इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 43B: MSME भुगतान समयसीमा, नियम और कटौतियों में बड़ा बदलाव

अगर आपका बिज़नेस MSME से डील करता है तो इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 43B के नए नियम आपके टैक्स बचत प्लान को हिला सकते हैं! बजट 2024 के बाद MSME को समय पर भुगतान न करने पर टैक्स कटौती रोक दी जाएगी। जानिए कैसे बचा सकते हैं हजारों-लाखों रुपये टैक्स में!

By Praveen Singh
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इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 43B: MSME भुगतान समयसीमा, नियम और कटौतियों में बड़ा बदलाव
इनकम टैक्स एक्ट का सेक्शन 43B

इनकम टैक्स एक्ट, 1961 के सेक्शन 43B (Section 43B of Income Tax Act) को बिज़नेस और प्रोफेशनल टैक्सपेयर्स के लिए एक महत्वपूर्ण प्रावधान के रूप में देखा जाता है। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि कुछ विशेष खर्चों को केवल उसी वर्ष में टैक्स कटौती के रूप में मान्यता दी जाएगी, जिस वर्ष में उनका वास्तविक भुगतान किया गया हो। सेक्शन 43B का मुख्य उद्देश्य टैक्स अनुपालन को मजबूत करना और देनदारियों के समय पर भुगतान को सुनिश्चित करना है।

सेक्शन 43B क्या है और इसका प्रभाव

सेक्शन 43B का सीधा असर उन खर्चों पर पड़ता है जो सरकार, फाइनेंशियल संस्थानों या कर्मचारियों के फंड को किए जाते हैं। इसमें टैक्स, कस्टम ड्यूटी, एम्प्लॉई वेलफेयर फंड में योगदान, कर्ज पर ब्याज भुगतान और भारतीय रेलवे या MSME को किए गए भुगतानों को शामिल किया गया है। खास बात यह है कि चाहे टैक्सपेयर अकाउंटिंग के किसी भी मेथड (कैश या एक्रुअल) का पालन कर रहे हों, इन खर्चों की कटौती केवल भुगतान के आधार पर ही ली जा सकती है।

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बजट 2024 के तहत MSME भुगतान के लिए बड़ा अपडेट

बजट 2024 में सरकार ने सेक्शन 43B के तहत MSME को किए जाने वाले भुगतान के नियमों में अहम बदलाव किया है। वित्त वर्ष 2023-24 से लागू नए नियम के अनुसार, अगर कोई टैक्सपेयर किसी सूक्ष्म (Micro) या लघु (Small) उद्यम को समय पर भुगतान नहीं करता है, तो यह राशि सेक्शन 43B के अंतर्गत तभी डिडक्टिबल मानी जाएगी जब वास्तव में भुगतान कर दिया गया हो।

यह बदलाव विशेष रूप से उन MSMEs को लेकर है, जो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (MSMED) अधिनियम, 2006 की धारा 15 के तहत सूक्ष्म और लघु श्रेणी में आते हैं। मध्यम उद्यम (Medium Enterprises) इस विशेष प्रावधान में शामिल नहीं किए गए हैं।

MSME की परिभाषा क्या है?

MSMED अधिनियम, 2006 के तहत MSME को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया है:

सूक्ष्म उद्यम (Micro Enterprise):

  • ₹1 करोड़ से कम निवेश वाले बिज़नेस
  • ₹5 करोड़ से कम सालाना टर्नओवर

लघु उद्यम (Small Enterprise):

  • ₹10 करोड़ से कम निवेश वाले बिज़नेस
  • ₹50 करोड़ से कम सालाना टर्नओवर

MSMED अधिनियम की धारा 15 के तहत भुगतान की समयसीमा

धारा 15 के अनुसार, MSME सप्लायर्स को भुगतान की निम्न समय सीमा का पालन करना आवश्यक है:

  • अगर खरीदार और सप्लायर के बीच लिखित एग्रीमेंट है, तो भुगतान 45 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए।
  • अगर लिखित एग्रीमेंट नहीं है और खरीदार ने कोई आपत्ति नहीं जताई है, तो 15 दिनों के भीतर भुगतान अनिवार्य है।

अगर इन समय सीमाओं का पालन नहीं किया गया, तो सेक्शन 43B के तहत बिज़नेस कटौती का दावा तभी कर पाएंगे जब वास्तविक भुगतान कर देंगे।

सेक्शन 43B के तहत मिलने वाली प्रमुख कटौतियां

Section 43B of Income Tax Act के अंतर्गत निम्नलिखित खर्चों को भुगतान आधारित कटौती के रूप में मान्यता दी जाती है:

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  • जीएसटी (GST), सीमा शुल्क, टैक्स, ड्यूटी, सेस आदि
  • प्रोविडेंट फंड (PF), ग्रेच्युटी फंड, सुपरएन्युएशन फंड में नियोक्ता का योगदान
  • कर्मचारियों को बोनस या कमीशन भुगतान
  • सार्वजनिक वित्तीय संस्थानों (Public Financial Institutions) या बैंकों से लिए कर्ज पर ब्याज भुगतान
  • भारतीय रेलवे को किए गए भुगतान
  • MSME को किए गए भुगतान जो MSMED अधिनियम के तहत निर्धारित समय सीमा के भीतर नहीं किए गए हैं

अपवाद: एक्रुअल आधार पर कटौती का प्रावधान

हालांकि, सेक्शन 43B एक स्पष्ट अपवाद की अनुमति देता है। अगर MSME या अन्य दायित्वों का भुगतान इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि (Section 139(1) के तहत) से पहले कर दिया जाए, तो टैक्सपेयर उसे उस वर्ष के लिए डिडक्शन में क्लेम कर सकते हैं। लेकिन इसके लिए निम्न शर्तें पूरी होनी चाहिए:

  • व्यापारी लेखा प्रणाली (Mercantile Accounting) अपनाई गई हो।
  • समय-सीमा से पहले भुगतान किया गया हो।
  • भुगतान का उचित डॉक्यूमेंटेशन प्रस्तुत किया जाए।

उदाहरण से समझें सेक्शन 43B

मान लीजिए, एक कंपनी को मार्च 2023 में अपने कर्मचारियों का PF योगदान देना था। अगर कंपनी ने यह भुगतान अगस्त 2023 में कर दिया और इनकम टैक्स रिटर्न सितंबर 2023 में फाइल किया, तो कंपनी मार्च 2023 के फाइनेंशियल ईयर में इस योगदान के लिए कटौती का दावा कर सकती है।

सेक्शन 43B के तहत अनुपालन की अनिवार्यता

Section 43B के अनुपालन में कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान रखनी होंगी:

  • खर्च का वास्तविक भुगतान वित्तीय वर्ष के भीतर या रिटर्न फाइलिंग से पहले होना चाहिए।
  • अगर MSME को समय पर भुगतान नहीं हुआ तो व्यवसाय रिटर्न फाइल करने से पहले भुगतान करके ही टैक्स कटौती ले सकते हैं।
  • दस्तावेजी प्रमाण (Receipt, Bank Transfer Proof) देना अनिवार्य है।
  • भुगतान अनिवार्य खर्चों के लिए ही मान्य है, स्वैच्छिक भुगतान कटौती योग्य नहीं होंगे।

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FAQs

प्रश्न 1: सेक्शन 43B किन खर्चों पर लागू होता है?
सेक्शन 43B टैक्स, ड्यूटी, कर्मचारी लाभ फंड, कर्ज पर ब्याज, बोनस, कमीशन और MSME को देय राशि जैसी मदों पर लागू होता है।

प्रश्न 2: MSME को भुगतान में देरी का टैक्स प्रभाव क्या होगा?
MSME को समय पर भुगतान न करने पर सेक्शन 43B के तहत टैक्स कटौती तभी मिलेगी जब भुगतान वास्तव में कर दिया जाए।

प्रश्न 3: सेक्शन 43B में अपवाद क्या है?
अगर भुगतान इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की अंतिम तिथि से पहले कर दिया जाए, तो एक्रुअल आधार पर कटौती ली जा सकती है।

प्रश्न 4: क्या कैश में भुगतान सेक्शन 43B के तहत मान्य है?
उत्तर: नहीं, भुगतान का दस्तावेजी प्रमाण जरूरी है। कैश में किए गए अनडॉक्यूमेंटेड भुगतान सेक्शन 43B के तहत मान्य नहीं होंगे।

प्रश्न 5: बजट 2024 में सेक्शन 43B में क्या बदलाव किया गया है?
बजट 2024 में MSME को समय पर भुगतान न करने पर, टैक्स कटौती लेने के लिए भुगतान करना अनिवार्य कर दिया गया है, विशेषकर सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए। मध्यम उद्यम इस प्रावधान के दायरे में नहीं आते।

सेक्शन 43B के प्रावधान विशेष रूप से बिज़नेस टैक्सपेयर्स के लिए बेहद अहम हैं। MSME सेक्टर के साथ व्यवहार करने वाले व्यवसायों को खासतौर से MSMED अधिनियम के तहत तय समय सीमा में भुगतान करना जरूरी हो गया है। यदि वे ऐसा नहीं करते तो टैक्स कटौती का लाभ लेने के लिए रिटर्न फाइलिंग से पहले भुगतान करना अनिवार्य होगा। इस प्रावधान के अनुपालन से टैक्स विवादों और पेनल्टी से बचा जा सकता है। बेहतर टैक्स प्लानिंग के लिए किसी टैक्स कंसल्टेंट से सलाह लेना लाभदायक हो सकता है।

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