
भारत में हर साल लाखों लोग बैंकों से लोन लेते हैं। कोई बिजनेस के लिए, कोई नया घर खरीदने के लिए, तो कोई खेती और शिक्षा के लिए कर्ज लेता है। बैंकों के लिए लोन देना एक आम प्रक्रिया है, लेकिन जब कोई कर्जदार समय पर लोन की किस्तें नहीं चुका पाता, तो वही लोन एनपीए (NPA) बन जाता है।
एनपीए बैंक और लोन लेने वाले दोनों के लिए समस्याएं खड़ी करता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बारे में सख्त नियम बनाए हैं, जिनका पालन सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को करना होता है। अगर आप भी लोन लेने की सोच रहे हैं, तो यह समझना जरूरी है कि आपका लोन कब एनपीए घोषित हो सकता है और इसके क्या दुष्परिणाम होते हैं।
एनपीए (NPA) क्या है?
एनपीए यानी नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (Non-Performing Asset) एक ऐसा कर्ज होता है, जिसमें लगातार तीन महीने (90 दिन) तक कोई भुगतान नहीं किया गया हो। यानी जब लोन लेने वाला अपनी ईएमआई (EMI) या ब्याज नहीं चुका पाता, तो बैंक उसे एनपीए की श्रेणी में डाल देता है। अगर लोन किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था (NBFC) से लिया गया है, तो यह अवधि 120 दिन होती है।
NPA घोषित होते ही, बैंक लोन की वसूली की प्रक्रिया शुरू कर सकता है। कई बार बैंक कर्जदार को नोटिस भेजता है, लेकिन अगर भुगतान फिर भी नहीं होता, तो बैंक कानूनी कार्रवाई भी कर सकता है।
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कब लोन NPA होता है?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, अगर कोई लोन अकाउंट 90 दिनों तक डिफॉल्ट में रहता है, तो बैंक उसे एनपीए घोषित कर सकता है।
- बैंकों के लिए – 90 दिन तक ईएमआई न चुकाने पर लोन एनपीए घोषित होता है।
- गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों (NBFCs) के लिए – 120 दिन की अवधि होती है।
जब लोन एनपीए हो जाता है, तो बैंक इसे अपनी बैलेंस शीट में डूबे हुए कर्ज के रूप में दर्ज करता है। यह बैंक की वित्तीय स्थिति को कमजोर कर सकता है, इसलिए बैंक लोन रिकवरी की प्रक्रिया तेज कर देते हैं।
NPA होना क्यों खतरनाक है?
NPA किसी के लिए भी फायदेमंद नहीं होता—न बैंक के लिए और न ही लोन लेने वाले के लिए। यह दोनों को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
बैंक के लिए नुकसान
एनपीए होने से बैंक की संपत्ति में कमी आती है। बैंकों को लोन पर ब्याज मिलता है, लेकिन अगर लोन एनपीए बन जाए, तो यह ब्याज बैंक के लिए घाटा बन जाता है। इससे बैंक की वित्तीय स्थिति कमजोर होती है और नए लोन देने की क्षमता प्रभावित होती है।
कर्जदार के लिए नुकसान
अगर आपका लोन एनपीए हो जाता है, तो इसका सीधा असर आपकी क्रेडिट हिस्ट्री और CIBIL स्कोर पर पड़ता है। सिबिल स्कोर गिरने से भविष्य में नया लोन लेना मुश्किल हो सकता है। कई बार बैंक कर्ज वसूलने के लिए कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं, जिससे कर्जदार को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है।
NPA के प्रकार
एनपीए को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है:
- सब-स्टैंडर्ड एसेट (Sub-Standard Asset) – जब कोई लोन 90 दिनों से ज्यादा डिफॉल्ट में रहता है, लेकिन एक साल से कम समय हुआ हो।
- डाउटफुल एसेट (Doubtful Asset) – जब लोन 12 महीने तक एनपीए की स्थिति में बना रहता है।
- लॉस एसेट (Loss Asset) – जब बैंक या ऑडिटर्स मान लेते हैं कि यह लोन अब कभी रिकवर नहीं होगा और इसे घाटे में डाल दिया जाता है।
अगर लोन नहीं चुकाया तो क्या होगा?
अगर कोई लोन लगातार डिफॉल्ट में रहता है और NPA बन जाता है, तो बैंक इसे रिकवर करने के लिए कानूनी कदम उठा सकता है।
- लोन रिकवरी के लिए नोटिस – पहले बैंक कर्जदार को भुगतान करने के लिए नोटिस भेजता है।
- संपत्ति की नीलामी (Auction) – अगर लोन नहीं चुकाया जाता, तो बैंक कर्जदार की संपत्ति की नीलामी कर सकता है।
- कानूनी कार्रवाई – बैंक कानूनी प्रक्रिया शुरू कर सकता है, जिससे कर्जदार के खिलाफ कड़ा एक्शन लिया जा सकता है।
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FAQs
Q. क्या लोन NPA बनने के बाद इसे ठीक किया जा सकता है?
हाँ, अगर आप बैंक से बात करें और पुनर्भुगतान की योजना बनाएं, तो बैंक आपका एनपीए हटाने में मदद कर सकता है।
Q. एनपीए होने से मेरा सिबिल स्कोर कितने अंकों तक गिर सकता है?
एनपीए बनने के बाद सिबिल स्कोर 50-100 अंकों तक गिर सकता है, जिससे भविष्य में लोन लेने में मुश्किल हो सकती है।
Q. अगर लोन एनपीए बन गया है, तो क्या मुझे नया लोन मिल सकता है?
अगर आपका लोन एनपीए हो चुका है, तो नए लोन की मंजूरी मिलना बहुत मुश्किल हो सकता है। आपको पहले पुराने बकाया को चुकाना होगा और फिर सिबिल स्कोर सुधारने के बाद ही नया लोन मिल सकता है।
Q. क्या बैंक से समझौता करके एनपीए लोन चुकाया जा सकता है?
हाँ, कई बार बैंक वन टाइम सेटलमेंट (OTS) का ऑप्शन देते हैं, जिसमें कर्जदार कुछ प्रतिशत रकम देकर लोन क्लियर कर सकता है।
एनपीए (NPA) एक गंभीर वित्तीय समस्या है, जो न सिर्फ बैंक बल्कि कर्ज लेने वाले को भी प्रभावित करता है। अगर आप लोन ले रहे हैं, तो सुनिश्चित करें कि आप समय पर किस्तों का भुगतान करें ताकि आपका लोन एनपीए में न जाए। यदि किसी कारणवश लोन चुकाने में परेशानी हो रही हो, तो बैंक से बातचीत कर पुनर्भुगतान की योजना बनाएं। एनपीए से बचाव ही सबसे अच्छा उपाय है, क्योंकि एक बार एनपीए बनने के बाद लोन लेने की संभावना लगभग खत्म हो जाती है।