हमारे देश का प्रधानमंत्री कौन है?            

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की दी 5 सलाह, संन्यासी जैसा जीवन, घोड़े की तरह काम, सोशल मीडिया से दूरी, पूरी जानकारी देखें

सुप्रीम कोर्ट ने जजों को सोशल मीडिया से दूर रहने, अपनी राय न जाहिर करने और पूरी तरह से समर्पण के साथ काम करने की सख्त हिदायत दी। जानिए कोर्ट ने क्यों कहा कि जजों को दिखावे की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। पढ़ें पूरी खबर!

By Praveen Singh
Published on
सुप्रीम कोर्ट ने जजों की दी 5 सलाह, संन्यासी जैसा जीवन, घोड़े की तरह काम, सोशल मीडिया से दूरी, पूरी जानकारी देखें
सुप्रीम कोर्ट ने जजों की दी 5 सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को न्यायपालिका के अधिकारियों को सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने और एक संन्यासी की तरह जीवन जीने की सलाह दी। यह टिप्पणी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा दो महिला न्यायिक अधिकारियों की बर्खास्तगी से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान की गई। सुप्रीम कोर्ट ने जजों को यह नसीहत दी कि उन्हें न्यायिक कार्य करते समय अपनी टिप्पणियों और रायों से बचना चाहिए और इस मामले में सोशल मीडिया का उपयोग करने से बचना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट ने जजों की दी 5 सलाह

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने इस पर अपनी टिप्पणी की, जहां उन्होंने जजों को सलाह दी कि वे अपने कार्यों में बहुत संयमित और प्रतिबद्ध रहें। कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों के लिए कोई दिखावा या सोशल मीडिया पर अपनी राय जाहिर करने का स्थान नहीं होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि जजों को सोशल मीडिया पर किसी प्रकार के पोस्ट या टिप्पणियां नहीं करनी चाहिए, खासकर अदालत के फैसलों से संबंधित।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका को एक संन्यासी की तरह जीना चाहिए और घोड़े की तरह काम करना चाहिए। जजों को न्यायिक कार्य में पूरी तरह से समर्पित रहना चाहिए, बिना किसी प्रकार की व्यक्तिगत टिप्पणियों या सार्वजनिक बयानबाजी के। कोर्ट ने यह भी बताया कि सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म पर सक्रिय होने से जजों की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर असर पड़ सकता है।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का बर्खास्तगी मामला

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी उस समय आई जब मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दो महिला जजों को बर्खास्त किया था। इन महिला जजों में से एक ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट डाली थी, जिसे लेकर वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव अग्रवाल ने अदालत में शिकायत की थी। उन्होंने कहा कि यह कार्य न्यायिक प्रक्रिया से संबंधित नहीं था और इसे कोर्ट के फैसलों के साथ मेल नहीं खाता।

मामला 11 नवंबर, 2023 को तब सामने आया, जब राज्य सरकार ने कथित असंतोषजनक प्रदर्शन के कारण छह महिला सिविल जजों की बर्खास्तगी का निर्णय लिया। हालांकि, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की पूर्ण अदालत ने अगस्त 2023 में अपने पहले के प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया और चार महिला जजों को कुछ शर्तों के साथ बहाल करने का फैसला किया, जबकि दो अन्य जजों को इस प्रक्रिया से बाहर रखा गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया और बर्खास्त किए गए जजों की स्थिति पर विचार किया।

जजों को सोशल मीडिया से बचने की सलाह

सुप्रीम कोर्ट ने जजों को सोशल मीडिया से पूरी तरह से बचने की हिदायत दी है। कोर्ट ने कहा कि सोशल मीडिया पर किसी प्रकार की टिप्पणी या पोस्ट से न्यायिक स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं। जजों को अपनी जिम्मेदारियों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध होना चाहिए और उन्हें व्यक्तिगत रायों से बचना चाहिए। यह आदेश यह सुनिश्चित करने के लिए दिया गया है कि न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर कोई सवाल न उठे।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों को किसी भी प्रकार के सार्वजनिक या निजी मंच पर न्यायिक फैसलों पर राय नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इससे न्यायिक प्रक्रिया में पक्षपाती होने की संभावना बढ़ सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जजों को न्यायिक कार्यों में पूरी तरह से समर्पित रहना चाहिए और उन्हें कोई भी व्यक्तिगत गतिविधि, जैसे कि सोशल मीडिया पर पोस्ट डालना, अपने कार्य से बाहर रखना चाहिए।

न्यायपालिका में दिखावे की कोई जगह नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के अधिकारियों को यह भी याद दिलाया कि न्यायपालिका में दिखावे की कोई जगह नहीं है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि जजों को पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए कार्य करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका का उद्देश्य निष्पक्षता और न्याय सुनिश्चित करना है, न कि किसी प्रकार के निजी या राजनीतिक दबाव के तहत कार्य करना। इसलिए, जजों को अपने व्यक्तिगत विचारों से बचते हुए केवल कानून और साक्ष्यों के आधार पर फैसले देने चाहिए।

यह भी देखें 25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश की हुई घोषणा, स्कूल-कॉलेज और सरकारी दफ्तर रहेंगे बंद Public Holiday

25 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश की हुई घोषणा, स्कूल-कॉलेज और सरकारी दफ्तर रहेंगे बंद Public Holiday

FAQs

1. सुप्रीम कोर्ट ने जजों को कौन सी सलाह दी है?
सुप्रीम कोर्ट ने जजों को सोशल मीडिया से दूर रहने, संन्यासी जैसा जीवन जीने और घोड़े की तरह काम करने की सलाह दी है।

2. क्या जजों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने की अनुमति है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने जजों को सोशल मीडिया पर पोस्ट करने से बचने की हिदायत दी है, ताकि उनकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर सवाल न उठे।

3. क्या मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने किसी जज को बर्खास्त किया था?
हां, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने दो महिला जजों को बर्खास्त किया था, जिनमें से एक ने सोशल मीडिया पर पोस्ट डाली थी।

4. सुप्रीम कोर्ट का क्या उद्देश्य था इस आदेश के माध्यम से?
सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य न्यायपालिका की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को बनाए रखना था, ताकि जजों के कार्यों पर कोई बाहरी प्रभाव न पड़े।

5. सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों को क्या करने की सलाह दी है?
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायिक अधिकारियों को अपनी व्यक्तिगत रायों और टिप्पणियों से बचने, केवल कानून और साक्ष्यों के आधार पर फैसले लेने की सलाह दी है।

सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी का उद्देश्य न्यायपालिका के उच्च मानकों को बनाए रखना और जजों के कार्यों में किसी प्रकार के व्यक्तिगत प्रभाव को दूर करना है। कोर्ट ने इस आदेश के माध्यम से यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि न्यायिक अधिकारियों के कार्य निष्पक्ष, स्वतंत्र और बिना किसी बाहरी प्रभाव के हों। कोर्ट ने जजों को अपने कार्यों में संयमित रहने और पूरी तरह से अपने पेशेवर कर्तव्यों को प्राथमिकता देने की सलाह दी है।

यह भी देखें UP: यहाँ बन रहे तीन नेशनल हाईवे ने बदल दी जिंदगी, 195 गांवों के किसान हुए मालामाल

UP: यहाँ बन रहे तीन नेशनल हाईवे ने बदल दी जिंदगी, 195 गांवों के किसान हुए मालामाल

Leave a Comment