
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और केंद्र सरकार देश में चलन में आने वाले नोट और सिक्कों को नियंत्रित करने के लिए एक संयुक्त प्रक्रिया अपनाते हैं। नोट छापने और सिक्के जारी करने के लिए आरबीआई पहले सरकार से अनुमति मांगता है। यह अनुमति दो चरणों में मिलती है। पहले चरण में आरबीआई नोट और सिक्के छापने के लिए आवेदन करता है। इसके बाद सरकार वरिष्ठ अर्थशास्त्रियों और रिजर्व बैंक के बोर्ड के साथ चर्चा करती है। चर्चा के बाद मंजूरी मिलने पर नोट और सिक्कों का उत्पादन शुरू होता है।
5 रूपये का सिक्का होगा बंद
किसी सिक्के या नोट को बंद करने का फैसला भी आरबीआई और सरकार के बीच विचार-विमर्श के बाद ही लिया जाता है। हाल ही में आरबीआई ने 5 रुपये के पुराने मोटे सिक्कों को बंद करने का फैसला लिया। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें से मुख्य कारण धातु की चोरी और उसका गलत इस्तेमाल है।
पुराने 5 रूपये के सिक्के क्यों हो गए बंद?
भारत में 5 रूपये के सिक्के कई प्रकार के होते हैं। इनमें पुराने मोटे सिक्के और नए पतले पीतल जैसे दिखने वाले सिक्के शामिल हैं। पिछले कुछ समय में पुराने मोटे सिक्के मार्केट से गायब होने लगे। इन सिक्कों को बनाना भी बंद कर दिया गया। लेकिन ऐसा क्यों हुआ? इसके पीछे बड़ा कारण था कि इन पुराने सिक्कों को ब्लेड बनाने के लिए पिघलाया जा रहा था। ये सिक्के मोटे और भारी होते थे और इनमें इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमत उनकी घोषित सतही कीमत (Surface Value) से अधिक होती थी।
बांग्लादेश से जुड़ा सिक्कों का अवैध व्यापार
5 रूपये के सिक्कों को लेकर जो सबसे गंभीर समस्या सामने आई, वह थी इनका बांग्लादेश में अवैध व्यापार। इन सिक्कों को पिघलाकर धातु निकाली जाती थी और उससे ब्लेड बनाए जाते थे। एक सिक्के से लगभग 6 ब्लेड बनाए जा सकते थे।
इन ब्लेड्स को बांग्लादेश में 2 रुपये प्रति ब्लेड बेचा जाता था। यानी एक सिक्का 12 रुपये की कीमत तक का लाभ देता था। इसके कारण भारी मात्रा में 5 रूपये के सिक्के अवैध तरीके से बांग्लादेश भेजे जाने लगे।
धातु की वैल्यू कीमत से अधिक
सिक्कों की कीमत को दो प्रकार से आंका जाता है:
- सतही कीमत (Surface Value): सिक्के पर अंकित मूल्य।
- धातु की कीमत (Metal Value): सिक्के को पिघलाने के बाद धातु की बाजार में कीमत।
पुराने मोटे 5 रुपये के सिक्कों में इस्तेमाल होने वाली धातु की कीमत उनकी सतही कीमत से अधिक हो गई थी। इस वजह से इनका गलत इस्तेमाल बढ़ने लगा। धातु की कीमत बढ़ने के कारण लोग इन सिक्कों को पिघलाकर लाभ उठाने लगे।
RBI का कड़ा कदम: सिक्के की धातु और डिजाइन में बदलाव
जब सरकार और आरबीआई को इस बात की भनक लगी कि 5 रूपये के सिक्कों का इस प्रकार गलत इस्तेमाल हो रहा है, तो इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाए गए। पुराने मोटे 5 रुपये के सिक्कों का उत्पादन पूरी तरह बंद कर दिया गया। नए प्रकार के 5 रुपये के सिक्के जारी किए गए, जिनकी मोटाई कम थी और धातु की गुणवत्ता अलग थी। इन नए सिक्कों की मेटल वैल्यू सतही कीमत से कम रखी गई, जिससे इन्हें पिघलाने का कोई आर्थिक लाभ न हो।
अब बाजार में जो 5 रुपये के सिक्के उपलब्ध हैं, वे पीतल के सुनहरे रंग के और पतले होते हैं। पुराने मोटे सिक्के अब चलन में नहीं हैं। आरबीआई के इस कदम से सिक्कों के गलत इस्तेमाल पर काफी हद तक रोक लगाई गई है।
FAQs
1. पुराने 5 रूपये के सिक्के क्यों बंद किए गए?
पुराने 5 रुपये के मोटे सिक्के धातु की अधिक कीमत के कारण ब्लेड बनाने में इस्तेमाल हो रहे थे। इसके चलते इनका अवैध व्यापार बढ़ गया था।
2. क्या अब पुराने 5 रूपये के सिक्के बाजार में मिलेंगे?
पुराने सिक्कों का उत्पादन बंद हो गया है। अब बाजार में केवल नए पतले 5 रुपये के सिक्के ही मिलते हैं।
3. क्या नए सिक्कों की मेटल वैल्यू सतही कीमत से कम है?
हां, नए 5 रुपये के सिक्कों की मेटल वैल्यू सतही कीमत से कम है, जिससे इनका गलत इस्तेमाल रोका जा सके।
4. क्या 5 रुपये के सिक्कों के गलत इस्तेमाल की समस्या पूरी तरह खत्म हो गई है?
आरबीआई के कदमों से इस समस्या पर काफी हद तक काबू पाया गया है। हालांकि, निगरानी लगातार जारी है।
5. क्या अन्य सिक्कों के साथ भी ऐसी समस्या हो सकती है?
अगर किसी सिक्के की मेटल वैल्यू उसकी सतही कीमत से अधिक हो जाती है, तो इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो सकती है। लेकिन आरबीआई इस पर कड़ी नजर रखता है।