता के आधार पर अर्जित की गई है, तो इसे टैक्सपेयर्स की आय से अलग माना जाएगा। हालाँकि, बिल में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि जीवनसाथी के लिए कौन-सी डिग्री (Degree) आवश्यक होगी।

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FAQs

1. क्लबिंग ऑफ इनकम क्यों लागू किया जाता है?
क्लबिंग ऑफ इनकम का उद्देश्य टैक्स चोरी को रोकना है, जिससे लोग अपनी संपत्ति या आय को परिवार के सदस्यों के नाम पर ट्रांसफर करके टैक्स से बच न सकें।

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2. नए Income Tax Act 2025 में क्लबिंग नियमों में क्या बदलाव किया गया है?
नए कानून के अनुसार, अब जीवनसाथी की आय को टैक्सपेयर्स की आय से अलग रखा जा सकता है, बशर्ते वह तकनीकी या पेशेवर ज्ञान, अनुभव और योग्यता के आधार पर अर्जित की गई हो।

3. क्या नाबालिग बच्चे की कमाई पर भी टैक्स लगता है?
हाँ, यदि कोई नाबालिग बच्चा किसी प्रकार की आय अर्जित करता है, तो वह माता-पिता की आय में जोड़ दी जाती है और टैक्स लगता है।

4. क्या फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड की कमाई पर भी क्लबिंग नियम लागू होता है?
हाँ, यदि ये निवेश पति या पत्नी के नाम पर किए गए हैं और टैक्सपेयर्स द्वारा फंड किए गए हैं, तो इनसे होने वाली आय को भी क्लब किया जाता है।

5. क्या क्लबिंग ऑफ इनकम से बचने का कोई तरीका है?
जी हाँ, यदि जीवनसाथी अपनी तकनीकी या पेशेवर योग्यता के आधार पर स्वयं की कमाई कर रहा है, तो वह क्लबिंग नियमों से बच सकता है।

नए Income Tax Act 2025 में क्लबिंग ऑफ इनकम के नियमों में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब टैक्सपेयर्स को राहत मिल सकती है, बशर्ते जीवनसाथी की आय केवल तकनीकी या पेशेवर ज्ञान, अनुभव और योग्यता के आधार पर अर्जित हो। हालाँकि, इस नियम में कई अस्पष्टताएँ भी हैं, जिन्हें सरकार को स्पष्ट करने की आवश्यकता है। नए विधेयक का मुख्य उद्देश्य टैक्स बचाने के लिए परिवार के सदस्यों को संपत्ति ट्रांसफर करने की प्रवृत्ति को रोकना है।

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