जजों के रिश्तेदार नहीं बन पाएंगे हाई कोर्ट में जज, SC कॉलेजियम में नया प्रस्ताव

क्या हाई कोर्ट में अब सिर्फ योग्यता का चलेगा सिक्का? पहली पीढ़ी के वकीलों के लिए खुलेंगे नए दरवाजे! अभिषेक मनु सिंघवी ने क्यों बताया इसे न्यायपालिका का सबसे बड़ा सुधार? जानिए इस क्रांतिकारी प्रस्ताव की हर अहम बात।

By Praveen Singh
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जजों के रिश्तेदार नहीं बन पाएंगे हाई कोर्ट में जज, SC कॉलेजियम में नया प्रस्ताव
जजों के रिश्तेदार नहीं बन पाएंगे हाई कोर्ट में जज

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायपालिका में सुधार की दिशा में एक नया कदम उठाया है। प्रस्ताव के अनुसार, हाई कोर्ट में जज बनने के लिए उन वकीलों या न्यायिक अधिकारियों पर अस्थायी रोक लगाने का विचार है, जिनके परिवार में पहले से कोई सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट का जज है। यह कदम पहली पीढ़ी के वकीलों को मौका देने और न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

जजों के रिश्तेदार नहीं बन पाएंगे हाई कोर्ट में जज

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और शीर्ष वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने इस प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन किया है। उन्होंने इसे न्यायिक प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव बताया और इसे शीघ्र लागू करने की मांग की। सिंघवी का मानना है कि इस पहल से न्यायपालिका में नई ऊर्जा का संचार होगा और वंशवाद को खत्म किया जा सकेगा।

प्रस्तावित इंटरव्यू और मूल्यांकन की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने निर्णय लिया है कि हाई कोर्ट कॉलेजियम द्वारा सुझाए गए संभावित उम्मीदवारों का इंटरव्यू लिया जाएगा। यह प्रक्रिया उनके अनुभव, योग्यता और कार्यक्षमता का समग्र मूल्यांकन करने के लिए बनाई गई है। सिंघवी ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि भले यह पूरी तरह से आदर्श न हो, लेकिन यह सही दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

उन्होंने सुझाव दिया कि जैसे पुराने समय में सुल्तान भेष बदलकर अपनी प्रजा की समस्याओं को समझते थे, वैसे ही जजों के प्रदर्शन का वास्तविक मूल्यांकन होना चाहिए। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि यह विचार व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है, लेकिन इंटरव्यू प्रणाली इसके करीब पहुंचने का एक बेहतर प्रयास है।

पारिवारिक वंशवाद और इसकी चुनौतियां

सिंघवी ने खुलकर कहा कि जजों के रिश्तेदारों की नियुक्ति से न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल उठते हैं। “चाचा जज” और पारिवारिक वंशवाद जैसे प्रचलित मुद्दे न केवल दूसरे प्रतिभाशाली वकीलों का मनोबल गिराते हैं, बल्कि संस्था की साख पर भी असर डालते हैं। उन्होंने इस पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे दूर करने की जरूरत पर बल दिया।

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FAQs

प्रश्न: यह प्रस्ताव कब से लागू होगा?
फिलहाल यह प्रस्ताव विचाराधीन है, लेकिन इसे जल्द से जल्द लागू करने की मांग की जा रही है।

प्रश्न: क्या पहली पीढ़ी के वकीलों को फायदा होगा?
हां, इस पहल का मुख्य उद्देश्य पहली पीढ़ी के वकीलों को अवसर प्रदान करना है।

प्रश्न: क्या इंटरव्यू प्रणाली पारदर्शिता लाने में मदद करेगी?
इंटरव्यू प्रक्रिया उम्मीदवारों की क्षमताओं और योग्यता का आकलन करने में सहायक होगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का यह प्रस्ताव न्यायपालिका में वंशवाद और पक्षपात को खत्म करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। इससे नई प्रतिभाओं को न्यायपालिका में जगह मिलेगी और संस्थान की निष्पक्षता व साख मजबूत होगी। अभिषेक मनु सिंघवी जैसे वरिष्ठ वकीलों का समर्थन इस प्रस्ताव की अहमियत को और बढ़ा देता है।

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