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बैंकों में डूबा लोगों का 12 लाख करोड़ रुपये, किस बैंक का डूबा सबसे ज्‍यादा पैसा, ये रही लिस्ट

भारतीय बैंकों ने पिछले दशक में बट्टे खाते में डाले 12.3 लाख करोड़ रुपये, जिनमें सबसे बड़ा हिस्सा SBI और PNB का! लेकिन क्या इसका मतलब ऋण माफी है? आंकड़े और हकीकत जानने के लिए पढ़ें पूरी रिपोर्ट।

By Praveen Singh
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बैंकों में डूबा लोगों का 12 लाख करोड़ रुपये, किस बैंक का डूबा सबसे ज्‍यादा पैसा, ये रही लिस्ट
किस बैंक का डूबा सबसे ज्‍यादा पैसा?

भारतीय बैंकों ने पिछले 10 वर्षों में 12.3 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला है। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने इसमें सबसे अधिक योगदान दिया है। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का नाम सामने आता है। यह आंकड़े 2015 से 2024 के बीच के हैं, जिनमें से 53% ऋण केवल सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने बट्टे खाते में डाले। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने संसद में इस बारे में जानकारी दी।

वित्त वर्ष 2019 में बट्टे खाते का उच्चतम स्तर

बैंकों द्वारा बट्टे खाते में ऋण डालने का सबसे ऊंचा स्तर वित्त वर्ष 2019 में दर्ज किया गया। उस वर्ष बैंकों ने 2.4 लाख करोड़ रुपये के लोन को बट्टे खाते में डाला। यह माफी 2015 में शुरू हुई परिसंपत्ति गुणवत्ता समीक्षा (Asset Quality Review) का नतीजा थी। इसके विपरीत, वित्त वर्ष 2024 में यह आंकड़ा घटकर 1.7 लाख करोड़ रुपये रह गया, जो कुल बैंक क्रेडिट (लगभग 165 लाख करोड़ रुपये) का केवल 1% है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का योगदान

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks – PSBs) ने बट्टे खाते में डाले गए कुल ऋण में 53% का योगदान दिया। 30 सितंबर 2024 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए (Non-Performing Assets) 3,16,331 करोड़ रुपये और निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 1,34,339 करोड़ रुपये था।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए कुल बकाया ऋण का 3.01% और निजी क्षेत्र के बैंकों का 1.86% रहा। यह इंगित करता है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को एनपीए के कारण ज्यादा नुकसान हुआ है।

SBI का सबसे ज्यादा डूबा पैसा

देश का सबसे बड़ा बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (SBI), जो बैंकिंग क्षेत्र में लगभग 20% हिस्सेदारी रखता है, ने इस अवधि में 2 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला। इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक (PNB) का स्थान है, जिसने राष्ट्रीयकृत बैंकों में सबसे अधिक 94,702 करोड़ रुपये का लोन बट्टे खाते में डाला।

वित्त वर्ष 2024 के सितंबर तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 42,000 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि बट्टे खाते में डालने का मतलब उधारकर्ताओं की देनदारी को माफ करना नहीं है।

बट्टे खाते में डालने का मतलब

वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि एनपीए को बट्टे खाते में डालने का मतलब यह नहीं है कि उधारकर्ता की देनदारी खत्म हो जाती है। बैंक वसूली की प्रक्रिया जारी रखते हैं। वसूली के लिए सिविल कोर्ट और ऋण वसूली न्यायाधिकरण (DRT) में मुकदमे दायर किए जाते हैं, सारफेसी एक्ट, 2002 (SARFAESI Act) और इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (IBC) के तहत कार्रवाई की जाती है. एवं समझौता या एनपीए की बिक्री के माध्यम से भी वसूली की जाती है.

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्त वर्ष 2024 में 1.41 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो अब तक का सबसे अधिक है। सितंबर 2024 तक इन बैंकों का सकल एनपीए अनुपात घटकर 3.12% हो गया। इसके साथ ही, 2024-25 की पहली छमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 85,520 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया।

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FAQs

प्रश्न 1: बैंकों ने कुल कितने ऋण बट्टे खाते में डाले हैं?
2015 से 2024 के बीच बैंकों ने कुल 12.3 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले हैं।

प्रश्न 2: सबसे अधिक ऋण बट्टे खाते में डालने वाला बैंक कौन सा है?
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सबसे अधिक, 2 लाख करोड़ रुपये के ऋण बट्टे खाते में डाले हैं।

प्रश्न 3: वित्त वर्ष 2019 में बट्टे खाते में डाले गए ऋण का स्तर क्या था?
वित्त वर्ष 2019 में 2.4 लाख करोड़ रुपये के ऋण को बट्टे खाते में डाला गया।

प्रश्न 4: बट्टे खाते में डालने का मतलब क्या है?
बट्टे खाते में डालने का मतलब उधारकर्ताओं की देनदारी को माफ करना नहीं है। बैंक वसूली के लिए सिविल कोर्ट, DRT, सारफेसी एक्ट, और IBC के तहत कार्रवाई करते हैं।

प्रश्न 5: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्त वर्ष 2024 में कितना शुद्ध लाभ कमाया?
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वित्त वर्ष 2024 में 1.41 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ कमाया।

पिछले एक दशक में भारतीय बैंकों ने बड़े पैमाने पर ऋणों को बट्टे खाते में डाला है, जिसका मुख्य उद्देश्य बैंकों की बैलेंस शीट को साफ करना और परिचालन को स्थिर बनाना है। हालांकि, वसूली की प्रक्रिया अभी भी जारी है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बेहतर प्रदर्शन और घटते एनपीए अनुपात के साथ बैंकिंग सेक्टर सुधार की ओर अग्रसर है।

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