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Property Rule: पूरे पैसे देकर खरीदी प्रॉपर्टी भी जाएंगी हाथ से, अगर नहीं किया ये जरूरी काम

सिर्फ रजिस्ट्री करवा कर न हो जाएं बेफिक्र, दाखिल-खारिज (Mutation) न कराने पर प्रॉपर्टी पर आपका हक खत्म हो सकता है। जानिए यह प्रक्रिया क्यों है जरूरी और कैसे यह बचा सकती है आपकी संपत्ति को विवादों से!

By Praveen Singh
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Property Rule: पूरे पैसे देकर खरीदी प्रॉपर्टी भी जाएंगी हाथ से, अगर नहीं किया ये जरूरी काम
Property Rule

अगर आपने कोई प्रॉपर्टी (Property) जैसे मकान, दुकान या प्लॉट खरीदा है और उसका रजिस्ट्रेशन करवाने के बाद निश्चिंत हो गए हैं कि अब वह प्रॉपर्टी पूरी तरह आपकी है, तो यह सोचना गलत हो सकता है। भारतीय संपत्ति नियमों के अनुसार, रजिस्ट्री के बाद भी आपकी संपत्ति पर आपका पूरा अधिकार नहीं होता जब तक आप दाखिल-खारिज (Mutation of Property) नहीं करवा लेते। यह महत्वपूर्ण प्रक्रिया आपकी प्रॉपर्टी को कानूनी रूप से आपके नाम पर दर्ज करती है।

Property Rule: रजिस्ट्री के बाद भी पूर्ण मालिक नहीं बनते

रजिस्ट्री केवल ऑनरशिप के ट्रांसफर का दस्तावेज़ है, स्वामित्व का नहीं। रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया संपत्ति हस्तांतरण को कानूनी मान्यता देती है, लेकिन दाखिल-खारिज (Mutation) प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी रिकॉर्ड में भी उस प्रॉपर्टी का मालिकाना हक आपके नाम पर आ गया है। यदि आपने यह प्रक्रिया पूरी नहीं की, तो कई कानूनी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।

क्यों है म्यूटेशन (Mutation) ज़रूरी?

संपत्ति विवादों के अधिकतर मामले इसीलिए होते हैं क्योंकि खरीदार केवल रजिस्ट्री करवा कर संतुष्ट हो जाते हैं। कई बार ऐसा देखा गया है कि:

  • संपत्ति दो बार बेची गई: बेचने वाले ने एक बार रजिस्ट्री के बाद Property को किसी अन्य व्यक्ति को भी बेच दिया।
  • संपत्ति पर लोन लिया गया: प्रॉपर्टी बेचने के बाद, पुराने मालिक ने उसी जमीन पर बैंक से लोन ले लिया।

ऐसे मामलों में खरीदार को नुकसान उठाना पड़ता है। यदि म्यूटेशन कराया गया होता, तो सरकारी रिकॉर्ड में Property का स्वामित्व आपके नाम पर होता और ये समस्याएं नहीं आतीं।

भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट और दाखिल-खारिज

भारतीय रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत 100 रुपये से अधिक मूल्य की किसी भी संपत्ति का हस्तांतरण लिखित में और रजिस्ट्री ऑफिस में दर्ज होना अनिवार्य है। लेकिन रजिस्ट्री के बाद भी म्यूटेशन करना उतना ही जरूरी है। दाखिल-खारिज (Dakhil-Kharij) में दाखिल का मतलब आपकी संपत्ति का नाम सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज हो जाता है। एवं खारिज का मतलब पुराने मालिक का नाम स्वामित्व के रिकॉर्ड से हटा दिया जाता है। यह प्रक्रिया प्रॉपर्टी पर स्वामित्व के पूर्ण अधिकार देती है और किसी भी तरह के विवाद से बचाती है।

दाखिल-खारिज न कराने के जोखिम

यदि आपने प्रॉपर्टी का म्यूटेशन नहीं कराया है, तो ऐसे में प्रॉपर्टी का स्वामित्व कानूनी तौर पर आपके नाम पर नहीं होगा। संपत्ति से जुड़ी बैंकिंग प्रक्रिया जैसे लोन या बिक्री में समस्याएं आ सकती हैं। एवं संपत्ति पर किसी अन्य व्यक्ति का दावा साबित हो सकता है।

दाखिल-खारिज कैसे कराएं?

दाखिल-खारिज प्रक्रिया को पूरा करने के लिए रजिस्ट्री की कॉपी, प्रॉपर्टी कर की रसीदें, पहचान पत्र (Identity Proof) एवं आवेदन पत्र (Application Form) जमा करने होते हैं। तहसील कार्यालय या संबंधित सरकारी विभाग में जाकर यह प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके बाद प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड आपके नाम पर अपडेट हो जाता है।

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FAQs

1. क्या रजिस्ट्री के बाद प्रॉपर्टी पूरी तरह मेरी हो जाती है?
नहीं, रजिस्ट्री केवल संपत्ति हस्तांतरण का दस्तावेज़ है। पूर्ण स्वामित्व के लिए म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) कराना जरूरी है।

2. म्यूटेशन प्रक्रिया में कितना समय लगता है?
दाखिल-खारिज प्रक्रिया में आमतौर पर 15-30 दिन लगते हैं, लेकिन यह स्थान और अधिकारियों पर निर्भर करता है।

3. क्या दाखिल-खारिज नहीं कराने पर प्रॉपर्टी विवाद हो सकता है?
हाँ, दाखिल-खारिज नहीं कराने पर संपत्ति पर किसी अन्य व्यक्ति का दावा साबित हो सकता है या प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल हो सकता है।

4. म्यूटेशन प्रक्रिया के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत होती है?
रजिस्ट्री की कॉपी, पहचान पत्र, प्रॉपर्टी कर की रसीद, और आवेदन पत्र की आवश्यकता होती है।

5. क्या म्यूटेशन प्रक्रिया हर प्रकार की संपत्ति के लिए जरूरी है?
हाँ, सभी प्रकार की संपत्तियों जैसे मकान, दुकान, प्लॉट आदि के लिए म्यूटेशन प्रक्रिया अनिवार्य है।

यदि आप प्रॉपर्टी खरीदने के बाद म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी नहीं करते, तो आपकी संपत्ति कानूनी विवादों में फंस सकती है। सिर्फ रजिस्ट्री करवा लेने से प्रॉपर्टी पर आपका पूर्ण स्वामित्व स्थापित नहीं होता। दाखिल-खारिज प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही प्रॉपर्टी के सभी अधिकार आपके पास होते हैं।

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