
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक सुरक्षित निवेश विकल्प माना जाता है, लेकिन इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू हैं जिनका ध्यान नहीं दिया जाए तो निवेशकों को नुकसान हो सकता है। कई लोग एफड़ी में निवेश करने से पहले ब्याज दरों, टैक्स, और लॉक-इन पीरियड जैसी बातों पर विचार नहीं करते, जिससे बाद में परेशानी होती है।
FD के ब्याज पर टैक्स का ध्यान रखें
एफड़ी पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है, जिसे कई निवेशक नजरअंदाज कर देते हैं। भारतीय इनकम टैक्स कानून के अनुसार, एफड़ी के ब्याज को ग्रोथ इनकम का हिस्सा माना जाता है और इस पर टैक्स देना होता है। यही नहीं, बैंक यदि आपके एफड़ी से सालाना ₹40,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से अधिक ब्याज देता है, तो वह TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) काट लेता है। हालांकि, यदि आपकी कुल वार्षिक आय ₹2.5 लाख से कम है, तो आप फॉर्म 15G या 15H भरकर TDS कटौती से बच सकते हैं।
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म्युचुअल फंड बनाम FD: कहां मिलेगा अधिक रिटर्न?
हालांकि फिक्स्ड डिपॉजिट में सुरक्षित रिटर्न मिलता है, लेकिन इसका ब्याज दर अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में कम होता है। म्युचुअल फंड (Mutual Fund) की तुलना में एफड़ी का ब्याज कम रहता है, और म्युचुअल फंड में तीन गुना तक अधिक रिटर्न मिल सकता है। हालांकि, म्युचुअल फंड में जोखिम भी अधिक होता है।
यदि आप बिना जोखिम के पैसा निवेश करना चाहते हैं, तो एफड़ी बेहतर विकल्प हो सकता है, लेकिन अगर आप ज्यादा रिटर्न चाहते हैं और जोखिम उठाने को तैयार हैं, तो म्युचुअल फंड को प्राथमिकता दी जा सकती है।
महंगाई के मुकाबले ब्याज दरें कमजोर
एफड़ी में निवेश करते समय महंगाई दर को ध्यान में रखना जरूरी है। यदि आपका एफड़ी आपको 6-7% वार्षिक ब्याज दे रहा है और महंगाई दर भी लगभग इसी अनुपात में बढ़ रही है, तो आपकी वास्तविक कमाई बहुत कम होगी। इस कारण से, एफड़ी को अकेला निवेश विकल्प न मानें बल्कि इसे अन्य निवेशों के साथ मिलाकर एक संतुलित पोर्टफोलियो तैयार करें।
लॉक-इन पीरियड और प्रीमैच्योर निकासी पर लगेगा चार्ज
फिक्स्ड डिपॉजिट का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि इसमें निवेश की गई राशि को बीच में निकालने पर जुर्माना (Penalty) देना पड़ सकता है। यदि आपको अचानक पैसों की जरूरत पड़ जाए और आप एफड़ी तोड़ते हैं, तो आपको बैंक द्वारा तय चार्ज देना होगा। कुछ मामलों में, आपको उतना ही पैसा वापस मिलता है जितना आपने निवेश किया था, लेकिन ब्याज कम हो सकता है। इसलिए, FD में निवेश करने से पहले यह जरूर देखें कि बैंक किस प्रकार की प्रीमैच्योर विदड्रॉल पॉलिसी अपनाता है।
ब्याज दरें तय रहती हैं, बढ़ती नहीं
FD की एक और कमी यह है कि इसकी ब्याज दरें तय होती हैं और पूरी अवधि तक वही बनी रहती हैं। वहीं, अन्य निवेश विकल्पों जैसे PPF, म्युचुअल फंड या फ्लेक्सिबल इंटरेस्ट रेट वाले स्कीम्स में समय-समय पर ब्याज दरें बढ़ती रहती हैं। इसलिए, अगर आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर रहे हैं, तो एफड़ी के बजाय पीपीएफ (PPF) या अन्य फिक्स्ड इनकम स्कीम्स के बारे में भी विचार करें, क्योंकि PPF में ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगता।
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FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
1. क्या FD का ब्याज टैक्स फ्री होता है?
नहीं, FD के ब्याज पर टैक्स लगता है और यदि ब्याज ₹40,000 (वरिष्ठ नागरिकों के लिए ₹50,000) से अधिक होता है तो TDS कटता है।
2. क्या एफड़ी से बेहतर कोई और निवेश विकल्प है?
अगर आप बिना जोखिम के निवेश चाहते हैं, तो एफड़ी अच्छा विकल्प है, लेकिन अधिक रिटर्न के लिए म्युचुअल फंड या PPF जैसे विकल्प बेहतर हो सकते हैं।
3. FD में पैसा निकालने पर कितना चार्ज लगता है?
अगर आप FD की मैच्योरिटी से पहले पैसा निकालते हैं, तो बैंक 0.5% से 1% तक का जुर्माना लगा सकता है, जो निवेश की राशि और अवधि पर निर्भर करता है।
4. क्या FD में निवेश करना सुरक्षित है?
हां, FD को सबसे सुरक्षित निवेश माना जाता है क्योंकि यह बैंक द्वारा गारंटीड रिटर्न देता है।
5. क्या FD पर ब्याज दरें बदल सकती हैं?
नहीं, FD में ब्याज दरें शुरुआत में तय होती हैं और पूरी अवधि तक वही रहती हैं, जबकि अन्य निवेशों में यह बदलती रहती हैं।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक सुरक्षित निवेश विकल्प है, लेकिन इसमें कुछ सीमाएं भी हैं। एफड़ी में निवेश करने से पहले टैक्स, ब्याज दर, लॉक-इन पीरियड और महंगाई दर जैसी बातों पर विचार करना जरूरी है। यदि आपको जोखिम से बचना है तो FD अच्छा विकल्प है, लेकिन ज्यादा रिटर्न के लिए अन्य निवेशों पर भी विचार करना चाहिए। सही योजना के साथ निवेश करने पर आप अपने पैसे को सुरक्षित रख सकते हैं और अच्छा रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।