कभी अमिताभ बच्चन के मुंशी थे, फिर ऐसे चमकी किस्मत, आज अरबपतियों में होती है गिनती

क्या आप जानते हैं कि एक छोटे से गांव से निकला एक युवक कैसे भारत की सबसे बड़ी दवा कंपनियों में से एक का चेयरमैन बना? प्रेमचंद गोधा ने किस तरह से इप्‍का लैबोरेटरीज को संकट से उबारकर उसे 28,000 करोड़ रुपये की कंपनी बना दिया, जानें इस शानदार सफर के बारे में!

By Praveen Singh
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कभी अमिताभ बच्चन के मुंशी थे, फिर ऐसे चमकी किस्मत, आज अरबपतियों में होती है गिनती

प्रेमचंद गोधा की सफलता की यात्रा भारत के उद्यमिता क्षेत्र में एक प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। राजस्थान के एक छोटे से किसान परिवार से निकलकर, गोधा ने अपनी मेहनत और दृढ़ निश्चय से खुद को इप्‍का लैबोरेटरीज (Ipca Laboratories) जैसे दवा क्षेत्र की एक प्रमुख कंपनी के चेयरमैन तक पहुंचाया। आज, गोधा न केवल अपनी कंपनी के लिए जाना जाते हैं, बल्कि उनके पास अरबों की संपत्ति भी है, जो उनकी कामयाबी के प्रतीक के रूप में उभरती है।

कई कठिनाइयों का किया सामना

प्रेमचंद गोधा का जीवन किसी कहानी से कम नहीं है। राजस्थान के एक साधारण किसान परिवार में जन्म लेने वाले गोधा ने बचपन में ही संघर्ष करना शुरू कर दिया था। हालांकि, वह कभी हार मानने वाले नहीं थे। शुरुआत में उन्होंने अपने जीवन के कुछ कठिन समय का सामना किया, लेकिन उनका आत्मविश्वास और मेहनत उन्हें कभी थमने नहीं दिया। गोधा की सबसे बड़ी सफलता तब सामने आई जब उन्होंने वित्तीय प्रबंधन में अपना करियर शुरू किया और अमिताभ बच्चन और उनके परिवार के लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) के रूप में काम किया।

1975 में जिंदगी में आया बड़ा टर्न

1975 प्रेमचंद गोधा के जीवन का वह मोड़ था, जिसने उनके करियर की दिशा बदल दी। उस वक्त इप्‍का लैबोरेटरीज संकट से गुजर रही थी, और बच्चन परिवार ने इसके भविष्य को लेकर गंभीर चिंताएं जताई थीं। गोधा ने न केवल इस कंपनी में निवेश किया, बल्कि अपनी व्यावासिक कुशलता और दूरदृष्टि से कंपनी की हालत सुधारने के लिए कड़ी मेहनत की। उनके नेतृत्व में इप्‍का लैबोरेटरीज ने दवा उद्योग में अपनी मजबूत पहचान बनाई। गोधा के नेतृत्व में कंपनी ने डायबिटीज, हृदय रोग, दर्द निवारण और मलेरिया जैसी बीमारियों के इलाज के लिए प्रभावी दवाइयां बनाईं और अपनी बाजार में व्यापक पैठ बनाई।

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बच्‍चन परिवार ने बेची अपनी हिस्सेदारी

1999 में बच्चन परिवार ने इप्‍का लैबोरेटरीज में अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी, लेकिन प्रेमचंद गोधा ने इस मौके को एक चुनौती के रूप में लिया। उन्होंने कंपनी से जुड़े रहने का निर्णय लिया और इसे अपने प्रयासों से सफलता के शिखर तक पहुंचाया। उनकी दूरदर्शिता और व्यावासिक दृष्टि ने कंपनी को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। गोधा के नेतृत्व में कंपनी का राजस्व 54 लाख रुपये से बढ़कर 4,422 करोड़ रुपये तक पहुंच गया और 28,000 करोड़ रुपये की विशाल कंपनी बन गई।

ऐसे बने अरबों की संपत्ति के मालिक

प्रेमचंद गोधा का सफर केवल एक कंपनी के पुनर्निर्माण तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अपनी निजी संपत्ति भी अरबों में अर्जित की है। फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, उनकी कुल संपत्ति 10,800 करोड़ रुपये (लगभग 1.3 अरब डॉलर) से भी अधिक है। यह उनकी कड़ी मेहनत, दूरदर्शिता और व्यावासिक क्षमताओं का परिणाम है। गोधा की कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

FAQs

  1. प्रेमचंद गोधा ने इप्‍का लैबोरेटरीज के साथ कब जुड़ना शुरू किया था?
    प्रेमचंद गोधा ने 1975 में इप्‍का लैबोरेटरीज के साथ जुड़कर उसे नई दिशा दी थी, और कंपनी को संकट से उबारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
  2. प्रेमचंद गोधा की कुल संपत्ति कितनी है?
    गोधा की कुल संपत्ति लगभग 10,800 करोड़ रुपये (1.3 अरब डॉलर) है।
  3. गोधा के नेतृत्व में इप्‍का लैबोरेटरीज ने कौन सी प्रमुख दवाइयाँ बनाई?
    गोधा के नेतृत्व में इप्‍का लैबोरेटरीज ने डायबिटीज, हृदय रोग, मलेरिया, और दर्द निवारण जैसी बीमारियों के लिए दवाइयाँ बनाई हैं।

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