सुप्रीम कोर्ट ने कहा बच्चों की सगाई कराना भी गैरकानूनी, संसद को इसपर विचार करने को कहा

बचपन में शादी तय करने से छिनती है जीवन साथी चुनने की आजादी! सुप्रीम कोर्ट ने दिए खास निर्देश और संसद से कानून बनाने की सिफारिश। जानें कैसे यह फैसला बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा में होगा ऐतिहासिक कदम।

By Praveen Singh
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा बच्चों की सगाई कराना भी गैरकानूनी, संसद को इसपर विचार करने को कहा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा बच्चों की सगाई कराना भी गैरकानूनी

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को बाल विवाह (Child Marriage) से जुड़े मामले की सुनवाई करते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणियां की। कोर्ट ने कहा कि बचपन में सगाई या शादी तय करना बच्चों के जीवन साथी और जीवन पथ चुनने के अधिकार को छीन लेता है। कोर्ट ने संसद से अपील की है कि नाबालिगों की सगाई पर रोक लगाने के लिए विशेष कानून बनाने पर विचार किया जाए।

बच्चों की सगाई कराना भी गैरकानूनी

बाल विवाह रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की यह ऐतिहासिक टिप्पणी सामाजिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने सगाई को एक ऐसा माध्यम बताया जिससे बाल विवाह निरोधक कानून (Child Marriage Prohibition Act) के दायरे से बचने की कोशिश की जा सकती है। बचपन में शादी तय होने से बच्चों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन होता है और यह उनके स्वास्थ्य और विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।

सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश और सुझाव

सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय बेंच, जिसमें प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और मनोज मिश्रा शामिल थे, ने स्पष्ट निर्देश दिए कि केंद्र सरकार राज्यों में बाल विवाह रोकने के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त करे। इन अधिकारियों का एकमात्र उद्देश्य बाल विवाह की घटनाओं को रोकना होगा और उन पर अन्य कोई जिम्मेदारी नहीं डाली जाएगी।

कोर्ट ने यह भी कहा कि संविधान द्वारा बच्चों को दिए गए अधिकारों के संदर्भ में बाल विवाह निरोधक कानून में कुछ सुधारों की आवश्यकता है। अदालत ने केंद्र सरकार को इस कानून की समीक्षा करने और इसमें जरूरी बदलावों पर विचार करने का सुझाव दिया।

बच्चों की सगाई का अंतरराष्ट्रीय संदर्भ

सुप्रीम कोर्ट ने अंतरराष्ट्रीय कानूनों का भी हवाला देते हुए बताया कि सीईडीएडब्ल्यू (CEDAW) जैसे वैश्विक समझौतों में बच्चों की सगाई पर रोक है। भारत जैसे देश में, जहां सामाजिक परंपराएं अक्सर व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर भारी पड़ती हैं, ऐसे कानूनों की आवश्यकता और बढ़ जाती है। अदालत ने कहा कि बच्चों की सगाई उन्हें परिपक्व होने से पहले जीवनसाथी चुनने के अधिकार से वंचित कर देती है।

(FAQs)

1. बाल विवाह निरोधक कानून किसके लिए लागू होता है?
यह कानून 18 साल से कम उम्र की लड़कियों और 21 साल से कम उम्र के लड़कों पर लागू होता है।

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2. क्या बच्चों की सगाई पर अभी कोई कानूनी प्रतिबंध है?
नहीं, वर्तमान में बच्चों की सगाई पर कोई कानूनी प्रतिबंध नहीं है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे गैरकानूनी बनाने की सिफारिश की है।

3. बाल विवाह रोकने के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है?
सरकार विशेष अधिकारी नियुक्त कर सकती है, जो बाल विवाह की घटनाओं की निगरानी और रोकथाम करेंगे।

4. बच्चों की सगाई से क्या समस्याएं उत्पन्न होती हैं?
यह बच्चों की स्वतंत्रता, विकास और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालती है और उनके जीवन साथी चुनने के अधिकार को सीमित करती है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भारत में बाल विवाह और सगाई जैसी प्रथाओं को रोकने के लिए एक अहम कदम हो सकता है। संसद और केंद्र सरकार के लिए यह अवसर है कि वे बाल विवाह निरोधक कानून को और अधिक प्रभावी बनाएं और बच्चों के अधिकारों की रक्षा करें। यह फैसला सामाजिक चेतना को भी नई दिशा देने का काम करेगा।

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