भारत का सबसे बड़ा सरकारी बैंक कौन सा है?

अब पांचवीं और आठवीं की परीक्षा में फेल होंगे छात्र, शिक्षा मंत्रालय ने बदले नियम

नई नीति में छात्रों को दोबारा मौका देने का प्रावधान, असफलता पर शिक्षक और अभिभावक उठाएंगे सुधार की जिम्मेदारी। जानिए शिक्षा मंत्रालय के इस नए कदम की पूरी कहानी।

By Praveen Singh
Published on
अब पांचवीं और आठवीं की परीक्षा में फेल होंगे छात्र, शिक्षा मंत्रालय ने बदले नियम

शिक्षा मंत्रालय के हालिया संशोधन के तहत पांचवीं और आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों के लिए वार्षिक परीक्षा में असफल होने पर नई व्यवस्था लागू की गई है। इसके अंतर्गत, यदि कोई छात्र वार्षिक परीक्षा में असफल होता है, तो उसे दो महीने के भीतर पुनः परीक्षा देने का मौका मिलेगा। पुनः परीक्षा में भी असफल होने की स्थिति में, छात्र को अगली कक्षा में प्रोन्नत नहीं किया जाएगा।

शिक्षा व्यवस्था में बड़ा बदलाव

वर्ष 2010-2011 में पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षाओं को समाप्त कर दिया गया था। इसके बाद विद्यार्थियों को बिना किसी शैक्षणिक मूल्यांकन के अगली कक्षा में भेजने का प्रावधान लागू किया गया। यह नीति छात्रों के शैक्षणिक स्तर में गिरावट का एक मुख्य कारण बन गई। इसका असर 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों पर भी पड़ा, जहां छात्रों का प्रदर्शन लगातार खराब होता गया।

नई नियमावली के अनुसार, राज्य सरकारों को परीक्षा प्रणाली लागू करने का अधिकार दिया गया है। इस निर्णय से शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और छात्रों को बेहतर शैक्षणिक अनुभव प्रदान करने की उम्मीद की जा रही है।

‘निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024’

शिक्षा मंत्रालय के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा अधिसूचना जारी की गई है, जिसमें इन नियमों को ‘निशुल्क अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन नियम 2024’ नाम दिया गया है। यह अधिसूचना सरकारी राजपत्र में प्रकाशित होते ही प्रभावी हो गई है।

नए नियम के तहत, यदि कोई छात्र वार्षिक परीक्षा में असफल होता है, तो उसे दो महीने के भीतर दोबारा परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। दोबारा परीक्षा में भी असफल होने पर, छात्र को उसी कक्षा में रोक लिया जाएगा। हालांकि, इस दौरान शिक्षकों द्वारा छात्र को सुधारने के लिए विशेष प्रयास किए जाएंगे।

यह भी देखें दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट परेशान, कहा निर्दोष पति और परिवार ना फंसे

दहेज कानून के गलत इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट परेशान, कहा निर्दोष पति और परिवार ना फंसे

शिक्षकों और अभिभावकों की जिम्मेदारी बढ़ी

नई नीति में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका को अधिक महत्वपूर्ण बनाया गया है। छात्रों को शैक्षणिक प्रदर्शन में सुधार लाने के लिए शिक्षकों से विशेष मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने की अपेक्षा की गई है। साथ ही, अभिभावकों को भी समय-समय पर छात्रों के प्रदर्शन के बारे में सूचित किया जाएगा और सुधार की प्रक्रिया में उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

राज्य सरकारों को दी गई छूट

नई नीति में राज्य सरकारों को अपनी शिक्षा व्यवस्था के अनुसार परीक्षा प्रणाली लागू करने की छूट दी गई है। राज्य सरकारें अपने क्षेत्र की शिक्षा गुणवत्ता और आवश्यकता के अनुसार पांचवीं और आठवीं की परीक्षाएं संचालित कर सकती हैं। यह राज्य-स्तरीय स्वतंत्रता छात्रों की शिक्षा को और अधिक प्रभावी बनाने में सहायक हो सकती है।

शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद

यह कदम उन चुनौतियों का समाधान करने के उद्देश्य से उठाया गया है, जो बिना मूल्यांकन के छात्रों को अगली कक्षा में प्रोन्नत करने की नीति के कारण उत्पन्न हुई थीं। नई प्रणाली से न केवल छात्रों के शैक्षणिक स्तर में सुधार होगा, बल्कि 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के परिणामों में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा।

यह भी देखें Today Gold Price: लगातार गिर रहे सोने-चांदी के दाम, अभी चेक करें अपने शहर का ताजा रेट

Today Gold Price: लगातार गिर रहे सोने-चांदी के दाम, अभी चेक करें अपने शहर का ताजा रेट

Leave a Comment