सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बंधक रखने का मतलब संपत्ति का मालिकाना हक भी है?

क्या संपत्ति पर कब्जा साधारण बंधक बनाता है या सशर्त बिक्री द्वारा बंधक? सुप्रीम कोर्ट ने किया बड़ा खुलासा। जानिए धारा 58(c) TPA के तहत आपके अधिकार और कैसे एक छोटी सी चूक आपको संपत्ति से वंचित कर सकती है।

By Praveen Singh
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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बंधक रखने का मतलब संपत्ति का मालिकाना हक भी है?
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, बंधक रखने का मतलब संपत्ति का मालिकाना हक भी है?

संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम (Transfer of Property Act) की धारा 58(c) के तहत सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि गिरवी रखने वाले द्वारा संपत्ति पर कब्जा करने मात्र से सशर्त बिक्री द्वारा बंधक (Mortgage by Conditional Sale) साधारण बंधक (Simple Mortgage) में परिवर्तित नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक नागरिक अपील पर सुनवाई करते हुए दिया, जिसमें हाईकोर्ट और ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों को चुनौती दी गई थी।

बंधक रखने का मतलब संपत्ति का मालिकाना हक भी है?

इस मामले में, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस प्रसन्ना बी. वराले की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेशों को पलटते हुए कहा कि लेनदेन के सभी पहलू धारा 58(c) के तहत सशर्त बिक्री द्वारा बंधक के लिए आवश्यक मानदंडों को पूरा करते हैं।

1990 में, प्रतिवादी-वादी ने ₹75,000 में एक सूट संपत्ति गिरवी रखी, और तीन वर्षों के भीतर ₹1,20,000 (ब्याज सहित) चुकाने का समझौता किया। बंधक विलेख (Mortgage Deed) में एक शर्त जोड़ी गई थी कि समय पर भुगतान न करने पर संपत्ति की बिक्री निरपेक्ष हो जाएगी।

ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट का फैसला

ट्रायल कोर्ट ने यह मानते हुए वादी के पक्ष में फैसला दिया कि बंधक विलेख में शामिल शर्त ‘मोचन की इक्विटी पर रुकावट’ थी। हाईकोर्ट ने भी इस फैसले की पुष्टि की।

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह पाया कि वादी द्वारा गिरवी रखी गई संपत्ति पर कब्जा अनुमेय (permissible possession) था और यह केवल संपत्ति की सुरक्षा के उद्देश्य से दिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट का निर्णय

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बंधक विलेख में दर्ज शर्तें सशर्त बिक्री द्वारा बंधक की सभी आवश्यकताओं को पूरा करती हैं। अदालत ने कहा कि वादी द्वारा निर्धारित अवधि में राशि चुकाने में चूक से संपत्ति का स्वामित्व बंधककर्ता (mortgagor) से गिरवी रखने वाले (mortgagee) को हस्तांतरित हो जाएगा।

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इसके अलावा, अदालत ने कहा कि वादी का कब्जा केवल व्यावहारिक व्यवस्था के तहत था और यह बंधक विलेख के अधिकारों से परे कोई अतिरिक्त लाभ प्रदान नहीं करता।

(FAQs)

1. सशर्त बिक्री द्वारा बंधक क्या होता है?
सशर्त बिक्री द्वारा बंधक (Mortgage by Conditional Sale) वह होता है, जिसमें यदि बंधककर्ता निर्धारित समय में भुगतान करने में असफल रहता है, तो संपत्ति का स्वामित्व बंधककर्ता से गिरवी रखने वाले को स्थानांतरित हो जाता है।

2. क्या वादी का कब्जा साधारण बंधक का संकेत देता है?
नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया है कि कब्जे की प्रकृति अनुमेय थी और यह बंधक विलेख के अधिकारों को प्रभावित नहीं करता।

3. क्या धारा 58(c) के तहत बंधककर्ता की चूक पर स्वामित्व स्वतः हस्तांतरित हो सकता है?
हाँ, यदि बंधक विलेख में यह शर्त दर्ज हो और बंधककर्ता भुगतान में असफल रहता है।

सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला धारा 58(c) TPA के तहत सशर्त बिक्री द्वारा बंधक की व्याख्या को स्पष्ट करता है। यह निर्णय न्यायिक प्रणाली में सशर्त बंधकों के मामलों में मार्गदर्शक के रूप में कार्य करेगा और सुनिश्चित करेगा कि बंधक विलेख की शर्तें प्राथमिकता पाएं।

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