क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का उपयोग आज के दौर में आम हो चुका है। यह सुविधा उपभोक्ताओं को वित्तीय लेन-देन में सहूलियत देती है, लेकिन इसके साथ जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। यदि आप भी क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं, तो अब इसका बिल समय पर भरने की आदत डाल लें।
सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) द्वारा Credit Card ब्याज पर लगाई गई 30% की ऊपरी सीमा को खारिज कर दिया है। इससे बैंकों को उपभोक्ताओं से 50% तक की ब्याज दर वसूलने का अधिकार मिल गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने NCDRC के फैसले को किया खारिज?
सुप्रीम कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा शामिल थे, ने स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, सिटी बैंक, अमेरिकन एक्सप्रेस और एचएसबीसी बैंक जैसी बैंकों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। NCDRC ने 2008 में अपने एक फैसले में कहा था कि क्रेडिट कार्ड पर 36% से 50% सालाना ब्याज लेना अनुचित और उपभोक्ताओं के प्रति गलत व्यावसायिक प्रथा है। आयोग ने बैंकों के लिए ब्याज दर को अधिकतम 30% तक सीमित कर दिया था।
क्रेडिट कार्ड की ब्याज दर
इस पर बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में तर्क दिया कि NCDRC को यह अधिकार नहीं है कि वह Credit Card की ब्याज दर पर सीमा तय करे। सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकारते हुए कहा कि उपभोक्ता अदालत के पास ऐसी शक्तियां नहीं हैं। बैंकों ने कोर्ट में यह भी दलील दी कि क्रेडिट कार्ड जारी करने के समय उपभोक्ता सभी शर्तों को पढ़कर और समझकर सहमति प्रदान करते हैं। अगर उपभोक्ता शर्तों से सहमत नहीं होते, तो वे क्रेडिट कार्ड सेवा को अस्वीकार कर सकते हैं।
NCDRC का नजरिया देखें
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने अपने फैसले में माना था कि बैंकों और उपभोक्ताओं के बीच शक्ति संतुलन असमान होता है। क्रेडिट कार्ड उपभोक्ता के पास ब्याज दर पर मोलभाव का कोई अधिकार नहीं होता। उपभोक्ता के पास केवल यह विकल्प होता है कि वह क्रेडिट कार्ड की सुविधा को अस्वीकार कर दे। आयोग ने यह भी कहा कि अन्य देशों में ब्याज दरें भारत के मुकाबले कम हैं।
- अमेरिका और ब्रिटेन में ब्याज दर 9.99% से 17.99% है।
- ऑस्ट्रेलिया में यह दर 18% से 24% के बीच है।
- फिलीपींस, इंडोनेशिया और मेक्सिको जैसे विकासशील देशों में यह दर 36% से 50% तक है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला क्रेडिट कार्ड उपयोगकर्ताओं के लिए एक चेतावनी है। समय पर भुगतान न करने पर अब उन्हें ज्यादा ब्याज दर चुकानी पड़ सकती है। बैंकों के पास अब कानूनी रूप से यह अधिकार होगा कि वे 50% तक ब्याज वसूल सकें।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: बैंकों को राहत
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से बैंकों को बड़ी राहत मिली है। अब वे अपनी शर्तों के अनुसार क्रेडिट कार्ड उपभोक्ताओं से ब्याज वसूल सकते हैं। यह फैसला बैंकों के व्यावसायिक हितों को सुरक्षित करता है, लेकिन उपभोक्ताओं के लिए यह अतिरिक्त वित्तीय दबाव लेकर आएगा।
FAQs
1. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का उपभोक्ताओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
इस फैसले के बाद, उपभोक्ताओं को समय पर क्रेडिट कार्ड का भुगतान करना होगा। देरी होने पर उन्हें 50% तक ब्याज चुकाना पड़ सकता है।
2. NCDRC ने ब्याज दर पर 30% की सीमा क्यों लगाई थी?
NCDRC ने माना था कि उच्च ब्याज दरें उपभोक्ताओं के प्रति गलत व्यावसायिक प्रथा हैं। उन्होंने भारत जैसे विकासशील देश में 30% ब्याज दर को पर्याप्त माना था।
3. क्या अन्य देशों में क्रेडिट कार्ड पर ब्याज दर कम है?
हां, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में ब्याज दर 9.99% से 24% तक सीमित है। विकासशील देशों में यह दर 36% से 50% तक हो सकती है।
4. बैंकों ने सुप्रीम कोर्ट में क्या तर्क दिया?
बैंकों ने कहा कि NCDRC को ब्याज दर सीमित करने का अधिकार नहीं है। क्रेडिट कार्ड उपभोक्ता शर्तों को स्वीकार करके यह सुविधा लेते हैं।
5. अब उपभोक्ताओं को क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते समय क्या ध्यान रखना चाहिए?
उपभोक्ताओं को अपने क्रेडिट कार्ड बिल समय पर चुकाने चाहिए, ताकि उन्हें ज्यादा ब्याज न देना पड़े।
यह फैसला उपभोक्ताओं के लिए सतर्कता का संकेत है। क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते समय अपनी वित्तीय स्थिति का ध्यान रखना और समय पर बिल चुकाना बेहद जरूरी हो गया है। अन्यथा, यह सुविधा वित्तीय बोझ में बदल सकती है।