सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में फैसला, हिन्दू महिलाओं को पति की संपत्ति पर कितना होगा अधिकार?

क्या आप जानते हैं कि पति की मृत्यु के बाद संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है? वसीयत, कानून और कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले कैसे तय करते हैं आपकी हिस्सेदारी? जानिए, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 और सुप्रीम कोर्ट के फैसले कैसे प्रभावित करते हैं आपके अधिकार।

By Praveen Singh
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सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच में फैसला, हिन्दू महिलाओं को पति की संपत्ति पर कितना होगा अधिकार?

पति की संपत्ति पर पत्नी के अधिकार का सवाल अक्सर कानूनी और सामाजिक बहस का विषय बनता है। यह मुद्दा हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 और सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसलों से प्रभावित है। 1977 में निचली अदालत ने तुलसम्मा बनाम शेष रेड्डी केस का हवाला देकर हिंदू महिलाओं को संपत्ति पर पूर्ण स्वामित्व का अधिकार दिया, जबकि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 1972 के कर्मी बनाम अमरु केस में इससे असहमति जताई।

क्या है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956?

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, पत्नी का ससुराल की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता। पति की मृत्यु के बाद, पत्नी को उतना हिस्सा मिलता है जितना पति का होता। हालांकि, इस हिस्से पर पत्नी का पूर्ण अधिकार तभी होता है जब संपत्ति पर कोई वसीयत न हो। अगर पति ने वसीयत बनाई है और उसमें पत्नी को नॉमिनी बनाया है, तो संपत्ति पत्नी को मिल जाती है। वसीयत के अभाव में, संपत्ति पति के परिवार और पत्नी के बीच समान रूप से विभाजित होती है।

कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले और उनकी भूमिका

1977 में सुप्रीम कोर्ट के तुलसम्मा बनाम शेष रेड्डी फैसले में हिंदू महिलाओं के अधिकारों को सशक्त किया गया। इस फैसले के तहत, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 14(1) का हवाला देते हुए महिलाओं को संपत्ति पर पूर्ण अधिकार दिए गए। इसके विपरीत, 1972 के कर्मी बनाम अमरु फैसले में वसीयत के तहत संपत्ति पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया गया, जिससे संपत्ति के अधिकार सीमित हो गए।

संपत्ति पर अधिकार की प्रक्रिया

पति की संपत्ति पर पत्नी का अधिकार निम्नलिखित स्थितियों पर निर्भर करता है:

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  • वसीयत की उपस्थिति: अगर पति ने वसीयत बनाई है और उसमें पत्नी को नामित किया है, तो संपत्ति पूरी तरह पत्नी को मिल जाती है।
  • वसीयत का अभाव: अगर वसीयत नहीं है, तो संपत्ति पत्नी और अन्य कानूनी उत्तराधिकारियों में बराबर बंटती है।
  • संतानों की उपस्थिति: पति की संपत्ति पर पत्नी का अधिकार बच्चों के हिस्से के साथ जुड़ा होता है, जिससे उनका अधिकार भी सुरक्षित रहता है।

(FAQs)

1. क्या पति की पैतृक संपत्ति पर पत्नी का अधिकार होता है?
नहीं, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956 के अनुसार, पत्नी का पति की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता।

2. वसीयत न होने पर संपत्ति का बंटवारा कैसे होता है?
पति की मृत्यु के बाद, संपत्ति कानूनी उत्तराधिकारियों, जैसे पत्नी और बच्चों, के बीच समान रूप से बांटी जाती है।

3. क्या पत्नी संपत्ति बेच सकती है अगर उसे वसीयत के जरिए मिली हो?
अगर संपत्ति पर पत्नी को पूर्ण स्वामित्व का अधिकार है, तो वह उसे बेचने का अधिकार रखती है।

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