
1 अप्रैल 2025 से फिक्स्ड डिपॉजिट-FD निवेशकों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। सरकार द्वारा टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स-TDS नियमों में बदलाव किए गए हैं, जिससे करोड़ों छोटे निवेशकों और वरिष्ठ नागरिकों को सीधा फायदा मिलेगा। खास बात यह है कि इस बार बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एफडी पर ब्याज इनकम पर लागू होने वाले टीडीएस की सीमा बढ़ाने का ऐलान किया था, जो अब लागू हो चुका है।
अब आम नागरिकों के लिए टीडीएस की सीमा ₹40,000 से बढ़ाकर ₹50,000 कर दी गई है, जबकि वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह सीमा दोगुनी होकर ₹1 लाख तक पहुंच गई है। यह बदलाव नए फाइनेंशियल ईयर 2025-26 की शुरुआत के साथ 1 अप्रैल से प्रभावी हो गया है।
TDS लिमिट बढ़ने से FD निवेशकों को क्या फायदा होगा?
नए नियमों के लागू होने से एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर पहले से कम टैक्स कटेगा, जिससे निवेशकों के हाथ में ज्यादा पैसा बचेगा। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी आम नागरिक को एफडी से सालाना ₹48,000 का ब्याज मिलता है, तो अब उस पर कोई टीडीएस नहीं कटेगा, जबकि पहले ₹40,000 की सीमा के बाद टैक्स कटना शुरू हो जाता था।
इसका सबसे बड़ा फायदा उन निवेशकों को मिलेगा, जो टैक्स स्लैब में तो आते हैं लेकिन जिनकी सालाना ब्याज आय सीमित है। खासकर रिटायर्ड और मिडल क्लास निवेशकों के लिए यह राहत बहुत मायने रखती है।
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सीनियर सिटीजन के लिए TDS लिमिट हुई दोगुनी
सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों (Senior Citizens) को ध्यान में रखते हुए उनके लिए टीडीएस की सीमा को ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख कर दिया है। इसका मतलब ये है कि अगर किसी वरिष्ठ नागरिक को एफडी से साल में ₹95,000 ब्याज मिलता है, तो अब बैंक उस पर टीडीएस नहीं काटेगा। यह कदम वरिष्ठ नागरिकों के लिए निवेश को अधिक आकर्षक बना सकता है, खासकर ऐसे समय में जब रिटर्न सुरक्षित विकल्पों में कम होता जा रहा है।
क्या होता है TDS और कैसे काम करता है?
टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स-TDS वह व्यवस्था है जिसके तहत सरकार किसी भी प्रकार की आय पर टैक्स पहले ही काट लेती है। यह इनकम टैक्स विभाग द्वारा तय की गई सीमाओं और दरों के आधार पर काटा जाता है।
जब आप बैंक में फिक्स्ड डिपॉजिट करते हैं और उस पर आपको ब्याज मिलता है, तो बैंक उस ब्याज से TDS काट कर सरकार को भेज देता है। यदि आपकी ब्याज आय तय सीमा से कम है, तो आप फॉर्म 15G या 15H भरकर टीडीएस से बच सकते हैं। लेकिन अब सीमा बढ़ने से आपको फॉर्म भरने की जरूरत भी शायद कम पड़ जाए।
नए नियम क्यों लाए गए?
यह बदलाव छोटे निवेशकों और रिटायर्ड लोगों की इनकम पर टैक्स बोझ को कम करने के उद्देश्य से किए गए हैं। इससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और लोग बैंकिंग सिस्टम में ज्यादा भरोसे के साथ पैसा निवेश करेंगे।
इसके अलावा यह बदलाव सरकार की वित्तीय समावेशन की नीति के अनुरूप है, जिसमें अधिक से अधिक लोगों को सुरक्षित निवेश विकल्पों की ओर आकर्षित करना शामिल है।
क्या यह बदलाव सिर्फ बैंक एफडी पर लागू होगा?
नहीं, यह नियम सिर्फ बैंक एफडी पर ही नहीं बल्कि पोस्ट ऑफिस और को-ऑपरेटिव बैंकों में किए गए एफडी निवेशों पर भी लागू होगा। यानी जहां भी आपकी फिक्स्ड डिपॉजिट है, वहां पर मिलने वाले ब्याज पर यह नया टीडीएस नियम लागू होगा। इससे Post Office FD, ग्रामीण बैंक एफडी जैसे विकल्पों में भी निवेश करने वालों को फायदा मिलेगा।
निवेशकों को क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
हालांकि टीडीएस सीमा बढ़ने से राहत जरूर मिली है, लेकिन यह जरूरी है कि निवेशक अपनी ब्याज आय की निगरानी करते रहें। यदि आपकी ब्याज इनकम सीमा से अधिक हो जाती है, तो बैंक टीडीएस काटेगा ही। इसके अलावा, यदि आपकी कुल इनकम टैक्सेबल है, तो भले ही बैंक टीडीएस न काटे, आपको आईटीआर (Income Tax Return) में ब्याज की जानकारी देनी होगी और उस पर टैक्स देना होगा।
क्या यह बदलाव नई टैक्स प्रणाली पर भी लागू होता है?
जी हां, यह बदलाव नई टैक्स प्रणाली (New Tax Regime) और पुरानी टैक्स प्रणाली (Old Regime) दोनों पर लागू होगा। यह केवल एफडी के ब्याज पर लागू टीडीएस की सीमा है, न कि इनकम टैक्स छूट की। इसलिए, चाहे आप कोई भी टैक्स स्लैब चुनें, यह नियम सबके लिए एक समान है।
क्या FD की ब्याज दरों में कोई बदलाव हुआ है?
टीडीएस लिमिट बढ़ने से ब्याज दरें नहीं बदली हैं, लेकिन इसका असर नेट रिटर्न पर पड़ेगा। कई बैंक और NBFCs इस समय 7% से 8.5% तक का ब्याज दे रहे हैं, खासकर सीनियर सिटीजन्स के लिए विशेष स्कीमें भी जारी हैं। यदि आप नए निवेश की योजना बना रहे हैं, तो यह सही समय हो सकता है क्योंकि टैक्स कटौती कम होने से रिटर्न बेहतर महसूस होगा।
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FAQs
1. टीडीएस की नई लिमिट कब से लागू हुई है?
नई टीडीएस लिमिट 1 अप्रैल 2025 से लागू हो चुकी है।
2. क्या वरिष्ठ नागरिकों को अब टीडीएस नहीं देना होगा?
अगर उनकी सालाना ब्याज आय ₹1 लाख से कम है तो टीडीएस नहीं कटेगा।
3. क्या यह नियम केवल बैंकों पर लागू होता है?
नहीं, यह नियम पोस्ट ऑफिस और को-ऑपरेटिव बैंकों की एफडी पर भी लागू होता है।
4. अगर मेरी ब्याज इनकम ₹50,000 से ज़्यादा है तो क्या होगा?
इस स्थिति में बैंक टीडीएस काटेगा और आपको ITR में इसका विवरण देना होगा।
5. क्या फॉर्म 15G और 15H भरने की जरूरत अब नहीं रही?
यदि आपकी ब्याज आय नई लिमिट से कम है, तो आपको यह फॉर्म भरने की जरूरत नहीं होगी, लेकिन यह पूरी तरह आपकी इनकम प्रोफाइल पर निर्भर करता है।