सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार, क्या व्हाट्सएप मैसेज के कारण आईपीसी की धारा 153ए और 295ए के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है?

क्या निजी व्हाट्सएप चैट्स पर IPC की धाराएं लग सकती हैं? सुप्रीम कोर्ट करेगा तय कि आपके डिजिटल संवाद अभिव्यक्ति की आज़ादी हैं या कानून का उल्लंघन। जानिए इस ऐतिहासिक मामले की पूरी कहानी और इसके दूरगामी प्रभाव!

By Praveen Singh
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सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार, क्या व्हाट्सएप मैसेज के कारण आईपीसी की धारा 153ए और 295ए के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है?
क्या व्हाट्सएप मैसेज के कारण आईपीसी की धारा 153ए और 295ए के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है?

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने यह जांच करने पर सहमति दी है कि क्या निजी WhatsApp संदेशों को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153ए और 295ए के प्रावधानों के अंतर्गत अपराध माना जा सकता है। यह निर्णय महाराष्ट्र के बाल महाराज उर्फ संतोष दत्तात्रेय कोली द्वारा दायर एक याचिका पर आधारित है। याचिका में व्हाट्सएप ग्रुप में साझा किए गए कथित भड़काऊ संदेशों पर दर्ज FIR को चुनौती दी गई थी।

सुप्रीम कोर्ट की पहल और कानूनी विवाद

न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने मामले पर संज्ञान लेते हुए कोली के खिलाफ आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इस मुद्दे पर गहन विचार करने की बात कही कि क्या निजी डिजिटल संवाद, जैसे व्हाट्सएप संदेश, सार्वजनिक व्यवस्था कानूनों के उल्लंघन के रूप में देखे जा सकते हैं। इस पर फैसला करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और निजी संवाद की सीमाओं को लेकर कानूनी बहस को जन्म देता है।

मामला: पृष्ठभूमि और आरोप

यह विवाद महाराष्ट्र में दर्ज FIR संख्या 332/2020 से शुरू हुआ, जिसमें IPC की धारा 153ए, 295ए, 504 और 505 के तहत उल्लंघन का आरोप लगाया गया था। आरोप के अनुसार, कोली ने एक व्हाट्सएप ग्रुप में कुछ ऐसे संदेश साझा किए, जिनसे सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता था।

IPC की धारा 153ए और 295ए

  • धारा 153ए: यह विभिन्न धर्म, जाति या वर्गों के बीच दुश्मनी या घृणा फैलाने वाले कृत्यों को अपराध मानता है।
  • धारा 295ए: यह धार्मिक भावनाओं का अपमान करने के उद्देश्य से किए गए जानबूझकर कार्यों को दंडनीय ठहराता है।
  • धारा 504 और 505: ये शांति भंग करने वाले अपमानजनक कृत्यों और सार्वजनिक शरारत के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।

निजी संदेश बनाम सार्वजनिक अपराध: कानूनी दृष्टिकोण

कोली के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता सुनील फर्नांडीस, ने तर्क दिया कि आरोपित संदेश केवल एक निजी व्हाट्सएप ग्रुप तक सीमित थे और इनका सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन नहीं किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि IPC की इन धाराओं के तहत अपराध साबित करने के लिए आवश्यक सार्वजनिक प्रदर्शन का अभाव था।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने प्रमोद सूर्यभान पवार बनाम महाराष्ट्र राज्य (2019) मामले का हवाला दिया और कहा कि निजी व्हाट्सएप संदेश, जो आम जनता के लिए सुलभ नहीं हैं, IPC की धारा 153ए और 295ए के तहत अपराध के रूप में योग्य नहीं हैं। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि “पब्लिक व्यू” या सार्वजनिक प्रभाव इन प्रावधानों के लागू होने के लिए अनिवार्य शर्त है।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है। इस बीच, कोली को अंतरिम राहत प्रदान की गई है और FIR से संबंधित सभी आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी गई है। यह मामला अब यह तय करेगा कि निजी डिजिटल संवाद को किस सीमा तक सार्वजनिक अपराध माना जा सकता है।

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FAQs

Q1: क्या व्हाट्सएप संदेश IPC की धारा 153ए और 295ए के तहत अपराध माने जा सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह निर्भर करता है कि संदेश “पब्लिक व्यू” में आते हैं या नहीं। निजी संवाद, जिनका सार्वजनिक प्रदर्शन नहीं होता, इन धाराओं के अंतर्गत नहीं आते।

Q2: क्या IPC की धारा 153ए और 295ए में सार्वजनिक प्रभाव अनिवार्य है?
हां, इन धाराओं के तहत किसी भी कृत्य को सार्वजनिक रूप से प्रभाव डालने वाला होना चाहिए।

Q3: क्या निजी व्हाट्सएप ग्रुप में संदेश साझा करना अपराध माना जा सकता है?
सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार करेगा, लेकिन अभी तक यह स्थापित किया गया है कि निजी संवाद को सार्वजनिक अपराध मानने के लिए विशिष्ट परिस्थितियां होनी चाहिए।

Q4: IPC की धारा 504 और 505 का निजी संवाद पर क्या प्रभाव है?
ये प्रावधान सार्वजनिक अव्यवस्था या शरारत को नियंत्रित करते हैं, और इनका उपयोग भी तभी होता है जब संदेश का प्रभाव व्यापक हो।

यह मामला भारत में डिजिटल संवाद और सार्वजनिक अपराध की सीमाओं पर महत्वपूर्ण मिसाल कायम कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल कानून के व्याख्यान को स्पष्ट करेगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि व्यक्तिगत अभिव्यक्ति और सार्वजनिक शांति के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए।

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