सुप्रीम कोर्ट में कैसे दर्ज होता है मामला, प्रक्रिया क्या होती है, और कितने दिनों में आता है फैसला? यहाँ जानें

क्या आपका केस सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचने लायक है? एसएलपी से लेकर फैसले तक की हर जरूरी जानकारी, सुनवाई प्रक्रिया और फैसले में लगने वाले समय का खुलासा। पढ़ें और जानें, कैसे होता है आपका मामला सूचीबद्ध और कब आता है फैसला!

By Praveen Singh
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सुप्रीम कोर्ट में कैसे दर्ज होता है मामला, प्रक्रिया क्या होती है, और कितने दिनों में आता है फैसला? यहाँ जानें
सुप्रीम कोर्ट में कैसे दर्ज होता है मामला?

हर साल सुप्रीम कोर्ट में हजारों मामले दर्ज किए जाते हैं, जबकि पहले से ही हजारों मामले लंबित हैं। नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्रिड के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट में 82,000 से अधिक मामले लंबित हैं। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में विशेष अनुमति याचिकाओं (SLP) पर फोकस बढ़ाया है। ये याचिकाएं हाई कोर्ट के फैसलों के खिलाफ अपील के रूप में दायर की जाती हैं, जिनकी सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट की अनुमति आवश्यक होती है।

सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मंगलवार, बुधवार और गुरुवार को विविध मामलों की सुनवाई के लिए समय निर्धारित किया है। इन दिनों केवल उन मामलों को सूचीबद्ध किया जाता है, जिनमें विस्तृत बहस की आवश्यकता नहीं होती। वहीं, नियमित सुनवाई के मामले मुख्य रूप से सोमवार और शुक्रवार को लिस्टेड किए जाते हैं। यह व्यवस्था लंबित मामलों के बोझ को कम करने के लिए की गई है।

विशेष अनुमति याचिकाओं (SLP) की सुनवाई प्रक्रिया

एसएलपी मामलों में न्यायालय दूसरे पक्ष को नोटिस जारी करता है। नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु की प्रोफेसर अपर्णा चंद्रा की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट केवल 14% एसएलपी को स्वीकार करता है। इन मामलों की औसत सुनवाई का समय मात्र 1 मिनट 33 सेकंड है। जब कोई मामला पूरी सुनवाई के लिए चुना जाता है, तो निर्णय आने में औसतन चार साल या उससे अधिक का समय लगता है।

सुप्रीम कोर्ट में मामले दर्ज करने की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट में एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AOR) आवश्यक दस्तावेजों के साथ मामला दर्ज करता है। इसके लिए वे ई-फाइलिंग पोर्टल या फाइलिंग काउंटर का उपयोग करते हैं। इसके बाद मामला रजिस्ट्री के पास जाता है, जो सभी दस्तावेजों की जांच करती है। यदि दस्तावेजों में कोई दोष पाया जाता है, तो इसे 90 दिनों के भीतर ठीक करना होता है।

दस्तावेजों की जांच और सूचीकरण

मामले की जांच के बाद, इसे रजिस्टर किया जाता है और सुनवाई की तारीख आवंटित की जाती है। सोमवार और शुक्रवार को नए मामलों की सुनवाई होती है। अदालत यदि तुरंत मामले को खारिज नहीं करती है, तो नोटिस जारी कर दूसरे पक्ष से जवाब मांगती है।

अंतिम सुनवाई और फैसला

अंतिम सुनवाई के दौरान, दोनों पक्षों की दलीलों को सुना जाता है और लिखित प्रस्तुतियों पर विचार किया जाता है। उसके बाद ही फैसला सुनाया जाता है। यह प्रक्रिया कई बार सालों तक चलती है, जिससे लंबित मामलों की संख्या बढ़ती है।

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FAQs

सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज करने के लिए क्या जरूरी है?
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड द्वारा दस्तावेजों और वकालतनामा के साथ मामला दर्ज किया जाना चाहिए।

SLP क्या है और इसे कितनी बार स्वीकार किया जाता है?
एसएलपी (Special Leave Petition) हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील है। सुप्रीम कोर्ट केवल 14% एसएलपी स्वीकार करता है।

फैसला आने में कितना समय लगता है?
पूरी सुनवाई वाले मामलों में औसतन चार साल या उससे अधिक समय लगता है।

सुनवाई के दिन कौन-कौन से होते हैं?
सोमवार और शुक्रवार को नए मामलों की सुनवाई होती है, जबकि मंगलवार से गुरुवार को विविध मामलों की।

सुप्रीम कोर्ट में मामला दर्ज करने और सुनवाई की प्रक्रिया बेहद संरचित और विस्तृत है। हालांकि, लंबित मामलों की संख्या को देखते हुए अदालत तेजी से निर्णय प्रक्रिया में सुधार की दिशा में काम कर रही है। विशेष अनुमति याचिकाओं को प्राथमिकता देने से मामलों के बोझ को कम करने की कोशिश की जा रही है।

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