
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) भारत में निवेश का सबसे सुरक्षित और लोकप्रिय विकल्प माना जाता है। यह न केवल निवेशकों को गारंटीड रिटर्न प्रदान करता है, बल्कि टैक्स सेविंग के अवसर भी देता है। हालांकि, FD से प्राप्त ब्याज आय पर इनकम टैक्स नियम लागू होते हैं और यदि आप सही ढंग से रिपोर्टिंग नहीं करते हैं तो आपको इनकम टैक्स नोटिस भी मिल सकता है। वर्ष 2025 के बजट में एफड़ी पर Tax Deducted at Source (TDS) के नियमों में बदलाव किया गया है, जिसे समझना जरूरी है।
वर्तमान में, एफड़ी पर ब्याज दरें आमतौर पर 5% से 8% प्रति वर्ष के बीच होती हैं, जो बैंक और निवेश की अवधि पर निर्भर करती हैं। लेकिन इसके साथ ही निवेशकों को टैक्सेशन, TDS की लिमिट और SFT रिपोर्टिंग जैसी शर्तों को भी ध्यान में रखना चाहिए।
FD और TDS नियमों में 2025 के लिए क्या बदलाव हुए?
2025 के बजट के अनुसार, एफड़ी पर TDS की सीमा बढ़ा दी गई है, जिससे निवेशकों को कुछ राहत मिलेगी।
- सामान्य नागरिकों के लिए TDS की सीमा ₹40,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दी गई है।
- सीनियर सिटीजन्स के लिए यह सीमा ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1,00,000 कर दी गई है।
- TDS दर अगर PAN उपलब्ध है तो 10%, और यदि PAN उपलब्ध नहीं है तो 20% लागू होगी।
- यदि किसी व्यक्ति की FD में कुल जमा राशि ₹10 लाख से अधिक है, तो बैंक को Statement of Financial Transactions (SFT) के तहत इसकी रिपोर्टिंग करनी होगी।
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FD पर इनकम टैक्स नोटिस कब आ सकता है?
एफड़ी पर टैक्सेशन से बचने के लिए सही प्लानिंग जरूरी है। इनकम टैक्स नोटिस आमतौर पर निम्नलिखित परिस्थितियों में आ सकता है:
- TDS कटने के बावजूद ITR फाइल न करना: यदि FD से ब्याज आय आपकी कर-मुक्त सीमा से अधिक है और आपने इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल नहीं किया, तो आपको इनकम टैक्स विभाग से नोटिस मिल सकता है।
- ₹10 लाख से अधिक FD जमा होने पर SFT रिपोर्टिंग: यदि आपने एक वित्तीय वर्ष में ₹10 लाख से अधिक FD में निवेश किया है, तो बैंक इस ट्रांजेक्शन को SFT के तहत रिपोर्ट करेगा। यदि आपकी घोषित आय इस ट्रांजेक्शन से मेल नहीं खाती, तो आपको आयकर विभाग से नोटिस आ सकता है।
- फॉर्म 15G/15H सही तरीके से न भरना: यदि आपकी कुल आय कर-मुक्त सीमा से नीचे है, तो आप फॉर्म 15G (सामान्य नागरिकों के लिए) या फॉर्म 15H (सीनियर सिटीजन्स के लिए) भरकर TDS से बच सकते हैं। यदि इसे गलत तरीके से भरा गया या झूठी जानकारी दी गई, तो इनकम टैक्स विभाग जांच कर सकता है।
टैक्स सेविंग के लिए एफड़ी में निवेश कैसे करें?
यदि आप अपने एफड़ी निवेश से अधिकतम टैक्स सेविंग चाहते हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- 80C के तहत टैक्स सेविंग FD में निवेश करें: यदि आप 5 साल की लॉक-इन अवधि वाली टैक्स सेवर FD में निवेश करते हैं, तो आप ₹1.5 लाख तक की कर कटौती का लाभ ले सकते हैं।
- सीनियर सिटीजन्स के लिए विशेष लाभ: 80TTB के तहत सीनियर सिटीजन्स को FD ब्याज पर ₹50,000 तक की कटौती मिलती है, जिससे उन्हें अधिक कर छूट मिलती है।
- ITR सही समय पर फाइल करें: यदि आपकी FD ब्याज आय कर योग्य सीमा से अधिक है, तो आपको सही समय पर इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करना चाहिए।
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FAQs
1. क्या एफड़ी पर TDS कटने के बाद मुझे इनकम टैक्स रिटर्न भरना जरूरी है?
हाँ, यदि आपकी कुल आय टैक्सेबल सीमा से अधिक है, तो TDS कटने के बावजूद ITR फाइल करना आवश्यक है।
2. यदि मेरी कुल आय कर-मुक्त सीमा से नीचे है, तो क्या एफड़ी पर TDS कटेगा?
अगर आप बैंक में फॉर्म 15G (सामान्य नागरिकों के लिए) या फॉर्म 15H (सीनियर सिटीजन्स के लिए) जमा करते हैं, तो FD पर TDS नहीं कटेगा।
3. SFT रिपोर्टिंग क्या होती है और यह FD पर कैसे लागू होती है?
यदि आपकी कुल FD जमा ₹10 लाख से अधिक है, तो बैंक इसकी रिपोर्टिंग Statement of Financial Transactions (SFT) के तहत करेगा। इनकम टैक्स विभाग इसका विश्लेषण कर सकता है।
4. यदि मेरे पास PAN नहीं है तो एफड़ी पर कितना TDS कटेगा?
यदि आपके पास PAN उपलब्ध नहीं है, तो TDS की दर 10% की बजाय 20% लागू होगी।
5. टैक्स सेविंग के लिए कौन-सी FD सबसे अच्छी है?
यदि आप टैक्स सेविंग करना चाहते हैं, तो 5 साल की लॉक-इन अवधि वाली टैक्स सेवर FD में निवेश करें। यह 80C के तहत ₹1.5 लाख तक की कर छूट देता है।
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) एक सुरक्षित और स्थिर निवेश विकल्प है, लेकिन इससे होने वाली ब्याज आय पर टैक्सेशन के नियमों को समझना आवश्यक है। वर्ष 2025 में TDS की सीमा बढ़ने से निवेशकों को राहत मिली है, लेकिन यदि आपकी जमा राशि या ब्याज आय टैक्सेबल सीमा से अधिक है, तो इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना जरूरी है। यदि आपने ₹10 लाख से अधिक की FD जमा की है, तो यह SFT रिपोर्टिंग के तहत आ सकती है। टैक्स सेविंग के लिए 80C और 80TTB के तहत मिलने वाली कटौतियों का लाभ उठाना चाहिए।