RBI के रेपो रेट कटौती से इन बैंकों की होगी बल्ले-बल्ले! जानें किसे मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा

अगर RBI रेपो रेट में कटौती करता है, तो इसका सीधा फायदा कुछ चुनिंदा बैंकों को मिलने वाला है! जानिए किन बैंकों को सबसे ज्यादा फायदा होगा, कैसे कम होंगे लोन के ब्याज दरें, और क्या आपको भी इस मौके का लाभ उठाना चाहिए – पूरी डिटेल यहां पढ़ें!

By Praveen Singh
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RBI के रेपो रेट कटौती से इन बैंकों की होगी बल्ले-बल्ले! जानें किसे मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा
RBI के रेपो रेट कटौती से इन बैंकों को होगा फायदा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 6.25% कर दिया है। इस फैसले का सीधा असर बैंकों पर पड़ेगा, लेकिन सभी बैंक इससे एक समान रूप से लाभान्वित नहीं होंगे। जिन बैंकों के पास ज्यादा Fixed Rate Loans हैं और जिनका Loan-to-Deposit Ratio (LDR) ऊंचा है, वे इस कटौती का सबसे अधिक लाभ उठा सकते हैं।

RBI के रेपो रेट कटौती से किन बैंकों को होगा सबसे ज्यादा फायदा?

रेपो रेट कटौती का सबसे अधिक लाभ उन्हीं बैंकों को मिलेगा, जिनके लोन पोर्टफोलियो में बड़ी संख्या में फिक्स्ड रेट लोन शामिल हैं। ऐसे बैंक कम ब्याज दरों पर फंडिंग हासिल कर पाएंगे, जिससे उनका Net Interest Margin (NIM) और प्रॉफिटेबिलिटी बढ़ेगी।

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सबसे अधिक लाभ पाने वाले बैंक

  • Bandhan Bank (77% Fixed Rate Loans): सबसे ज्यादा फिक्स्ड रेट लोन होने के कारण यह बैंक इस कटौती से सबसे अधिक फायदा उठा सकता है।
  • AU Small Finance Bank (70%): यह बैंक भी सस्ती दरों पर लोन रिफाइनेंस कर सकता है, जिससे इसकी लाभप्रदता बढ़ेगी।
  • IDFC First Bank (61%): फंडिंग कॉस्ट में कमी आने से बैंक की मुनाफे की संभावनाएं बेहतर होंगी।
  • Indian Bank (50%): मध्यम स्तर का लाभ मिलेगा, लेकिन बैंक की फंडिंग स्थिर बनी रहेगी।
  • ICICI Bank (31%) और Axis Bank (30%): ये बैंक फ्लोटिंग रेट लोन्स पर अधिक निर्भर हैं, लेकिन फिर भी इनकी फंडिंग कॉस्ट घटेगी, जिससे आंशिक रूप से लाभ मिलेगा।

हाई LDR वाले बैंक कैसे उठाएंगे फायदा?

जिन बैंकों का Loan-to-Deposit Ratio (LDR) ज्यादा है, वे बाहरी फंडिंग पर ज्यादा निर्भर रहते हैं। रेपो रेट में कटौती से उनकी फंडिंग कॉस्ट कम होगी, जिससे वे आक्रामक तरीके से लोन ग्रोथ को बढ़ावा दे सकते हैं।

HDFC Bank (98% LDR) सस्ते फंड मिलने से बैंक की लोन ग्रोथ को गति मिलेगी। IDFC First Bank (94% LDR) बैंक को अधिक लोन देने का अवसर मिलेगा, जिससे इसका क्रेडिट विस्तार होगा। Axis Bank (93% LDR) फंडिंग कॉस्ट कम होने से बैंक की लेंडिंग कैपेसिटी बढ़ेगी। Bandhan Bank (91% LDR) और Indian Bank (90% LDR) अधिक क्रेडिट देने की क्षमता बढ़ने से बैंक का व्यवसाय बढ़ेगा।

अच्छी लिक्विडिटी वाले बैंकों की स्थिति

जिन बैंकों के पास पर्याप्त Liquidity है, वे बिना ज्यादा उधारी लिए अपने लोन बुक को बढ़ा सकते हैं। रेपो रेट में कटौती से उन्हें सस्ते दरों पर फंडिंग उपलब्ध होगी, जिससे वे अपने लोन पोर्टफोलियो का विस्तार कर सकते हैं। लिक्विडिटी मजबूत रखने वाले बैंक:

  • SBI (77% LDR): लोन देने की रफ्तार बढ़ाने के लिए यह सही समय है।
  • Indian Bank (90% LDR): मजबूत फंडिंग बेस होने के कारण यह बैंक स्थिर ग्रोथ हासिल कर सकता है।

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FAQs

1. रेपो रेट में कटौती से बैंकों को कैसे फायदा होता है?
जब RBI रेपो रेट घटाता है, तो बैंकों को सस्ती दरों पर उधारी मिलती है। इससे उनकी फंडिंग कॉस्ट कम होती है और वे कम ब्याज दरों पर लोन दे सकते हैं, जिससे उनका लाभ बढ़ता है।

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2. Fixed Rate Loans वाले बैंक इस कटौती का कैसे लाभ उठाते हैं?
Fixed Rate Loans वाले बैंक पहले से निर्धारित ब्याज दर पर लोन देते हैं। जब फंडिंग कॉस्ट घटती है, तो उनका Net Interest Margin (NIM) बढ़ जाता है, जिससे उनकी प्रॉफिटेबिलिटी सुधरती है।

3. हाई LDR वाले बैंक रेपो रेट कटौती से क्यों लाभान्वित होते हैं?
हाई LDR वाले बैंक बाहरी स्रोतों से अधिक उधारी लेते हैं। जब रेपो रेट घटता है, तो उनकी उधारी की लागत कम हो जाती है और वे अधिक लोन जारी कर सकते हैं।

4. लिक्विडिटी ज्यादा होने से बैंकों को क्या फायदा मिलता है?
जिन बैंकों के पास अधिक लिक्विडिटी होती है, वे ज्यादा लोन दे सकते हैं और बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा सकते हैं।

5. क्या सभी बैंकों को रेपो रेट कटौती का समान फायदा मिलेगा?
नहीं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि बैंक की लोन बुक संरचना, LDR, और Liquidity Position कैसी है। जिन बैंकों के पास ज्यादा Fixed Rate Loans और ऊंचा LDR है, उन्हें अधिक फायदा मिलेगा।

RBI की इस रेपो रेट कटौती से उन बैंकों को सबसे ज्यादा लाभ होगा जिनके पास अधिक Fixed Rate Loans हैं और जिनका Loan-to-Deposit Ratio (LDR) ऊंचा है। Bandhan Bank, AU Small Finance Bank, IDFC First Bank जैसे बैंक सबसे ज्यादा फायदा उठा सकते हैं।

HDFC Bank, Axis Bank और IDFC First Bank को भी बाहरी फंडिंग सस्ती होने का फायदा मिलेगा। इसके अलावा, SBI और Indian Bank जैसी मजबूत लिक्विडिटी वाली बैंकें भी इस अवसर का उपयोग अपने लोन पोर्टफोलियो को बढ़ाने के लिए कर सकती हैं।

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