सिबिल स्कोर सही होने पर भी लोन रिजेक्ट? जानिए ये 3 जरूरी नियम वरना होगी दिक्कत

अगर आपका CIBIL स्कोर अच्छा है लेकिन फिर भी लोन अप्रूवल नहीं हो रहा, तो हो सकता है कि आप इन 3 जरूरी नियमों को नजरअंदाज कर रहे हों! बैंक लोन अप्रूवल की पूरी सच्चाई जानने के लिए यह जानकारी जरूर पढ़ें!

By Praveen Singh
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सिबिल स्कोर सही होने पर भी लोन रिजेक्ट? जानिए ये 3 जरूरी नियम वरना होगी दिक्कत
सिबिल स्कोर सही होने पर भी लोन रिजेक्ट?

आज के समय में लोन लेना जितना आसान लगता है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी हो सकता है। लोग अक्सर मानते हैं कि अगर उनका सिबिल स्कोर (CIBIL Score) अच्छा है, तो लोन अप्रूवल में कोई परेशानी नहीं होगी। लेकिन वास्तविकता इससे अलग है। बैंक और वित्तीय संस्थान सिर्फ सिबिल स्कोर के आधार पर लोन अप्रूव नहीं करते, बल्कि कई अन्य कारकों का भी विश्लेषण किया जाता है। यदि आपका सिबिल स्कोर 750 से ऊपर भी है और फिर भी लोन रिजेक्ट हो रहा है, तो इसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हो सकते हैं।

डेब्ट-टू-इनकम (DTI) रेश्यो सही होना ज़रूरी

बैंक लोन अप्रूव करने से पहले डेब्ट-टू-इनकम (DTI) रेश्यो का गहन मूल्यांकन करते हैं। यह रेश्यो दर्शाता है कि आपकी कुल मासिक आय का कितना हिस्सा मौजूदा लोन की EMI में जा रहा है। अगर यह रेश्यो अधिक है, तो बैंक आपको अतिरिक्त कर्ज देने में संकोच कर सकते हैं।

DTI की गणना इस फॉर्मूले से होती है:
DTI = (मासिक लोन भुगतान / कुल मासिक आय) × 100

यदि आपकी मासिक इनकम ₹50,000 है और आपकी मौजूदा EMI ₹15,000 है, तो आपका DTI रेश्यो 30% होगा।

DTI रेश्यो कितना होना चाहिए?

  • 40% से कम: आदर्श माना जाता है, लोन अप्रूवल के चांस ज्यादा होते हैं।
  • 40% से 50%: बैंक लोन दे सकते हैं, लेकिन ब्याज दर अधिक हो सकती है।
  • 50% से अधिक: लोन अप्रूवल की संभावना बेहद कम हो जाती है।

अगर आपका DTI रेश्यो ज्यादा है, तो लोन अप्लाई करने से पहले अपने मौजूदा कर्ज को कम करने पर ध्यान दें।

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EMI-टू-नेट मंथली इनकम (EMI/NMI) रेश्यो मायने रखता है

सिर्फ DTI ही नहीं, बल्कि EMI-टू-नेट मंथली इनकम (EMI/NMI) रेश्यो भी लोन अप्रूवल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह रेश्यो यह दर्शाता है कि आपकी नेट इनकम का कितना प्रतिशत लोन चुकाने में जा रहा है।

EMI/NMI रेश्यो के लिए बैंक की गाइडलाइन

  • 50% से कम: बैंक इसे सुरक्षित मानता है, लोन आसानी से अप्रूव हो सकता है।
  • 50% से 55%: कुछ बैंक लोन अप्रूव कर सकते हैं, लेकिन अतिरिक्त दस्तावेजों की मांग कर सकते हैं।
  • 55% से अधिक: लोन अप्रूवल की संभावना बेहद कम हो जाती है।

अगर आपका EMI/NMI रेश्यो ज्यादा है, तो नए लोन के लिए आवेदन करने से पहले मौजूदा लोन को कम करने का प्रयास करें।

लोन-टू-वैल्यू (LTV) रेश्यो का ध्यान रखें

होम लोन या ऑटो लोन के मामले में बैंक LTV (Loan-to-Value) रेश्यो को भी ध्यान में रखते हैं।

LTV रेश्यो यह दर्शाता है कि बैंक किसी संपत्ति के कुल मूल्य के मुकाबले कितना लोन दे रहा है।

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LTV रेश्यो की गणना कैसे होती है?

यदि आपकी संपत्ति की कुल कीमत ₹50 लाख है और बैंक आपको ₹40 लाख का लोन दे रहा है, तो LTV रेश्यो होगा:
LTV = (लोन राशि / संपत्ति की कुल कीमत) × 100 = (40 लाख / 50 लाख) × 100 = 80%

LTV रेश्यो कितना होना चाहिए?

  • होम लोन के मामले में 75% से 90% तक का LTV बैंक स्वीकार कर सकते हैं।
  • LTV रेश्यो जितना कम होगा, लोन अप्रूवल के चांस उतने ज्यादा होंगे।

क्या सिर्फ अच्छा सिबिल स्कोर काफी नहीं है?

कई लोग मानते हैं कि 750 से अधिक सिबिल स्कोर होने पर लोन मिलना निश्चित होता है। लेकिन सच्चाई यह है कि बैंक केवल सिबिल स्कोर पर निर्भर नहीं करते। वे आपकी मासिक आय, क्रेडिट हिस्ट्री, बैंक स्टेटमेंट, और मौजूदा कर्ज पर भी ध्यान देते हैं।

अच्छा CIBIL Score रखने के लिए लोन और क्रेडिट कार्ड की EMI समय पर चुकाएं। बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन न करें, इससे स्कोर गिर सकता है। अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग 30% से कम रखें। ज्यादा कर्ज होने पर नया लोन लेने से बचें।

कैसे बढ़ाएं लोन अप्रूवल के चांस?

  • DTI रेश्यो कम करें: नए लोन से पहले मौजूदा लोन का भुगतान करें।
  • अच्छी सैलरी दिखाएं: अगर आप सेल्फ-एम्प्लॉयड हैं, तो अपनी इनकम के सही दस्तावेज दिखाएं।
  • बैंक स्टेटमेंट सही रखें: बार-बार ओवरड्राफ्ट या लो बैलेंस दिखने से बचें।
  • संयुक्त (Joint) लोन लें: अगर क्रेडिट स्कोर कम है, तो किसी परिवार के सदस्य के साथ जॉइंट लोन लें।

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FAQs

1. लोन रिजेक्ट होने के मुख्य कारण क्या हो सकते हैं?
लोन रिजेक्ट होने के पीछे मुख्य कारण DTI रेश्यो अधिक होना, EMI/NMI रेश्यो ज्यादा होना, सिबिल स्कोर कम होना, अपर्याप्त इनकम और क्रेडिट हिस्ट्री में अनियमितताएं हो सकती हैं।

2. CIBIL स्कोर को कितने समय में सुधारा जा सकता है?
सिबिल स्कोर सुधारने में 6 महीने से 1 साल तक का समय लग सकता है, बशर्ते आप समय पर EMI चुकाएं और नए कर्ज लेने से बचें।

3. क्या नौकरी बदलने से लोन अप्रूवल पर असर पड़ता है?
हाँ, नई नौकरी या अस्थिर आय स्रोत होने पर बैंक लोन देने में संकोच कर सकते हैं।

4. क्या को-साइनर (Co-signer) जोड़ने से लोन अप्रूवल आसान हो सकता है?
हाँ, अगर को-साइनर की इनकम और क्रेडिट स्कोर बेहतर है, तो लोन अप्रूवल के चांस बढ़ जाते हैं।

अगर आप लोन लेना चाहते हैं, तो केवल CIBIL स्कोर पर निर्भर न रहें। बैंक आपकी आय, मौजूदा लोन, डेट-टू-इनकम रेश्यो और अन्य वित्तीय फैक्टर्स को भी ध्यान में रखते हैं। लोन अप्लाई करने से पहले अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करें, मौजूदा कर्ज को कम करें और सही प्लानिंग के साथ आगे बढ़ें।

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