Investment Planning: रिटायरमेंट के लिए चाहिए बड़ा फंड? SIP vs सरकारी स्कीम

अगर आप रिटायरमेंट के लिए करोड़ों का फंड बनाना चाहते हैं, तो सही इन्वेस्टमेंट चुनना जरूरी है! लेकिन सवाल यह है – SIP में ज्यादा फायदा होगा या PPF, NPS, SCSS जैसी सरकारी स्कीम में? जानिए कहां मिलेगा सबसे ज्यादा रिटर्न और किसमें करें निवेश ताकि भविष्य रहे सुरक्षित!

By Praveen Singh
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Investment Planning: रिटायरमेंट के लिए चाहिए बड़ा फंड? SIP vs सरकारी स्कीम
SIP vs सरकारी स्कीम

रिटायरमेंट प्लानिंग एक महत्वपूर्ण वित्तीय निर्णय है, खासकर तब जब आपके पास सीमित पूंजी हो और आपको तय करना हो कि निवेश कहां किया जाए, म्यूचुअल फंड SIP या सरकारी योजनाओं (NPS, PPF, SCSS) में। SIP बाजार-आधारित निवेश होते हैं जो अधिक रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं, जबकि सरकारी योजनाएं सुरक्षित और स्थिर रिटर्न की गारंटी देती हैं। लेकिन कौन सा विकल्प आपके लिए सही है?

SIP के जरिए निवेश

Systematic Investment Plan (SIP) एक ऐसी रणनीति है जिसमें निवेशक म्यूचुअल फंड में हर महीने एक निश्चित रकम निवेश करता है। यह मार्केट रिस्क के अधीन होता है, लेकिन लंबी अवधि में SIP ने 12% से 15% तक वार्षिक रिटर्न दिया है। यह मुद्रास्फीति को मात देने की क्षमता रखता है और कंपाउंडिंग के कारण निवेशकों के लिए संपत्ति निर्माण का एक दमदार जरिया साबित हो सकता है।

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सरकारी योजनाएं सुरक्षित और गारंटीड रिटर्न

सरकारी योजनाएं उन निवेशकों के लिए उपयुक्त होती हैं जो बाजार जोखिम से बचना चाहते हैं और स्थिर रिटर्न चाहते हैं। इनमें मुख्यतः तीन प्रमुख स्कीमें शामिल हैं:

  • नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS)
    • यह एक मार्केट-लिंक्ड सरकारी स्कीम है जो औसतन 8-10% तक का रिटर्न देती है।
    • इसमें निवेश पर सेक्शन 80C और 80CCD(1) के तहत ₹2 लाख तक की टैक्स छूट मिलती है।
    • रिटायरमेंट के समय निवेशक 60% राशि निकाल सकता है, जबकि 40% का एन्युइटी में निवेश करना अनिवार्य होता है।
  • सीनियर सिटीजन्स सेविंग्स स्कीम (SCSS)
    • यह विशेष रूप से 60 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए बनाई गई है।
    • इसमें 8.20% की निश्चित ब्याज दर मिलती है और इसकी अवधि 5 साल की होती है, जिसे 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है।
    • इसमें प्राप्त ब्याज कर योग्य होता है, लेकिन निवेश सुरक्षित और स्थिर रहता है।
  • पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
    • यह लॉन्ग-टर्म निवेश स्कीम है, जिसमें 15 साल की लॉक-इन अवधि होती है।
    • वर्तमान ब्याज दर 7.10% है, और इसमें किया गया निवेश सेक्शन 80C के तहत टैक्स-फ्री होता है।
    • परिपक्वता पर पूरी राशि टैक्स-फ्री मिलती है, जिससे यह एक सुरक्षित और लाभदायक विकल्प बनता है।

20 वर्षों में ₹10,000 मासिक निवेश पर अनुमानित रिटर्न

अब आइए देखते हैं कि अगर आप हर महीने ₹10,000 का निवेश करते हैं, तो 20 वर्षों बाद आपको कितनी राशि प्राप्त होगी:

  • SIP (औसत 10% वार्षिक रिटर्न) → ₹76 लाख
  • NPS (औसत 9% वार्षिक रिटर्न) → ₹66 लाख
  • PPF (7.10% वार्षिक ब्याज दर) → ₹52 लाख

अगर आपको अधिक रिटर्न चाहिए और आप जोखिम लेने को तैयार हैं, तो SIP आपके लिए बेहतर हो सकता है। लेकिन अगर आप सुरक्षा और टैक्स बेनेफिट को प्राथमिकता देते हैं, तो NPS, PPF और SCSS सही विकल्प हो सकते हैं।

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FAQs

Q1. क्या SIP निवेश जोखिम भरा होता है?
हाँ, SIP बाजार से जुड़ा होता है, लेकिन लंबी अवधि में यह मुद्रास्फीति को मात देने की क्षमता रखता है और कंपाउंडिंग से बढ़िया रिटर्न दे सकता है।

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Q2. NPS में कितना पैसा सुरक्षित रहता है?
NPS में आपके द्वारा जमा की गई राशि सुरक्षित होती है, लेकिन इसका रिटर्न मार्केट-लिंक्ड होता है और गारंटीड नहीं होता।

Q3. क्या PPF सबसे सुरक्षित विकल्प है?
हाँ, PPF सरकार द्वारा समर्थित स्कीम है, जो निश्चित ब्याज और टैक्स-फ्री रिटर्न देती है, इसलिए यह सबसे सुरक्षित लॉन्ग-टर्म विकल्पों में से एक है।

Q4. क्या मैं NPS और PPF दोनों में निवेश कर सकता हूँ?
हाँ, आप NPS और PPF दोनों में निवेश कर सकते हैं और इसका लाभ भी ले सकते हैं।

Q5. क्या SIP से करोड़पति बना जा सकता है?
अगर आप लंबी अवधि के लिए SIP में निवेश करते हैं, तो यह कंपाउंडिंग की शक्ति के कारण करोड़ों में बदल सकता है।

निष्कर्ष

रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए SIP और सरकारी योजनाओं दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। SIP उच्च रिटर्न देने में सक्षम है, लेकिन यह जोखिमपूर्ण हो सकता है। दूसरी ओर, सरकारी योजनाएं सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करती हैं, लेकिन अपेक्षाकृत कम रिटर्न देती हैं।

अगर आपका लक्ष्य लॉन्ग-टर्म वेल्थ क्रिएशन है और आप जोखिम लेने के लिए तैयार हैं, तो SIP एक बेहतर विकल्प हो सकता है। लेकिन यदि आप सुरक्षित और कर-मुक्त निवेश चाहते हैं, तो PPF और NPS अच्छे विकल्प साबित हो सकते हैं। सही निर्णय लेने के लिए अपनी वित्तीय स्थिति, जोखिम उठाने की क्षमता और भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखें।

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