
बैंकों में सेविंग अकाउंट खुलवाते समय ग्राहकों को एक महत्वपूर्ण शर्त का ध्यान रखना होता है: न्यूनतम शेष राशि (Minimum Balance) का अनिवार्य रखरखाव।
सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस न रखने पर भारी जुर्माना!
यदि आप अपने अकाउंट में बैंक द्वारा निर्धारित मिनिमम बैलेंस नहीं रखते हैं, तो हर महीने नॉन-मेंटेनेंस चार्ज (NMC) के रूप में जुर्माना लग सकता है। यह राशि बैंक और अकाउंट की श्रेणी के आधार पर अलग-अलग होती है। शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए बैंकों ने अलग-अलग लिमिट तय की हैं, जिन्हें समय-समय पर अपडेट किया जाता है।
बैंकों में मिनिमम बैलेंस
भारत के प्रमुख बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के शहरी ब्रांचों में मिनिमम बैलेंस ₹3,000, अर्ध-शहरी में ₹2,000 और ग्रामीण इलाकों में ₹1,000 निर्धारित है। वहीं पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने शहरी क्षेत्रों के लिए ₹2,000 और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए ₹1,000 की लिमिट रखी है। प्राइवेट बैंकों में HDFC और ICICI बैंक शहरी ग्राहकों से ₹10,000 का मिनिमम बैलेंस मांगते हैं, जबकि छोटे शहरों और गाँवों में यह रकम क्रमशः ₹5,000 और ₹2,500 तक कम हो जाती है।
FAQs
1. मिनिमम बैलेंस न रखने पर कितना जुर्माना लगता है?
जुर्माने की राशि बैंक और अकाउंट के प्रकार पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए, SBI में ₹15 से ₹50 प्रति महीने तक चार्ज लग सकता है, जबकि HDFC बैंक में ₹600 तक का पेनल्टी हो सकता है।
2. क्या सभी सेविंग अकाउंट्स में मिनिमम बैलेंस जरूरी होता है?
नहीं। बैंक कुछ विशेष अकाउंट्स (जैसे बेसिक सेविंग अकाउंट या जीरो बैलेंस अकाउंट) में इस नियम से छूट देते हैं। ऐसे अकाउंट्स खुलवाने से पहले बैंक से जानकारी लें।
3. मिनिमम बैलेंस की गणना कैसे की जाती है?
अधिकांश बैंक महीने के हर दिन के एवरेज बैलेंस के आधार पर गणना करते हैं। कुछ बैंक मासिक या त्रैमासिक एवरेज भी मानते हैं।
बैंकिंग नियमों की जानकारी रखना हर ग्राहक की जिम्मेदारी है। मिनिमम बैलेंस न रखने पर लगने वाला जुर्माना आपकी बचत को प्रभावित कर सकता है। अपने बैंक की वेबसाइट या शाखा से नवीनतम नियमों की जाँच करें और अकाउंट बैलेंस को नियमित रूप से मॉनिटर करें। छोटी सी सावधानी आपको अनावश्यक खर्चों से बचा सकती है।