
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ATM से नकद निकासी (Cash Withdrawal) पर लगने वाली फीस और एटीएम इंटरचेंज फीस (ATM Interchange Fee) बढ़ाने की योजना पर विचार कर रहा है। अगर यह प्रस्ताव लागू होता है, तो बैंकिंग ग्राहकों को एटीएम से कैश निकालने के लिए ज्यादा चार्ज देना पड़ सकता है। इससे लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।
हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम बैंकों और व्हाइट-लेबल एटीएम ऑपरेटरों की बढ़ती लागत को देखते हुए उठाया जा सकता है। इस फैसले पर नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) और बैंकों के बीच सहमति बन चुकी है, हालांकि आरबीआई की ओर से अब तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है।
ATM ट्रांजैक्शन पर कितना बढ़ सकता है चार्ज?
वर्तमान में, ग्राहक एक महीने में अपने बैंक के एटीएम से पांच मुफ्त ट्रांजैक्शन कर सकते हैं। इसके बाद ₹21 प्रति ट्रांजैक्शन चार्ज लगता है, जिसे बढ़ाकर ₹22 किया जा सकता है। कैश ट्रांजैक्शन पर इंटरचेंज फीस ₹17 से बढ़ाकर ₹19 किया जा सकता है। नॉन-कैश ट्रांजैक्शन पर इंटरचेंज फीस ₹6 से बढ़ाकर ₹7 किया जा सकता है।
यह भी देखें: LIC स्कीम में 200 रुपये जमा कर बनाएं 28 लाख रुपये का फंड
ATM इंटरचेंज फीस क्या होती है?
जब कोई ग्राहक अपने बैंक के बजाय किसी अन्य बैंक के एटीएम का उपयोग करता है, तो संबंधित बैंक को उस एटीएम के ऑपरेटर बैंक को एक निश्चित राशि देनी होती है, जिसे इंटरचेंज फीस कहा जाता है। इस फीस को बढ़ाने से बैंकों की लागत बढ़ेगी, जिसका असर ग्राहकों पर भी पड़ेगा।
बैंकिंग क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है कि यह बदलाव मुख्य रूप से मेट्रो शहरों में लागू हो सकता है, लेकिन ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों में इसे लेकर असमंजस बना हुआ है।
RBI और NPCI का रुख क्या है?
फिलहाल, RBI और NPCI ने इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। हालांकि, सितंबर 2023 में RBI ने एक समिति गठित की थी, जिसमें इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और HDFC बैंक के अधिकारी शामिल थे। इस समिति ने बैंकों की लागत का विश्लेषण किया और सुझाव दिया कि NPCI का प्रस्ताव मेट्रो शहरों में लागू किया जा सकता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कुछ और समाधान तलाशने होंगे।
ग्राहकों पर क्या असर पड़ेगा?
यदि यह प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो ग्राहकों को एटीएम से अधिक बार कैश निकालने पर ज्यादा शुल्क देना होगा। बैंक पहले ही अपने ग्राहकों को सीमित फ्री ट्रांजैक्शन की सुविधा देते हैं, और इस बदलाव के बाद नकद निकासी पर अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस बदलाव से डिजिटल ट्रांजैक्शन (Digital Transactions) को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन अभी भी बड़ी संख्या में लोग नकदी पर निर्भर हैं, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में। इसलिए, इस निर्णय से छोटे व्यापारियों और ग्रामीण उपभोक्ताओं को परेशानी हो सकती है।
यह भी देखें: Post Office Scheme से कमाएं हर महीने 5,550 रुपये
FAQs
1. क्या सभी बैंकों के लिए यह नियम लागू होगा?
हाँ, अगर RBI इस प्रस्ताव को मंजूरी देता है, तो सभी बैंकों को इस नए शुल्क ढांचे को अपनाना होगा।
2. एटीएम ट्रांजैक्शन पर नया चार्ज कब से लागू होगा?
इस पर अभी आधिकारिक निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन 2024 के मध्य तक इसकी घोषणा हो सकती है।
3. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा?
ग्रामीण और सेमी-अर्बन इलाकों में नकद लेन-देन की अधिक निर्भरता के कारण, यह बदलाव इन क्षेत्रों के ग्राहकों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ डाल सकता है।
4. क्या डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल इस बदलाव से बढ़ेगा?
संभावना है कि लोग यूपीआई (UPI), मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल वॉलेट्स (Digital Wallets) की ओर ज्यादा झुकाव दिखाएं, जिससे नकद निकासी की जरूरत कम हो सकती है।
5. क्या पहले से फ्री ट्रांजैक्शन लिमिट भी बदलेगी?
फिलहाल, NPCI ने केवल शुल्क में बढ़ोतरी का प्रस्ताव रखा है, लेकिन फ्री ट्रांजैक्शन की सीमा में बदलाव की कोई जानकारी नहीं है।
RBI द्वारा एटीएम से कैश निकासी और इंटरचेंज फीस में बढ़ोतरी पर विचार किया जा रहा है। यदि यह लागू होता है, तो ग्राहकों को मुफ्त ट्रांजैक्शन के बाद अधिक शुल्क देना पड़ सकता है। यह बदलाव बैंकों की बढ़ती लागत को देखते हुए प्रस्तावित किया गया है, लेकिन ग्रामीण और सेमी-अर्बन क्षेत्रों में इससे समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।