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Business Idea: इस फूल की खेती से बन जाओगे करोड़पति, बाजार में है तगड़ी डिमांड

गुलखैरा की खेती: कम लागत, बंपर मुनाफा! जानिए कैसे इस औषधीय पौधे की खेती से किसान 50,000-60,000 रुपये प्रति बीघा कमा रहे हैं। उत्तर प्रदेश के किसान तेजी से अपना रहे हैं यह फसल, जो आपकी जिंदगी बदल सकती है।

By Praveen Singh
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Business Idea: इस फूल की खेती से बन जाओगे करोड़पति, बाजार में है तगड़ी डिमांड
फूल की खेती से बन जाओगे करोड़पति

आजकल किसान पारंपरिक खेती से हटकर नकदी फसल की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। यह बदलाव न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद कर रहा है, बल्कि उनकी जिंदगी भी बदल रहा है। इसी कड़ी में एक औषधीय पौधा, गुलखैरा (Gulkhaira), किसानों के लिए सुनहरा अवसर साबित हो रहा है। गुलखैरा फूल की खेती से किसानों को भारी मुनाफा हो सकता है, क्योंकि इसकी हर एक हिस्से की बाजार में जबरदस्त मांग है। इस पौधे के जड़, तना, पत्तियां और बीज सब कुछ बाजार में अच्छे दामों पर बिकता है।

फूल की खेती बना देगी करोड़पति

गुलखैरा का उपयोग मुख्य रूप से औषधीय उत्पादों में होता है। इसे किसी भी फसल के बीच में लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित की जा सकती है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसकी फसल एक बार बोने के बाद, किसान को दूसरी बार बाजार से बीज खरीदने की जरूरत नहीं होती। इसके बीजों का पुन: उपयोग करके किसान अगली फसल उगा सकते हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गुलखैरा की कीमत बाजार में 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच सकती है। यदि किसान इसे एक बीघे में उगाते हैं, तो वे 5 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार, एक बीघे से 50,000 से 60,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है।

कब और कैसे करें गुलखैरा की बुवाई?

गुलखैरा की बुवाई का सबसे सही समय नवंबर का महीना है। इसकी फसल अप्रैल और मई के महीने में पूरी तरह से तैयार हो जाती है। फसल तैयार होने के बाद, पौधे की पत्तियां और तना खेत में सूख जाते हैं, जिन्हें बाद में इकट्ठा करके बेचा जा सकता है। गुलखैरा की खेती करने वाले किसानों के लिए यह कमाई का एक सरल और टिकाऊ साधन बनता जा रहा है।

गुलखैरा का उपयोग और औषधीय महत्व

गुलखैरा के फूल, पत्तियों और तने का उपयोग यूनानी दवाओं के निर्माण में बड़े पैमाने पर होता है। यह पौधा मर्दाना ताकत बढ़ाने वाली दवाओं के साथ-साथ बुखार, खांसी और इम्यूनिटी बढ़ाने वाली औषधियों में भी उपयोगी है। गुलखैरा से तैयार औषधियां न केवल शरीर की शक्ति को बढ़ाती हैं, बल्कि यह कई रोगों के खिलाफ भी बेहद प्रभावी साबित होती हैं।

कहां हो रही है गुलखैरा फूल की खेती?

गुलखैरा की खेती का सबसे ज्यादा विस्तार पाकिस्तान और अफगानिस्तान में है। लेकिन अब यह भारत में भी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। उत्तर प्रदेश के कई जिलों जैसे कन्नौज, हरदोई और उन्नाव में किसान इस फसल की ओर रुख कर रहे हैं। यहां के किसान हर साल गुलखैरा की खेती से अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।

भारत में गुलखैरा की बढ़ती खेती इस बात का संकेत है कि यह फसल किसानों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल सकती है। इसे देखकर अन्य राज्यों के किसान भी गुलखैरा की खेती करने की योजना बना रहे हैं।

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FAQs

1. गुलखैरा फूल की खेती के लिए सही समय क्या है?
गुलखैरा की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त समय नवंबर का महीना है। फसल अप्रैल और मई में तैयार होती है।

2. एक बीघे में गुलखैरा की खेती से कितनी कमाई हो सकती है?
एक बीघे में गुलखैरा की खेती से 50,000 से 60,000 रुपये तक की कमाई हो सकती है, क्योंकि इसका बाजार मूल्य 10,000 रुपये प्रति क्विंटल तक होता है।

3. गुलखैरा का उपयोग किस प्रकार की दवाइयों में होता है?
गुलखैरा का उपयोग मर्दाना ताकत, बुखार, खांसी और इम्यूनिटी बढ़ाने वाली दवाइयों के साथ-साथ यूनानी औषधियों में होता है।

4. भारत में गुलखैरा की खेती कहां-कहां हो रही है?
उत्तर प्रदेश के कन्नौज, हरदोई और उन्नाव जिलों में इसके किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती कर रहे हैं।

5. क्या गुलखैरा की फसल के लिए बीज हर साल खरीदने की जरूरत होती है?
नहीं, एक बार बुवाई के बाद अगली बार बाजार से बीज खरीदने की जरूरत नहीं होती। किसान पहली फसल के बीजों का उपयोग दोबारा कर सकते हैं।

गुलखैरा की खेती न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने में मदद कर रही है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण नकदी फसल के रूप में उभर रही है। दवाइयों में इसके उपयोग की बढ़ती मांग इसे और भी फायदेमंद बना रही है। यदि आप खेती के क्षेत्र में नई ऊंचाई छूना चाहते हैं, तो गुलखैरा की खेती एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है।

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