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प्रशासन ने उठाया सख्त कदम, 1 जनवरी से भिखारियों को भीख देने वालों पर होगी कार्रवाई

भीख देने वालों पर होगी FIR, भिखारी-मुक्त शहर बनाने की तैयारी! जानें इंदौर प्रशासन के इस सख्त कदम का उद्देश्य और इसके पीछे की सच्चाई।

By Praveen Singh
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प्रशासन ने उठाया सख्त कदम, 1 जनवरी से भिखारियों को भीख देने वालों पर होगी कार्रवाई

मध्य प्रदेश के इंदौर प्रशासन ने शहर की छवि सुधारने और भीख मांगने की समस्या को खत्म करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 1 जनवरी 2025 से इंदौर में सड़कों पर भीख मांगना और देना, दोनों पर सख्त पाबंदी लागू होगी। यह निर्णय केंद्र सरकार के पायलट प्लान के तहत लिया गया है, जिसका उद्देश्य शहर को साफ-सुथरा और भिखारी-मुक्त बनाना है।

भीख देने पर होगी सख्त कार्रवाई

प्रशासन ने साफ कर दिया है कि अब यदि कोई व्यक्ति भिखारियों को भीख देता पाया गया, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। पुलिस द्वारा ऐसे लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। इसके लिए दिसंबर 2024 तक जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि लोग इस नियम के महत्व को समझ सकें।

शहर को भिखारी-मुक्त बनाने की योजना

इंदौर प्रशासन का यह कदम केवल शहर की सफाई और सुंदरता बनाए रखने तक सीमित नहीं है। यह पहल इस दिशा में भी है कि जरूरतमंद लोगों को सही चैनलों के माध्यम से सहायता दी जाए।

अधिकारियों ने बताया कि रिपोर्ट्स के अनुसार, कई भिखारी वास्तव में जरूरतमंद नहीं हैं।

  • जांच में पाया गया कि कई भिखारियों के पास पक्के मकान और अन्य संपत्तियां हैं।
  • कुछ भिखारी ब्याज पर पैसा देकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। हाल ही में तलाशी के दौरान एक भिखारी के पास 29,000 रुपये नकद पाए गए।

शहर की छवि सुधारने की पहल

इंदौर प्रशासन का मानना है कि यह कदम शहर की सड़कों, रेलवे स्टेशनों और अन्य सार्वजनिक स्थानों को स्वच्छ बनाने में मदद करेगा। यह केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं है, बल्कि समाज के प्रति एक जिम्मेदारी भी है।

जनता से अपील की जा रही है कि वे जरूरतमंदों की मदद के लिए संगठित तरीकों का सहारा लें। एनजीओ और सरकारी योजनाओं के माध्यम से सहायता सुनिश्चित करना एक स्थायी समाधान हो सकता है।

जन-जागरूकता अभियान की शुरुआत

इंदौर पुलिस और प्रशासन ने इस फैसले को सफल बनाने के लिए जन-जागरूकता अभियान की शुरुआत की है। इसमें रैलियों, सेमिनार और सोशल मीडिया अभियानों का सहारा लिया जा रहा है। जनता को समझाया जा रहा है कि भीख देने से समस्या का समाधान नहीं होता, बल्कि यह प्रथा और बढ़ती है।

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संगठित भिखारी गिरोह का पर्दाफाश

प्रशासन ने जांच में पाया कि कई भिखारी संगठित गिरोहों का हिस्सा हैं। ये गिरोह इस प्रथा को व्यवसाय के रूप में चलाते हैं। इन गिरोहों को खत्म करना प्रशासन की प्राथमिकता है, ताकि सही मायनों में जरूरतमंद लोगों तक मदद पहुंचे।

भीख मांगने और देने वालों पर कानूनी कार्रवाई

प्रशासन ने सख्त कानूनी प्रावधान लागू करने का निर्णय लिया है। जो कोई भी सड़कों पर भिखारियों को पैसा देता पाया जाएगा, उसके खिलाफ मामला दर्ज होगा। इसके साथ ही लोगों से अपील की जा रही है कि वे भिखारियों को पैसा देने के बजाय सही माध्यमों से मदद करें।

जनता को जागरूक करना क्यों जरूरी है?

इंदौर प्रशासन ने यह स्पष्ट किया है कि इस समस्या का समाधान केवल प्रशासनिक सख्ती से नहीं हो सकता। इसके लिए जनता की भागीदारी और जागरूकता भी जरूरी है।

जनता को समझाने के लिए व्यापक स्तर पर अभियान चलाया जा रहा है। इसमें रैलियां, पोस्टर अभियान और सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। सही मदद के लिए एनजीओ और सरकारी योजनाओं को अपनाने की अपील की जा रही है।

शहर के भविष्य की ओर एक सकारात्मक कदम

इंदौर को भिखारी-मुक्त बनाना प्रशासन का एक दूरगामी लक्ष्य है। यह न केवल शहर की छवि को निखारेगा, बल्कि सामाजिक संरचना को भी मजबूत करेगा। जरूरतमंद लोगों तक सही सहायता पहुंचाने के लिए यह पहल एक मिसाल बन सकती है।

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